अजब-गजब : बिहार के सरकारी दफ्तरों में नौकर रखी जाती थीं बिल्लियां, जानिए...
ब्रिटिश काल में बिहार के पुराने सरकारी दफ्तरों में बिल्लियाें काे पाला जाता था। उनके लिए खुराक तय थी। बिल्लियों के लिए चपरासी भी रखे जाते थे। कहते हैं कि चूहों की वृद्धि के कारण इसकी जरूरत महसूस की गई थी।
पटना [अमित आलोक]। बिहार के पुराने सरकारी दफ्तरों में बिल्लियाें का दिखना आश्चर्य की बात नहीं। इसके पीछे एक पुरानी कहानी है। दरअसल, ब्रिटिश काल में बिहार के सरकारी दफ्तरों में बिल्लियों काे पाला जाता था। अंग्रेज तो चले गए और बदलते वक्त के साथ यह कानून भी समाप्त हो गया, लेकिन उन बिल्लियों के वंशज आज भी वहां हैं।
सरकारी दफ्तरों में बिल्लियों को पाले जाने का प्रमाण कोलकाता से प्रकाशित साप्ताहिक "दीवाना" का 08 अक्टूबर 1938 का अंक है। इसमें बिल्लियों के संबंध में एक खबर प्रकाशित हुई थी। पत्र ने लिखा था : "बिहार में मुफस्सिल के दफ्तरों में बिल्लियां नौकर रखी जा रही हैं। कहते हैं कि चूहों की वृद्धि के कारण इसकी जरूरत महसूस की गई है। इनकी निगरानी के लिए चपरासी रखे जाते हैं, जिसे हर बिल्ली छह आना खुराक के लिए दिया जाता है।"
दफ्तरों में बिल्लियों के पालन की पुष्टि करते हुए बिहार के मोतिहारी निवासी मो. अनीस आलम बताते हैं कि आजादी के बाद यह धीरे-धीरे कम होता गया। उनके लिए खुराक का प्रावधान तो करीब 30 साल पहले तक था।
बिहार के सरकारी दफ्तरों में उन बिल्लियों के वंशज आज भी हैं। सरकारी खुराक पर प्रतिबंध लगने के बाद अब वे अधिकारियों व कर्मचारियों की टिफिन पर पलती हैं।