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समान काम समान वेतन मामला: केंद्र ने हर कोटि के शिक्षकों की जानकारी मांगी

समान काम समान वेतन मामले को लेकर केंद्र ने बिहार सरकार से सभी कोटि के शिक्षकों का विवरण मांगा है। 12 जुलाई के पहले कोर्ट में नई स्कीम का विवरण देना है।

By Ravi RanjanEdited By: Published: Fri, 04 May 2018 08:25 AM (IST)Updated: Fri, 04 May 2018 07:57 PM (IST)
समान काम समान वेतन मामला: केंद्र ने हर कोटि के शिक्षकों की जानकारी मांगी
समान काम समान वेतन मामला: केंद्र ने हर कोटि के शिक्षकों की जानकारी मांगी

पटना [राज्य ब्यूरो]। नियोजित शिक्षकों की समान काम समान सुविधा की मांग पर सर्वोच्च न्यायालय में चल रहे मामले के बीच केंद्र सरकार ने राज्य सरकार से प्रत्येक कोटि के शिक्षकों की पूरी जानकारी मांगी है। शिक्षा विभाग इस काम में जुट गया है। समान सुविधा के मामले में सर्वोच्च न्यायालय में 12 जुलाई को सुनवाई होनी है।

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पिछले महीने सर्वोच्च न्यायालय ने समान काम-समान सुविधा से जुड़े मामले की सुनवाई करते हुए केंद्र एवं राज्य सरकार को निर्देश दिए थे कि वे बताएं कि बिहार के नियोजित शिक्षकों को नियमित शिक्षकों की तरह समान सुविधा दी जा सकती है अथवा नहीं। राज्य सरकार ने कोर्ट में साफ किया था कि नियोजित शिक्षकों के वेतन में पांच हजार से ज्यादा वृद्धि करने की स्थिति में राज्य सरकार नहीं। यदि केंद्र सरकार मदद करे तो वह इस पर विचार कर सकती है।

केंद्र सरकार के अटार्नी जनरल ने उस दौरान कहा था कि हम समान काम के बदले समान वेतन देने की स्थिति में नहीं हैं। परन्तु, यदि कोर्ट कुछ मोहलत दे तो नियोजित शिक्षकों के लिए नई वेतन स्कीम पर विचार कर सरकार अपनी रिपोर्ट कोर्ट को दे सकती है। सूत्रों ने बताया कि नई स्कीम के निर्धारण के संबंध में केंद्र ने बिहार सरकार से सभी कोटि के शिक्षक, उनकी संख्या और उन्हें वेतन समेत दी जाने वाली अन्य सुविधा का विवरण मांगा है। इसके साथ ही केंद्र सरकार शिक्षा विभाग से नियोजित शिक्षकों को वर्तमान में दी जाने वाली सुविधाएं और वेतन का विवरण भी तलब किया है। राज्य सरकार से रिपोर्ट मिलने के बाद केंद्र सरकार दूसरे राज्यों के शिक्षकों को दी जाने वाली सुविधाओं आदि के अध्ययन के आधार पर संभवत : रिपोर्ट तैयार करेगी। जिसे कोर्ट में रखा जाएगा।

यहां बता दें कि पिछले वर्ष अक्टूबर महीने में पटना हाईकोर्ट ने एक फैसले में नियोजित शिक्षकों को समान काम के बदले समान सुविधा देने का आदेश पारित किया था। जिसके खिलाफ राज्य सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय में अपील की है। इस मामले में अब तक तीन सुनवाई हो चुकी है।


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