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बिहार: वैशाली पुलिस ने सात महीने में दर्ज की बाइक चोरी की एक FIR, वो भी अदालत के हस्‍तक्षेप के बाद

बिहार पुलिस हमेशा ही अपने कारनामे को लेकर चर्चा में रहती है। एक बाइक चोरी की घटना ने पुलिस की कार्यशैली की कलई खोल दी है। काफी प्रयास के बाद एक बाइक चोरी की प्रथमिकी सात महीने बाद थाने में दर्ज हो सकी।

By Sumita JaiswalEdited By: Published: Wed, 21 Apr 2021 07:46 PM (IST)Updated: Wed, 21 Apr 2021 09:57 PM (IST)
बिहार: वैशाली पुलिस ने सात महीने में दर्ज की बाइक चोरी की एक FIR, वो भी अदालत के हस्‍तक्षेप के बाद
हैरान कर देते हैं पुलिस के कारनामे, सांकेतिक तस्‍वीर

हाजीपुर, जागरण संवाददाता। बिहार पुलिस हमेशा ही अपने कारनामे को लेकर चर्चा में रहती है। ताजा बानगी यह केस है। पुलिस-पब्लिक संबंध को लेकर कितनी भी कोशिश की जाए लेकिन इसमें सुधार की दूर-दूर तक कोई उम्मीद नहीं दिखती। एक बाइक चोरी की घटना ने पुलिस की कार्रवाई और उसकी कार्यशैली की कलई खोल दी है। काफी प्रयास के बाद एक बाइक चोरी की प्रथमिकी सात महीने बाद थाने में दर्ज हो सकी।

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जानकारी के अनुसार देसरी के मनोज कुमार चक्रवर्ती की बाइक 14 सितंबर 2020 को उसका दोस्त लखनपुर निवासी हरेंद्र राय मांग कर देसरी हाट ले गए थे। हाट के निकट लगाकर वह सब्जी लेने गए तब तक बाइक चोरी चली गई। बाइक चोरी की सूचना मनोज कुमार चक्रवर्ती ने देसरी थाना में देकर प्राथमिकी दर्ज करने की गुहार लगाई। लेकिन पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं किया। इसके बाद 26 सितंबर 2020 को उसने मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी के न्यायालय में बाइक चोरी का मामला दायर किया। कोरोना काल में समुचित पैरवी नहीं किए जाने के कारण मामला खारिज हो गया। पुन: उसने 2 मार्च 2021 को मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी के न्यायालय में दूसरा मामला दायर किया। मामले को न्यायालय ने देसरी थाने में दर्ज करने का आदेश देते हुए पुलिस को भेज दिया।

आखिरकार सात माह बाद दर्ज हुई एफआइआर

न्यायालय के हस्तक्षेप पर घटना के करीब सात माह बाद देसरी पुलिस ने बाइक चोरी की प्राथमिकी अज्ञात चोर के विरुद्ध दर्ज की है। बताते हैं कि एक बाइक चोरी की प्राथमिकी दर्ज कराने के लिए पीडि़त को इतने पापड़ बेलने पड़ रहे हैं तो अन्य तरह के मामले में पुलिस किस कदर साधारण गरीब लोगों को परेशान करती है, इसका सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है। सरकार के स्तर पर पुलिस-पब्लिक संबंध बेहतर करने पर जोर दिया जा रहा है, लेकिन निचले स्तर पर यह कहीं भी कारगर नहीं दिख रहे हैं।


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