बिहारः नौकरी मिली तो 'सिंह' से 'सेन' बन गए गुरुजी, फर्जीवाड़े में पिता 'सूरज' को बना दिया 'हीरालाल'
निगरानी विभाग जांच में नियोजन के दौरान किए गए फर्जीवाड़े की सच्चाई का पता चला तो शिक्षक के खिलाफ नैनीजोर ओपी में प्राथमिकी दर्ज कराई। शिक्षक पर एफआइआर दर्ज कराते हुए इस अवैध नियोजन में अन्य अज्ञात व्यक्तियों की संलिप्तता के संबंध में भी अनुसंधान की आवश्यकता जताई गई है।
जागरण संवाददाता, बक्सर: यह कैसी विडम्बना है कि गुरुजी की नौकरी लगी तो उनका और उनके पिता का नाम बदल गया। या यूं कहें कि उनके पिता ही बदल गए। हम बात कर रहे हैं जिले के डुमरांव स्थित बंझूडेरा के रहने वाले प्रखंड शिक्षक भीमसेन पिता हीरालाल की। निगरानी विभाग जांच में जब इस सच्चाई का पता चला तो शिक्षक के खिलाफ नैनीजोर ओपी में प्राथमिकी दर्ज कराई। निगरानी विभाग ने अवैध रूप से नियोजन प्राप्त करने के लिए शिक्षक पर एफआइआर दर्ज कराते हुए इस अवैध नियोजन में अन्य अज्ञात व्यक्तियों की संलिप्तता के संबंध में भी अनुसंधान की आवश्यकता जताई है।
निगरानी विभाग द्वारा दर्ज कराई गई प्राथमिकी में इस बात का उल्लेख किया गया है कि प्रखंड शिक्षक हीरालाल ने वर्ष 2014 में प्रखंड शिक्षक नियोजन इकाई सिमरी में शिक्षक बनने के लिए आवेदन दिया और शिक्षक बनकर वर्तमान में ब्रह्मपुर के नैनीजोर स्थित सुंदरटोला प्राथमिक विद्यालय में पदस्थापित हैं। नियोजित प्रखंड शिक्षक भीमसेन पिता हीरालाल का मैट्रिक का अंक पत्र एवं प्रमाण पत्र को सत्यापन के लिए जब बिहार विद्यालय परीक्षा समिति को भेजा गया तो पता चला कि उक्त प्रमाण पत्र पर अंकित रोल नंबर का न तो प्राप्तांक सही है और न ही अभ्यर्थी या उनके पिता का नाम। बिहार विद्यालय परीक्षा समिति के अनुसार उक्त रोल नंबर पर भीम सिंह यादव पिता सूरज सिंह यादव का नाम दर्ज है जबकि, सत्यापन के लिए हो अंक पत्र एवं प्रमाण पत्र भेजा गया था उस पर भीमसेन पिता हीरालाल नाम अंकित था।
बिहार विद्यालय परीक्षा समिति ने बताया फर्जी
सबसे बड़ी बात कि प्रखंड शिक्षक का प्राप्तांक भी 562 की जगह 382 ही है। निगरानी ने कहा है कि इस तरह बिहार विद्यालय परीक्षा समिति ने अपने जांच प्रतिवेदन में उक्त अंक पत्र एवं प्रमाण पत्र को फर्जी बताया है। प्राथमिकी में निगरानी विभाग ने लिखा है कि इस प्रकार मैट्रिक का अंक पत्र एवं प्रमाण पत्र का फर्जी पाया जाना यह प्रमाणित करता है कि नियोजित प्रखंड शिक्षक द्वारा अन्य अज्ञात व्यक्तियों के साथ मिलीभगत कर उक्त अंक पत्र एवं प्रमाण पत्र की कूटरचना कर कूटरचित अंक पत्र को असली के रूप में प्रयोग कर धोखाधड़ी से आपराधिक षडयंत्र के तहत नाजायज लाभ प्राप्त करने के उद्देश्य से अवैध रूप से नियोजन प्राप्त किया है, जो एक संज्ञेय अपराध है। निगरानी विभाग ने इस अवैध नियोजन में अन्य अज्ञात व्यक्तियों की संलिप्तता की भी संभावना जताई है और उनके बारे में भी अनुसंधान की आवश्यकता जताई है।