ट्रक चालकों से एक-एक रुपये चंदा ले बनाया ब्लड बैंक
राष्ट्रीय स्वैिछक रक्तदान दिवस पर विशेष -------- -भभुआ जिले मोहनियां में जीटी रोड पर बनाया पहला ब्लड बैंक -डॉ. विनय बहादुर सिन्हा वर्तमान में 17 सरकारी व पांच रेडक्रॉस के ब्लड बैंकों का कर रहे संचालन --------- -वर्ष 2001 में सेवानिवृत्त होने के बाद रेडक्रॉस में अपनी सेवा देनी शुरू की -2009 में 17 सरकारी ब्लड बैंकों के संचालन की जिम्मेदारी सरकार ने दी ----------
नीरज कुमार, पटना
दृढ़ इच्छाशक्ति हो तो कोई भी मुकाम आसानी से प्राप्त किया जा सकता है। बिहार रेडक्रॉस के अध्यक्ष डॉ. विनय बहादुर सिन्हा ने कुछ ऐसा ही कर दिखा।
बात वर्ष 1992 की है। डॉ. विनय भभुआ जिले मोहनियां में रेफरल अस्पताल के प्रभारी थे। अस्पताल जीटी रोड पर स्थिति है। प्रतिदिन कोई न कोई दुर्घटना होती थी और खून के अभाव में मरीज दम तोड़ देते थे। उन्होंने संकल्प लिया कि हर हाल में यहां पर एक ब्लड बैंक बनाएंगे। इसके लिए उनके पास रुपये नहीं थे। काफी सोच-विचार के बाद उन्होंने जीटी रोड के ट्रक चालकों से एक रुपये चंदा लेने का मन बनाया। काफी संख्या में ट्रक चालकों ने इस अभियान में साथ दिया और एक वर्ष के प्रयासों से मोहनियां में ब्लड बैंक बनकर तैयार हो गया। तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद ने उद्घाटन किया। इस ब्लड बैंक की स्थापना पर लगभग पांच लाख रुपये खर्च हुए। अपने प्रयास में सफलता मिलने के बाद उन्होंने निश्चय किया कि राज्य में अधिक से अधिक ब्लड बैंक बनाएंगे।
वर्ष 2001 में वे सेवानिवृत्त हुए। इसके बाद उन्होंने रेडक्रॉस में अपनी सेवा देनी शुरू की। यहां पर उन्होंने वर्ष 2005 में ब्लड बैंक बनाने का काम शुरू किया। एक वर्ष में उन्होंने रेडक्रॉस में ब्लड बैंक बना दिया। उन्होंने न केवल ब्लड बैंक बनाया, बल्कि उसे सफलतापूर्वक चलाया भी। रेडक्रॉस ब्लड बैंक के सफल संचालन को देखते हुए राज्य सरकार ने वर्ष 2009 में 17 सरकारी ब्लड बैंकों के संचालन की जिम्मेदारी डॉ. सिंहा को सौंप दी। वर्तमान में वे 17 सरकारी के अलावा पांच रेडक्रॉस के ब्लड बैंकों का संचालन कर रहे हैं। राज्य में प्रतिवर्ष 1.5 लाख यूनिट रक्त लोगों को चढ़ाया जाता है। इसमें लगभग 60 हजार यूनिट रक्त की आपूर्ति रेडक्रॉस से जुड़े ब्लड बैंक कर रहे हैं।
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हर जिले में ब्लड बैंक
बनाने की तैयारी
डॉ. सिन्हा कहते हैं, ब्लड की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए हर जिले में ब्लड बैंक बनाने की जरूरत है। इसके अलावा हर व्यक्ति को जागरूक करना होगा। अभी भी रक्तदान करने से लोग परहेज करते हैं। पढ़े-लिखे लोग भी अपने स्वजनों के लिए रक्तदान नहीं करना चाहते हैं।
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तीन माह पर कर
सकते रक्तदान
डॉ. अशोक कुमार कहते हैं, एक स्वस्थ आदमी हर तीन माह पर रक्तदान कर सकता है। रक्तदान करने से व्यक्ति को किसी प्रकार की कमजोरी नहीं होती।