बक्सर के कलाकारों ने भरत मिलाप में किया भावुक
दशहरा कमेटी की ओर से गांधी मैदान स्थित बिहार चैंबर ऑफ कॉमर्स में भरत मिलाप का आयोजन
पटना। दशहरा कमेटी की ओर से गांधी मैदान स्थित बिहार चैंबर ऑफ कॉमर्स में भरत मिलाप का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्वलन के साथ हुई। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि केंद्रीय राज्य स्वास्थ्य मंत्री अश्विनी चौबे ने कहा कि भारत की संस्कृति प्राचीन है। हम विश्व बंधुत्व के लिए जाने जाते हैं। पूरे विश्व को हमने राम की संस्कृति से जोड़ने का काम किया है। भाई हो तो भरत जैसा। जब तक त्याग नहीं होगा भरत का मिलाप नहीं हो सकता है। भरत का त्याग पूरे दुनिया में ओझल नहीं किया जा सकता है। हर व्यक्ति को अपने मन के अंदर के रावण को जलाकर राम को लाना होगा। उन्होंने बिहार के बाढ़ पीड़ितों के प्रति संवेदना जताई। कहा कि भारत को राफेल की शक्ति मिली है। हम शक्ति के बल पर किसी को डराते नहीं है। हम सत्य और अहिसा के बल पर देश को आगे बढ़ाएंगे। 21वीं सदी का भारत निश्चित रूप से विश्व गुरु होगा। श्री दशहरा कमेटी के सचिव अरुण कुमार ने कहा कि भरत मिलाप में बक्सर से आए कलाकारों ने दमदार प्रस्तुति से श्रद्धालुओं को भावुक कर दिया। भजन गायन और नृत्य रसियन कलाकारों के द्वारा किया जा रहा है। श्रीमन नारायण दास भक्त माली (मामा जी बक्सर वाले) के परिकरों द्वारा भरत मिलाप का प्रदर्शन किया गया। भरत मिलाप का निर्देशन अशोक मिश्रा ने किया।
रावण वध का प्रसंग देखकर भाव-विभोर हुए श्रद्धालु
छज्जूबाग में श्रीराम समिति द्वारा नौ दिवसीय रामलीला महोत्सव 2019 के अंतिम दिन की आरती में भाजपा संगठन महामंत्री नागेंद्र जी, विधायक अरूण कुमार सिन्हा, अमृता भूषण, रूपनारायण मेहता, प्रवीण चंद्र राय, आशीष सिन्हा, अभय गिरी, विकास सिन्हा, संतोष पाठक ने प्रभुराम लक्ष्मण का पूजन किया। छज्जूबाग में श्रीराधासर्वेश्वर ब्रज के रामभक्तों ने रावण वध के अंतिम प्रसंग दृश्य में सबको भावविभोर कर दिया। मंचन में दिखाया गया कि जब हनुमान सीता की खोज में लंका पहुंचे और सीता माता को श्रीराम का संदेश देने के बाद अशोक वाटिका में क्षुधा शात कर रहे थे तभी रावण के सैनिकों ने हनुमान को बंधक बना लिया था। जब सैनिकों ने हनुमान की पूंछ जलानी चाही तो हनुमान ने सोने की लंका को जलाकर भस्म कर डाला था। जब रावण अपने 10 सिरों को काटकर महामृत्युंजय मंत्र का जाप कर रहा था तब जाने क्या सोचकर उसने 11वा सिर नहीं काटा। इससे 11वें रुद्र रुष्ट हो गए। यही रुद्र त्रेतायुग में हनुमानजी के रूप में अवतरित हुए और उन्हीं के हाथों लंका का दहन हुआ। लंका दहन के बाद समुद्र के रास्ते लौट रहे हनुमान जी को ख्याल आया कि जब लंका की समस्त जनता इस आग में जलकर भस्म हो जाएगी तो सीता माता कैसे बच पाएंगी। कहीं ऐसा न हो कि सीता माता पर भी आग की लपटें आ जाए। हनुमान जी सोचने लगे कि यदि आग में जलकर सीता माता के साथ कुछ हो गया तो मैं प्रभु श्रीराम को क्या मुंह दिखाउंगा। वो सोचने लगे कि श्रीराम कहेंगे कि जिसे सीता की सुध लेने भेजा था वहीं सीता को आग में झोंककर लौट आया। लंका दहन के बाद जब हनुमान जी वापस श्रीराम के पास पहुंचे तो उन्होंने पूछा मैंने तो आपको सीता की कुशलक्षेम लेने भेजा था आपने तो लंका ही जला डाली। तब हनुमान ने भगवान राम से कहा- बिना आपकी मर्जी के पत्ता तक नहीं हिलता, फिर लंका दहन तो बहुत बड़ी बात है। इस दौरान लंका कांड के सभी प्रसंग दिखाए गए। अंत में रावण के वध के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ।