Cancer Research: बेल के फल से होगा स्तन कैंसर का इलाज, परीक्षण में 79 फीसद तक घटा ट्यूमर
Cancer Treatment स्तन कैंसर से लडऩे में काफी कारगर है बेल का फल। बेल पर बिहार के वैज्ञानिकों के दल ने शोध किया तो पता चला इसमें कैंसररोधी तत्वों की भरमार है। ब्रिटिश जर्नल में इससे संबंधित रिपोर्ट प्रकाशित हुई है।
पटना/बक्सर [अरुण विक्रांत]। देश में स्तन कैंसर (Breast Cancer) तेजी से फैल रहा है। यह महिलाओं की मौत का बड़ा कारण भी बन रहा है। महावीर कैंसर अनुसंधान संस्थान (Mahavir Cancer Research Center) के वैज्ञानिकों (Scientists) के मुताबिक बेल (Vine) के फल में स्तन कैंसर को रोकने के तत्व पाए गए हैं। इससे शरीर में प्रतिरोधक क्षमता (Immunity) विकसित होने का पता चला है। चूहों में कैंसर मॉडयूल विकसित कर बेल से इलाज करने पर ट्यूमर के आकार में अत्प्रत्याशित कमी आने का दावा किया गया है। इंग्लैंड (Ingland) में स्वास्थ्य अनुसंधान (Health Research) की विशिष्ट पत्रिका नेचर जर्नल (Nature Journal) ने अक्टूबर के अंक में भारतीय वैज्ञानिकों के इस शोध को बाकायदा प्रकाशित किया है।
ट्यूमर के आकार में आई 79 फीसद तक की कमी
वैज्ञानिकों के दल में शामिल बक्सर (Buxar) के डॉ. अरुण कुमार ने बताया कि संस्थान में स्तन कैंसर के इलाज को लेकर कई चरणों में शोध चल रहा है। इससे पूर्व ट्यूमर पर रक्त चंदन के प्रभाव को परखा गया था। इस बार सहज उपलब्ध बेल के फल का दवा के रूप में परीक्षण किया गया। उनके साथ अनुसंधान विभाग के हेड प्रो. अशोक कुमार घोष और डॉ. विवेक अखौरी की टीम ने चूहों में स्तन कैंसर मॉडल को विकसित किया और पांच सप्ताह तक बेल के फल से उसका इलाज किया गया। इलाज के बाद ट्यूमर के आकार में 79 फीसदी तक कमी दर्ज की गई।
कैंसर को बढ़ने से रोकने वाले कई तत्व मौजूद
शोध के अनुसार बेल के फल में फाइटोकेमिकल यौगिक के रूप में कैरोटेनाइड, फेलोलिक्स, टैनिन, एल्कलॉइड, टर्पेनॉइड, कूमरिन, स्टेरॉयड सैपोनिन, इनुलिन, कार्डियक ग्लाइकोसाइड्स एवं लिग्निन आदि तत्व होते हैं। शोध में पता चला कि ये तत्व प्रत्यक्ष तौर पर कैंसर को बढऩे से रोकते हैं। वैज्ञानिक डॉ. घोष कहते हैं कि बेल फल को भगवान शिव का फल के तौर पर भी जाना-पहचाना जाता है, लेकिन इस फल में बेहतर एंटी कैंसर इफेक्ट के होने की जानकारी दुनिया को पहली बार हुई है। भारत में बेल के पेड़ों की कमी नहीं है। ग्रामीण इलाके में बाग-बगीचों में इसका पेड़ होना आम है। हालांकि कई इलाकों में लोग इसे अपने घरों में लगाने से परहेज करते हैं।