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बिहार के तीन हजार वार्ड सदस्य व पंच होंगे बेरोजगार, कई मुखिया की भी जाएगी कुर्सी

पंचायतों के कुछ और क्षेत्र नगर निकायों में शामिल होंगे। सरकार जिलों से आए प्रस्ताव पर शीघ्र ही निर्णय करेगी। इसके बाद ही नगर निकाय चुनाव कराने की तैयारी शुरू होगी। सरकार की योजना कुछ और नगर निकाय भी बनाने की है।

By Akshay PandeyEdited By: Published: Tue, 18 Jan 2022 10:31 PM (IST)Updated: Wed, 19 Jan 2022 12:55 PM (IST)
बिहार के तीन हजार वार्ड सदस्य व पंच होंगे बेरोजगार, कई मुखिया की भी जाएगी कुर्सी
बिहार की पंचायतों के कुछ और क्षेत्र नगर निकायों में शामिल होंगे। सांकेतिक तस्वीर।

राज्य ब्यूरो, पटना : बिहार की पंचायतों के कुछ और क्षेत्र नगर निकायों में शामिल होंगे। सरकार जिलों से आए प्रस्ताव पर शीघ्र ही निर्णय करेगी। इसके बाद ही नगर निकाय चुनाव कराने की तैयारी शुरू होगी। सरकार की योजना कुछ और नगर निकाय भी बनाने की है। हालांकि अभी इस पर अंतिम रूप से निर्णय नहीं हुआ है। साथ ही कुछ नगर पंचायत और नगर परिषद को अपग्रेड करने की भी तैयारी है। इसके बाद ही नगर निकाय चुनाव कराने के लिए शहरी आबादी का निर्धारण किया जाएगा। वर्तमान में नगर निकायों की संख्या 263 हो चुकी है। इसमें पिछले डेढ़ वर्ष में सरकार ने 120 नए नगर निकायों के गठन को मंजूरी दी है। वहीं, अभी कुछ जिलों को प्रस्ताव लंबित है। शीघ्र ही इस पर निर्णय की तैयारी है। हाल ही में मुंगेर जिले के तारापुर विधानसभा क्षेत्र की जनता को सरकार ने रिटर्न गिफ्ट देते हुए असरगंज को नगर पंचायत क्षेत्र घोषित किया था। इसके अलावा दरभंगा जिले के दो नगर निकायों के क्षेत्र का विस्तार किया गया था। अब जिलों से मिले नए प्रस्ताव पर शीघ्र ही कैबिनेट की मुहर लगेगी।

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  • कुल नगर निकाय हैं 263
  • 19 नगर निगम 
  • 89 नगर परिषद 
  • 155 नगर पंचायत

तीन हजार वार्ड सदस्य व पंच होंगे बेरोजगार

सरकार द्वारा नगर निकायों के क्षेत्र में लगातार किए जा रहे विस्तार के कारण अभी तक करीब तीन हजार वार्ड सदस्य और पंचों का कार्यकाल महज छह महीने में समाप्त हो जाएगा। इसी तरह कई मुखिया की कुर्सी भी चली जाएगी। उदाहरण के तौर पर मधुबनी जिले में झंझारपुर नगर पंचायत के नगर परिषद बनते ही बेहट दक्षिणी और उत्तरी पंचायत के दो मुखिया, दो सरपंच, मुंगेर जिले के असरगंज नगर पंचायत बनने से एक मुखिया और एक सरपंच के अलावा 50 से अधिक वार्ड सदस्य और पंचों की कुर्सी खिसक चुकी है।

कानून में बदलाव का मिला फायदा

सरकार ने नए निकायों के गठन संबंधित मानकों में बदलाव का निर्णय छह मई 2020 को लिया था। इसके बाद तेजी से अनुमंडल मुख्यालय वाले शहरों की पात्रता नगर निकाय बनाने के लिए बढ़ गई थी।

अब यह होगा लाभ

वित्त आयोग से शहरी निकायों को गांव की अपेक्षा ज्यादा अंशदान मिलेगा। राज्यांश और केंद्रांश की भी हिस्सेदारी मिलेगी। डेढ़ वर्ष पहले बिहार का शहरीकरण महज 11 प्रतिशत था, जो देश में सबसे कम था। नए निकाय बनने से राज्य का शहरीकरण का प्रतिशत तेजी बढऩे की उम्मीद जगी है।

मांगी गई है अधिकृत जानकारी

पंचायत राज मंत्री सम्राट चौधरी ने कहा कि मेरी जानकारी अभी तक करीब तीन हजार वार्ड सदस्य और पंचों का क्षेत्र नए नगर निकायों के गठन के बाद शहरी क्षेत्र में चला गया है। हालांकि यह सत्यापित आंकड़ा नहीं है। जिलों से त्रिस्तरीय पंचायतों और ग्राम कचहरियों के कितने जनप्रतिनिधियों का क्षेत्र शहरी आबादी में चला गया है इसकी अधिकृत जानकारी मांगी गई है।


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