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बिहार में शिक्षक नियुक्ति पर जल्‍द हो सकता है कुछ फैसला, पटना हाई कोर्ट में मामले की सुनवाई शुरू

Government Job in Bihar बिहार के एक लाख 25 हजार प्राथमिक एवं माध्यमिक शिक्षकों की नियुक्ति पर लगे बादल छंटने लगे हैं। बिहार सरकार के आग्रह पर विशेष व्‍यवस्‍था के तहत मामले की सुनवाई शुरू हो गई है।

By Shubh Narayan PathakEdited By: Published: Fri, 28 May 2021 09:47 PM (IST)Updated: Fri, 28 May 2021 09:47 PM (IST)
बिहार में शिक्षक नियुक्ति पर जल्‍द हो सकता है कुछ फैसला, पटना हाई कोर्ट में मामले की सुनवाई शुरू
बिहार में जल्‍द ही हो सकती है शिक्षकों की बहाली। प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर

पटना, राज्य ब्यूरो। Bihar Teacher Recruitment: बिहार के एक लाख 25 हजार प्राथमिक एवं माध्यमिक शिक्षकों की नियुक्ति पर लगे बादल छंटने लगे हैं। बिहार सरकार के आग्रह पर विशेष व्‍यवस्‍था के तहत मामले की सुनवाई शुरू हो गई है। बहाली प्रक्रिया पर लगी रोक को हटाने के लिए दायर रिट याचिका पर शुक्रवार को पटना हाई कोर्ट (Patna High Court) में सुनवाई शुरू हो गई। हालांकि काफी दिनों के बाद सुनवाई दोबारा शुरू होने पर पहले दिन आंशिक रूप से सुनवाई हो पाई। मामले को मुख्य न्यायाधीश संजय करोल (Chief Justice Sanjay Karol) की अध्यक्षता वाली खंडपीठ में सुनवाई हेतु सूचीबद्ध किया गया था।

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महाधिवक्‍ता ने बताया- आरक्षण नियमों का किया गया पालन

सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता ललित किशोर ने अदालत को बताया कि राज्य सरकार ने दिव्यांग उम्मीदवारों को चार प्रतिशत आरक्षण देकर प्रविधानों का पालन किया है और उसके मुताबिक पूरी चयन प्रक्रिया शुरू की गई है। लगभग सवा लाख अभ्यर्थियों की कुल रिक्तियों पर चार प्रतिशत आरक्षण दिया जा रहा है, लेकिन पूर्व के स्थगन आदेश के कारण अंतिम चयन सूची अधिसूचित नहीं की जा सकी।

सरकार की तरफ से महाधिवक्‍ता ने सामने रखे दो सुझाव

महाधिवक्ता ने कहा कि या तो रिट याचिका के अंतिम परिणाम के अधीन राज्य सरकार को नियुक्तियों को अंतिम रूप देने की अनुमति दी जाए या वैकल्पिक रूप से दिव्यांग उम्मीदवारों के लिए कुल रिक्तियों में से चार प्रतिशत उनके लिए आरक्षित रखने की अनुमति दी जाए। इसे बाद में भर दिया जाएगा। इस बीच शेष उम्मीदवारों की नियुक्त की अनुमति दी जाए।

नेत्रहीन संघ की ओर से भी रखा गया पक्ष

नेत्रहीन संघों की तरफ से वरीय अधिवक्ता एसके रूंगटा ने दलील दी कि दिव्यांगों के लिए रिक्तियों को पहले अधिसूचित किया जाना चाहिए, जो दिव्यांग अभ्यर्थी आवेदन नहीं कर सके हैं, उन्हें नए सिरे से आवेदन करने की अनुमति मिले। उसके बाद अंतिम रूप से नियुक्ति की जाए। महाधिवक्ता ने याचिकाकर्ता की अपील का विरोध करते हुए कहा कि  इससे पहले से चयनित उम्मीदवारों की नियुक्ति में अनावश्यक देरी होगी। अगली सुनवाई 31 मई को होगी।


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