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महगठबंधन टूटने से दुखी हैं प्रशांत किशोर, छीन लिया गया कैबिनेट मंत्री का दर्जा

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के रणनीतिकारों में से एक प्रशांत किशोर को महागठबंधन टूटने से दुख हुआ है। उनसे कैबिनेट मंत्री का दर्जा भी छिन गया है।

By Ravi RanjanEdited By: Published: Sun, 30 Jul 2017 05:46 PM (IST)Updated: Mon, 31 Jul 2017 10:26 PM (IST)
महगठबंधन टूटने से दुखी हैं प्रशांत किशोर, छीन लिया गया कैबिनेट मंत्री का दर्जा
महगठबंधन टूटने से दुखी हैं प्रशांत किशोर, छीन लिया गया कैबिनेट मंत्री का दर्जा

पटना [जेएनएन]। महागठबंधन से नीतीश कुमार के अलग होने के बाद सिर्फ लालू परिवार और कांग्रेस को ही नहीं, ब‍ल्कि रणनीतिकार प्रशांत किशोर को भी नुकसान हुआ है। प्रशांत किशोर से कैबिनेट मंत्री का दर्जा भी छीन गया है।

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एनडीटीवी न्यूज वेबसाइट के अनुसार, बिहार में एनडीए-जदयू गठबंधन की सरकार बनते ही प्रशांत किशोर से कैबिनेट मिनिस्टर का दर्जा छीन गया। नीतीश कुमार और भाजपा के एक साथ आने के बाद अब उनकी किसी तरह की जरूरत महसूस नहीं की जा रही है। 

दरअसल, वर्ष 2013 में नीतीश कुमार भाजपा से अलग हो चुके थे। 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को बिहार में काफी सीटें मिली। इससे जदयू खेमें में आने वाले बिहार विधानसभा चुनाव में जीत को लेकर एक संशय का माहौल बन गया था। 

2014 लोकसभा चुनाव के बाद कुछ मनमुटाव की वजह से भाजपा ने प्रशांत किशोर से रिश्ता तोड़ लिया था। वहीं नीतीश कुमार को एक ऐसे व्यक्ति की जरूरत थी, जो भाजपा को बिहार में पटखनी देने में उनकी मदद करे। चुनाव से पहले प्रशांत किशोर से नीतीश कुमार ने संपर्क किया। प्रशांत किशोर की बनाई रणनीति का नीतीश कुमार को कुछ फायदा हुआ था।

पीएम मोदी की जीत के लिए रणनीति तैयार करने वालों में थे शामिल

प्रशांत किशोर ने भाजपा और नरेंद्र मोदी के साथ मिलकर 2012 में गुजरात में इलेक्शन कैम्पेन किया। 2014 के लोकसभा चुनाव में वे नरेंद्र मोदी व भाजपा के रणनीतिकारों में से एक थे। चुनाव हालांकि सरकार गठन के बाद उनका अमित शाह के साथ अच्छे संबंध नहीं रह गए थे। इसलिए उन्होंने भाजपा का साथ छोड़ दिया था।

बिहार चुनाव के बाद नहीं चला प्रशांत किशोर का जादू 
बिहार चुनाव के बाद प्रशांत किशोर का जादू कहीं नहीं चल सका। उत्तर प्रदेश में वे कांग्रेस पार्टी के अभियान की रूपरेखा तय करने गये। खाट सभा करवायी। इसके बावजूद उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की खटिया खड़ी हो गई। 

पंजाब में चुनाव के दौरान खुद को अभियान से कर लिया था अलग 

बिहार में सरकार बनने के बाद प्रशांत किशोर पंजाब में कांग्रेस के अमरिंदर सिंह को सत्ता में पहुंचाने के लिए चले गये। लेकिन बीच चुनाव में ही किसी बात को लेकर वे चुनाव अभियान से अलग हो गये। 

फिलहाल दक्षिण भारत में कर रहे कैंप 
इन दिनों उत्तर प्रदेश और पंजाब में करिश्माई जादू न चलने के बाद प्रशांत किशोर इन दिनों दक्षिण भारत में किसी काम में व्यस्त हैं। सूत्रों का कहना है कि प्रशांत किशोर महागठबंधन के टूटने से निराश हैं। उनका कहना है कि 2019 के लोकसभा चुनाव में नीतीश कुमार विपक्ष की ओर से प्रधानमंत्री पद का चेहरा बन सकते थे। भाजपा के साथ आ जाने से कई संभावनाओं पर पानी फिर गया है। प्रशांत किशोर ने नीतीश कुमार को नई सरकार गठन के लिए फोन पर बधाई दी है।

 


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