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Bihar Vidhan Sabha Monsoon Session: बिहार में मानसून सत्र में ही आखिरी सांस लेगी दलीय निष्ठा

बिहार विधानमंडल का मानसून सत्र छोटा है सिर्फ तीन दिनों का किंतु घमासान बड़ा होगा। इस बार के मानसून सत्र में विधानसभा में भी दोनों ओर के सदस्यों की निष्ठा तराजू पर होगी।

By Akshay PandeyEdited By: Published: Thu, 30 Jul 2020 04:09 PM (IST)Updated: Thu, 30 Jul 2020 04:09 PM (IST)
Bihar Vidhan Sabha Monsoon Session: बिहार में मानसून सत्र में ही आखिरी सांस लेगी दलीय निष्ठा
Bihar Vidhan Sabha Monsoon Session: बिहार में मानसून सत्र में ही आखिरी सांस लेगी दलीय निष्ठा

अरविंद शर्मा, पटना। बिहार विधानमंडल का मानसून सत्र तीन अगस्त से शुरू होने जा रहा है। सत्र छोटा है, सिर्फ तीन दिनों का, किंतु घमासान बड़ा होगा। 29 नवंबर को समाप्त होने जा रहे वर्तमान विधानसभा का यह आखिरी सत्र भी होगा। इसके बाद सभी दल चुनाव मैदान की ओर प्रस्थान कर जाएंगे। जाहिर है, सियासी हवा और हार-जीत की संभावनाओं के हिसाब से सदन में निष्ठा बदलकर अपने अनुकूल दलों के साथ खड़े होने का यह आखिरी मौका होगा। जदयू ने कांग्रेस और राजद के विधान पार्षदों को तोड़कर अपने इरादे का इजहार पहले ही कर दिया है। ऐसे में इस बार के मानसून सत्र में विधानसभा में भी दोनों ओर के सदस्यों की निष्ठा तराजू पर होगी। राजद-कांग्रेस के सामने अपने कुनबे को बचाए-बनाए रखने की बड़ी चुनौती हो सकती है। जदयू-भाजपा को भी सतर्क रहने की जरूरत पड़ेगी। बागियों के बोल दोनों तरफ से अभी से ही सुने जा रहे हैं। 

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लीय बंदिशों से होंगे मुक्त!

तीन साल पहले महागठबंधन में उलट-पुलट के चलते करीब तीन से पांच दर्जन से ज्यादा विधायकों के क्षेत्रों का सामाजिक समीकरण बदल गया है। कुछ ऐसे भी हैं, जो पिछले पांच वर्षों में अपने दल की लाइन से भटक चुके हैं। ऐसे विधायक भी अपने वोटों के हिसाब से अन्य दलों में अपने लिए संभावनाएं तलाशने में जुटे हैं। मानसून सत्र के बाद दलीय बंदिशों से मुक्त होकर वे अपनी राजनीति को आसानी से इधर-उधर शिफ्ट कर सकते हैं। हालांकि दोनों ओर से भाग-दौड़ तो पहले से शुरू हो चुकी है, लेकिन चुनाव करीब आते देख इसमें तेजी आ सकती है।सत्तारूढ़ गठबंधन में कुछ ऐसे भी विधायक हैं, जो इस बार बेटिकट हो सकते हैं। उन्हें सदन में दोबारा पहुंचने की चिंता है। ऐसे विधायक सुकून की तलाश में दलीय लगाव को तिलांजलि देकर महागठबंधन खेमे में अपने लिए संभावनाएं तलाशने की जुगत लगा सकते हैं। 

जदयू की लाइन पर राजद के विधायक

राजद प्रमुख लालू प्रसाद के समधी चंद्रिका राय समेत राजद के चार विधायक बहुत पहले से ही पार्टी की लाइन से अलग चल रहे हैं। विधायक प्रेमा चौधरी, फराज फातमी और महेश्वर यादव ने राजद का रास्ता छोड़ दिया है। उक्त सारे के सारे खुलकर जदयू के साथ खड़े नजर आने लगे हैं। करीब दर्जन भर अन्य विधायक कतार में हैं, जिनकी निष्ठा से पर्दा उठना अभी बाकी है। माना जा रहा है कि मानसून सत्र के दौरान बागी विधायक अपने बयानों से अपने दल के नेता को असहज कर सकते हैं। पिछले महीने ही राजद के पांच विधान पार्षद कमर आलम, दिलीप राय, संजय प्रसाद, राधाचरण सेठ एवं रणविजय सिंह ने पाला बदलकर पार्टी के लिए खतरे का संकेत दे दिया है। 

कांग्रेस को भी लग सकता है झटका

विधान परिषद में करीब ढाई साल पहले टूट चुकी कांग्रेस पर विधानसभा में भी टूटने का खतरा है। हालांकि इस बार टूट को पाला बदलने के रूप में ही देखा जाएगा। भवन निर्माण मंत्री अशोक चौधरी ने चार एमएलसी के साथ फरवरी 2018 में कांग्रेस छोड़कर जदयू का दामन थाम लिया था। उनके कई करीबी विधायक अभी कांग्रेस में ही हैं। कहा जा रहा है कि ऐसे विधायक अशोक चौधरी के संपर्क में हैं। टिकट मिलने की गारंटी पर उधर से इधर आने में देर नहीं लगाएंगे। 


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