बिहारः अभिभावकों को मिल सकती है राहत, विधानसभा में उठा मामला; बंद स्कूल कैसे मांग रहे फीस
Bihar school Fee विधानसभा में शून्यकाल के दौरान यह मामला उठा कि जब कोरोना की वजह से लॉकडाउन में स्कूल बंद थे तो फिर निजी विद्यालय फीस क्यों ले रहे? पढ़ाई हुई नहीं और फीस के लिए दबाव काफी है।
राज्य ब्यूरो, पटनाः विधानसभा में शून्यकाल के दौरान यह मामला उठा कि जब कोरोना की वजह से लॉकडाउन में स्कूल बंद थे तो फिर निजी विद्यालय फीस क्यों ले रहे? पढ़ाई हुई नहीं और फीस के लिए दबाव काफी है। कुंदन सिंह ने बेगूसराय से जुड़े इस मामले को उठाया था। शून्य काल में उठे इस मामले पर विधानसभा अध्यक्ष ने संज्ञान लेते हुए कहा कि पूरे बिहार की यह स्थिति है। सरकार इस मामले को अपने संज्ञान में ले कि लॉकडाउन की अवधि में जब बंद थे विद्यालय तो फिर फीस क्यों ली जा रही?
मजबूर होकर अभिभावकों ने जमा की फीस
बिहार में कोरोना संक्रमण की चेन तोड़ने के लिए लॉकडाउन लगाने के बाद स्कूल बंद कर दिए गए थे। राज्य में कुल 213 दिन विद्यालयों में ताले लटके हुए थे। इस दौरान निजी विद्यालय लगातार फीस देने के लिए अभिभावकों से दबाव बनाते रहे। कई बार इसको लेकर पैरेंट्स ने शिकायतें भी कीं, मगर कोई सुनवाई नहीं हुई। सबसे अधिक उन लोगों को परेशानी हुई, जिनकी कोरोना काल के दौरान नौकरी भी चली गई। ऐसे में स्कूल के दबाव को देखते हुए बड़ी संख्या में अभिभावकों ने बच्चों को स्कूल से नाम भी कटवा दिया।
खोले गए स्कूलों में लटके ताले
बिहार में कोरोना के मामले कम होते जा रहे हैं। पिछले साल मार्च-अप्रैल से तेजी से पांव पसारती कोरोना वायरस की चेन अब टूटती नजर आ रही है। राज्य के कुछ जिलों में एक भी एक्टिव केस नहीं हैं। ऐसे में इस साल चार जनवरी से राज्य के स्कूल खोलने का सिलसिला शुरू हो गया था। अब एक से लेकर 12वीं तक के स्कूल खोल दिए गए हैं। कोरोना गाइड लाइन का पालन करते हुए बच्चे विद्यालय जा रहे हैं। इस दौरान मास्क और सैनिटाइजर का इस्तेमाल किया जा रहा है। अभी 50 प्रतिशत छात्रों को ही स्कूल बुलाया जा रहा है।