उत्तर बिहार में लोकसभा का प्रदर्शन दोहराने की भाजपा की तैयारी
पिछले लोकसभा चुनावों में उत्तर बिहार में वाल्मीकिनगर से लेकर बेगूसराय तक विपक्ष का सूपड़ा साफ कर देने के बाद भाजपा और उसके सहयोगी दल विधानसभा चुनाव में भी इस कामयाबी को दोहराने की तैयारी में हैं।
पटना [सुभाष पांडेय]। पिछले लोकसभा चुनावों में उत्तर बिहार में वाल्मीकिनगर से लेकर बेगूसराय तक विपक्ष का सूपड़ा साफ कर देने के बाद भाजपा और उसके सहयोगी दल विधानसभा चुनाव में भी इस कामयाबी को दोहराने की तैयारी में हैं।
उत्तर बिहार की सभी 18 लोकसभा सीटों पर कब्जे से उत्साहित भाजपा व सहयोगी दल इस मामले में कोई रिस्क लेने को तैयार नहीं है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मुजफ्फरपुर में 25 जुलाई को होने वाली परिवर्तन रैली इसी तैयारी का हिस्सा माना जा रहा है।
भाजपा और उसके सहयोगी दलों का मजबूत गढ़ माने जा रहे इस इलाके में मोदी की बड़ी रैली करके राजग अपने प्रचार अभियान की शुरुआत ही धमाकेदार तरीके से करना चाहता है। इलाके में अपने बढ़ते प्रभाव से उत्साहित राजग विधानसभा चुनावों में इसका पूरा फायदा उठाना चाह रहा है।
लोकसभा चुनाव में भाजपा और उसके सहयोगी दलों ने उत्तर बिहार की सभी 18 सीटें जीतने में कामयाबी हासिल की थी। वाल्मिकीनगर, बेतिया, पूर्वी चंपारण, गोपालगंज,सिवान, महाराजगंज, छपरा, शिवहर, मुजफ्फरपुर, उजियारपुर, झंझारपुर, मधुबनी, दरभंगा और बेगूसराय की सीटें भाजपा ने और हाजीपुर, वैशाली और समस्तीपुर की सीटें सहयोगी दल लोजपा तथा सीतामढ़ी की सीट रालोसपा ने जीती।
इस पूरे इलाके में नरेंद्र मोदी का जादू कुछ ऐसा चला कि राजद, जदयू और कांग्रेस को एक अदद सीट तक नहीं मिल सकी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जादू का असर कम होने की बात कर रहे विरोधी दलों को हाल में हुए विधान परिषद चुनाव परिणामों ने पूरी तरह चुप करा दिया है।
इलाके में राजग की मजबूत पकड़ का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि हाल ही में हुए विधान परिषद के चुनावों में भी भाजपा को यहां भारी सफलता मिली है। पार्टी के प्रत्याशी मोतिहारी, गोपालगंज, सिवान, छपरा, मधुबनी, दरभंगा, समस्तीपुर और बेगूसराय की सीटें जीतने में कामयाब रहे।
भाजपा को नवंबर 2010 के विधानसभा चुनाव में भी मुजफ्फरपुर प्रमंडल में 21 सीटें हासिल हुई थीं। यही नहीं मुजफ्फरपुर शहर की सीट जहां से उसके प्रत्याशी सुरेश शर्मा कई बार लगातार चुनाव हारते रहने के बाद पहली बार चुनाव जीते। भाजपा और सहयोगी दलों को पूरा भरोसा है कि लोकसभा चुनावों से शुरू हुआ जीत का सिलसिला विधानसभा चुनावों तक जारी रहेगा।
नेपाल की सीमा से सटा होने के कारण वैसे भी यह पूरा इलाका चुनाव के दृष्टिकोण से काफी संवेदनशील माना जाता है। सीमावर्ती इलाकों में मदरसों में पाक खुफिया एजेंसियों की घुसपैठ और जाली नोटों के कारोबार के कारण इस इलाके में चुनाव आते-आते वैसे भी ध्रुवीकरण होता रहा है।