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Bihar Politics: भाजपा की चुप्पी के बावजूद अड़ा जदयू, लोकसभा में बोले ललन-ओबीसी के साथ इंसाफ नहीं होगा

जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष और लोकसभा में पार्टी संसदीय दल के नेता राजीव रंजन सिंह ऊर्फ ललन सिंह ने कहा है कि बगैर जातीय जनगणना के देश की ओबीसी आबादी के साथ इंसाफ नहीं हो सकता है।वे लोकसभा में संविधान के 127वें संशोधन के पक्ष में बोल रहे थे।

By Akshay PandeyEdited By: Published: Tue, 10 Aug 2021 04:59 PM (IST)Updated: Tue, 10 Aug 2021 04:59 PM (IST)
Bihar Politics: भाजपा की चुप्पी के बावजूद अड़ा जदयू, लोकसभा में बोले ललन-ओबीसी के साथ इंसाफ नहीं होगा
जनता दल यूनाइटेड के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह। जागरण आर्काइव।

राज्य ब्यूरो, पटना: भाजपा की चुप्पी के बावजूद जनता दल यूनाइटेड (जदयू) जातीय जनगणना के लिए मुहिम चला रहा है। सोमवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इसे जरूरी बताया। मंगलवार को जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष और लोकसभा में पार्टी संसदीय दल के नेता राजीव रंजन सिंह ऊर्फ ललन सिंह ने कहा है कि बगैर जातीय जनगणना के देश की ओबीसी आबादी के साथ इंसाफ नहीं हो सकता है।वे लोकसभा में संविधान के 127वें संशोधन के पक्ष में बोल रहे थे।

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उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी इस संशोधन का इसलिए समर्थन कर रही है, क्योंकि ओबीसी के विकास के मामले में केंद्र सरकार की नीयत साफ  है। इससे पहले नेशनल बैकवर्ड क्लास कमीशन को संविधानिक दर्जा देने के लिए संविधान संशोधन किया गया था। वह 102वां संशोधन था। उन्होंने कांग्रेस पर कटाक्ष किया कि उसने अपने शासन काल में इस कमीशन को संविधानिक दर्जा नहीं दिया। 

हमारी पार्टी की पुरानी मांग

सिंह ने कहा कि हमारी पार्टी और हमारे नेता नीतीश कुमार जातीय जनगणना की मांग कर रहे हैं। हमारी समझ से यह निहायत जरूरी है। 1931 के बाद किसी जनगणना में जातियों की गणना नहीं की गई। इस अंतराल में सबकी आबादी बढ़ी है। समाज के विभिन्न तबके के लोग जातियों का जो आंकड़ा दे रहे हैं, उसे जोड़ दें तो देश की आबादी तीन गुना बढ़ जाएगी। उन्होंने कहा कि  यह भ्रम है कि जातीय जनगणना से समाज में भेदभाव बढ़ेगा। सच यह है कि समाज का हरेक तबका इसके पक्ष में है। जातीय गणना भी सबके हक में है। एक बार यह हो ही जाए। ताकि विभिन्न जातियों की संख्या के बारे सही आंकड़ा मिल जाए। 

मुख्यमंत्री ने पीएम से मिलने का समय मांगा

जातीय जनगणना की मांग पर जोर देने के लिए बिहार के राजनीतिक दलों का प्रतिनिधिमंडल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिल कर ज्ञापन देना चाहता है। इसके लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने चार अगस्त को प्रधानमंत्री को पत्र लिखा था। अब तक प्रधानमंत्री कार्यालय से पत्र का जवाब नहीं आया है। राज्य सरकार बगैर केंद्र की मदद के भी राज्य की विभिन्न जातियों की गणना करने के विकल्प पर भी विचार कर रही है। 


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