बिहारी टैलेंट का जलवा- पटना का एक डॉक्टर, जो अब है रूस में पुतिन का MLA
बिहार के पटना निवासी अभय कुमार सिंह ने अब अपनी पहचान रूस के कुर्स्क प्रांत के डेप्यूतात के रूप में बनाई है। डेप्यूतात यानि एमएलए, वो भारतीय मूल के डेप्यूतात बनाए गए हैं।
पटना [जेएनएन]। बिहारी टैलेंट को पूरी दुनिया जानती है। बिहारियों ने देश-विदेश में नाम कमाया है। कहावत भी है-एक बिहारी, सब पर भारी...और इस बार फिर एक बिहारी ने अपनी उपलब्धि से देश दुनिया में बिहार का नाम रौशन किया है और वो हैं-पटना के रहने वाले अभय कुमार सिंह, जिन्होंने कुर्स्क नाम के रूसी प्रांत की सरकार में डेप्यूतात बने हैं। बता दें कि कुर्स्क वही प्रांत है जहां एडोल्फ हिटलर की सेना को हार का सामना करना पड़ा था.
जिस तरह हमारे देश भारत के किसी राज्य में विधायक या एमएलए होता है, रूस में डेप्यूतात का वही मतलब है। तो पटना के अ्भय कुमार सिंह रूस में भारतीय मूल के डेप्यूतात बने हैं, जो हमारे लिए गौरव की बात है। इस खबर से पटनावासी बहुत खुश हैं।
भारतीय मीडिया में पहली बार ख़ास बात ये भी है कि अभय कुमार सिंह ने व्लादीमिर पुतिन की 'यूनाइटेड रशा' पार्टी के टिकट पर चुनाव जीता है। पटना में जन्मे अभय सिंह के मुताबिक़, "मैं राष्ट्रपति पुतिन से बहुत प्रभावित रहा और फिर मैंने राजनीति में प्रवेश करने का फ़ैसला लिया।"
मॉस्को के एक होटल में चाय पीते हुए उन्होंने एक न्यूज चैनल से बात करते हुए कहा कि, "भारतीय या अंतरराष्ट्रीय मीडिया के साथ ये मेरा पहला इंटरव्यू है।"दरअसल, 'यूनाइटेड रशा' रूस की सत्ताधारी पार्टी है जिसने हाल के आम चुनावों में देश की संसद (दूमा) में 75 फ़ीसदी सांसद भेजे हैं, यहां पिछले 18 वर्षों से पुतिन सत्ता में हैं।
हालांकि पुतिन ने 2018 का चुनाव बतौर निर्दलीय उम्मीदवार लड़ कर जीता लेकिन पार्टी का पूरा समर्थन उनके पीछे रहा है। पटना के रहने वाले अभय कुमार सिंह ने इस चुनाव के कुछ महीने पहले अक्तूबर, 2017 में व्लादिमीर पुतिन की पार्टी के उम्मीदवार के तौर पर कुर्स्क विधानसभा का चुनाव जीत लिया था।
बिहार से रिश्ता बरकरार
अभय ने बताया कि मेरा जन्म पटना में हुआ और मैंने लोयोला स्कूल से पढ़ाई की। 1991 में मैं कुछ दोस्तों के साथ मेडिकल की पढ़ाई करने रूस आया था।" अभय के अनुसार 'काफ़ी मेहनत से पढ़ाई पूरी कर' वे पटना वापस लौटे। बिहार से उनका रिश्ता बना हुआ है और वे पटना भी आते हैं।
दवा के बिजनेस से की थी शुरुआत
उन्हें याद है कि "शुरुआत में बिज़नेस करने में खासी मुश्किल होती थी क्योंकि मैं गोरा भी नहीं था, लेकिन हमने भी तय कर रखा था और कड़ी मेहनत के साथ अड़े रहेंगे।" जैसे-जैसे अभय के पैर रूस में जमते गए व्यापार में भी बढ़ोत्तरी हुई। फार्मा के बाद अभय ने रियल एस्टेट में हाथ आज़माया और उनके मुताबिक़ "आज हमारे पास कुछ शॉपिंग मॉल भी हैं।"
पुतिन से बहुत प्रभावित हैं
रूसी राष्ट्रपति पुतिन से प्रभावित अभय को इस बात पर 'गर्व है कि भारतीय होने के बावजूद वे रूस में रम गए और आज वहां पर चुनाव भी जीत चुके हैं।" उन्होंने बताया कि आज भी कोशिश रहती है कि जब समय मिले तो बिहार ज़रूर आएं क्योंकि 'सभी मित्र और रिश्तेदार पटना में ही हैं।"