ARMY DAY 2019: शहादत व शौर्य का लंबा इतिहास समेटे है बिहार रेजिमेंट
बिहार की राजधानी पटना के दानापुर में भारतीय सेना के बिहार रेजिमेंट का मुख्यालय है। थल सेना दिवस के अवसर पर नजर डालते हैं इस रेजिमेंट की वीरता व शहादत की गाथाओं पर।
By Amit AlokEdited By: Published: Tue, 15 Jan 2019 12:32 PM (IST)Updated: Tue, 15 Jan 2019 01:07 PM (IST)
पटना [जेएनएन]। 'जय बजरंगबली' और 'बिरसा मुंडा की जय' की हुंकार करते हुए दुश्मनों पर टूट पड़ना...बिहार रेजीमेंट की यही पहचान है। अपने प्राणों की आहुति देकर मातृभूमि की रक्षा करने का बिहार रेजिमेंट सेंटर (बीआरसी) का समृद्ध इतिहास रहा है। इस रेजीमेंट ने दूसरे विश्व युद्ध में हिस्सा लिया था। रेजिमेंट को अपने गठन से लेकर अब तक के इतिहास में तीन 'अशोक चक्र' और एक 'महावीर चक्र' प्राप्त करने का गौरव हासिल है। हाल की बात करें तो इसने सन् 1999 के कारगिल युद्ध तथा 2016 में पाकिस्तानी आतंकियों से जम्मू-कश्मीर के उरी सेक्टर में आतंकियों के खिलाफ अपने खून से शहादत की गाथ्ााएं लिखीं थीं।
देश का दूसरा सबसे बड़ा कैंटोनमेंट
सन् 1941 में अपने गठन के बाद से देश को जब-जब जरूरत पड़ी, बिहार रेजीमेंट के जांबाज खड़े दिखे। रेजीमेंट का मुख्यालय बिहार की राजधानी पटना के पास दानापुर (दानापुर आर्मी कैंटोनमेंट) में है। यह देश का दूसरा सबसे बड़ा कैंटोनमेंट है।
इतिहास में दर्ज बहादुरी की मिसालें
'कर्म ही धर्म है' के स्लोगन के साथ सीमा की पहरेदारी करने वाले बिहार रेजीमेंट के गठन का श्रेय भले ही अंग्रेजी हुकूमत को जाता है, लेकिन इसने अपने स्थापना काल से बहादुरी और देशभक्ति के जो उदाहरण पेश किए हैं, वे इतिहास में दर्ज हैं।
उरी में रेजिमेंट के 15 जांबाजों ने दी शहादत
बीते 18 सितंबर 2016 को जम्मू कश्मीर के उरी सेक्टर में पाकिस्तानी सीमा से आए घुसपैठिए आतंकियों से लोहा लेते हुए इस रेजीमेंट के 15 जांबाजों ने अपने प्राणों की आहुति दी थी। बताते चलें कि उरी सेक्टर स्थित भारतीय सेना के कैंप पर हुए हमले में कुल 17 वीरों ने अपनी शहादत दी थी, जिनमें सर्वाधिक 15 बिहार रेजिमेंट के थे। इन 15 जांबाजों में छह मूलत: बिहार के थे।
करगिल युद्ध में लिखा इतिहास
करगिल युद्ध में भारत की विजय कहानी लिखने में भी बिहार रेजीमेंट के योद्धाओं का अमूल्य योगदान रहा। बीते जुलाई 1999 में बटालिक सेक्टर के प्वॉइन्ट 4268 और जुबर रिज पर पाकिस्तानी घुसपैठियों ने कब्जा करने की कोशिश की। बिहार रेजीमेंट के योद्धाओं ने उन्हें खदेड़ दिया।
करगिल युद्ध में शहीद कैप्टन गुरजिंदर सिंह सूरी को मरणोपरांत महावीर चक्र से तो मेजर मरियप्पन सरावनन को मरणोपरांत वीर चक्र से सम्मानित किया गया। पटना के गांधी मैदान के पास करगिल चौक पर करगिल युद्ध में शहीद 18 जांबाजों की शहादत की याद में स्मारक बनाया गया है।
मुंबई हमले में मेजर उन्नीकृष्णन शहीद
2008 में जब मुंबई में हमला हुआ था तब एनएसजी के मेजर संदीप उन्नीकृष्णन ऑपरेशन ब्लैक टोरनांडो में शहीद हो गए थे। मेजर संदीप बिहार रेजीमेंट के थे, जो प्रतिनियुक्ति पर एनएसजी में गए थे।
बांगलादेश युद्ध में 96 हजार पाकिस्तानी सैनिकों को काराया था सरेंडर
बंगलादेश युद्ध के दौरान बिहार रेजिमेंट ने पाकिस्तानी सेना से दो-दो हाथ किया था। उस दौर में इस रेजिमेंट के वीर सैनिकों ने गोलियां कम पड़ गईं तो कई पाकिस्तानियों को संगीनों से ही चीर दिया था। बंगलादेश में पाकिस्तान के साथ युद्ध में शिरकत कर चुके रामसुभग सिंह ने बीते दिनों बताया था कि उस युद्ध में पाकिस्तानी सैनिक प्राणों की भीख मांग रहे थे।
उस युद्ध में पाकिस्तान के 96 हजार सैनिकों ने बिहार रेजिमेंट के जांबाजों के सामने ही सरेंडर (आत्मसमर्पण) किया था, वह विश्व में लड़े गए अबतक के सभी युद्धों में एक रिकॉर्ड है।
देश का दूसरा सबसे बड़ा कैंटोनमेंट
सन् 1941 में अपने गठन के बाद से देश को जब-जब जरूरत पड़ी, बिहार रेजीमेंट के जांबाज खड़े दिखे। रेजीमेंट का मुख्यालय बिहार की राजधानी पटना के पास दानापुर (दानापुर आर्मी कैंटोनमेंट) में है। यह देश का दूसरा सबसे बड़ा कैंटोनमेंट है।
इतिहास में दर्ज बहादुरी की मिसालें
'कर्म ही धर्म है' के स्लोगन के साथ सीमा की पहरेदारी करने वाले बिहार रेजीमेंट के गठन का श्रेय भले ही अंग्रेजी हुकूमत को जाता है, लेकिन इसने अपने स्थापना काल से बहादुरी और देशभक्ति के जो उदाहरण पेश किए हैं, वे इतिहास में दर्ज हैं।
उरी में रेजिमेंट के 15 जांबाजों ने दी शहादत
बीते 18 सितंबर 2016 को जम्मू कश्मीर के उरी सेक्टर में पाकिस्तानी सीमा से आए घुसपैठिए आतंकियों से लोहा लेते हुए इस रेजीमेंट के 15 जांबाजों ने अपने प्राणों की आहुति दी थी। बताते चलें कि उरी सेक्टर स्थित भारतीय सेना के कैंप पर हुए हमले में कुल 17 वीरों ने अपनी शहादत दी थी, जिनमें सर्वाधिक 15 बिहार रेजिमेंट के थे। इन 15 जांबाजों में छह मूलत: बिहार के थे।
करगिल युद्ध में लिखा इतिहास
करगिल युद्ध में भारत की विजय कहानी लिखने में भी बिहार रेजीमेंट के योद्धाओं का अमूल्य योगदान रहा। बीते जुलाई 1999 में बटालिक सेक्टर के प्वॉइन्ट 4268 और जुबर रिज पर पाकिस्तानी घुसपैठियों ने कब्जा करने की कोशिश की। बिहार रेजीमेंट के योद्धाओं ने उन्हें खदेड़ दिया।
करगिल युद्ध में शहीद कैप्टन गुरजिंदर सिंह सूरी को मरणोपरांत महावीर चक्र से तो मेजर मरियप्पन सरावनन को मरणोपरांत वीर चक्र से सम्मानित किया गया। पटना के गांधी मैदान के पास करगिल चौक पर करगिल युद्ध में शहीद 18 जांबाजों की शहादत की याद में स्मारक बनाया गया है।
मुंबई हमले में मेजर उन्नीकृष्णन शहीद
2008 में जब मुंबई में हमला हुआ था तब एनएसजी के मेजर संदीप उन्नीकृष्णन ऑपरेशन ब्लैक टोरनांडो में शहीद हो गए थे। मेजर संदीप बिहार रेजीमेंट के थे, जो प्रतिनियुक्ति पर एनएसजी में गए थे।
बांगलादेश युद्ध में 96 हजार पाकिस्तानी सैनिकों को काराया था सरेंडर
बंगलादेश युद्ध के दौरान बिहार रेजिमेंट ने पाकिस्तानी सेना से दो-दो हाथ किया था। उस दौर में इस रेजिमेंट के वीर सैनिकों ने गोलियां कम पड़ गईं तो कई पाकिस्तानियों को संगीनों से ही चीर दिया था। बंगलादेश में पाकिस्तान के साथ युद्ध में शिरकत कर चुके रामसुभग सिंह ने बीते दिनों बताया था कि उस युद्ध में पाकिस्तानी सैनिक प्राणों की भीख मांग रहे थे।
उस युद्ध में पाकिस्तान के 96 हजार सैनिकों ने बिहार रेजिमेंट के जांबाजों के सामने ही सरेंडर (आत्मसमर्पण) किया था, वह विश्व में लड़े गए अबतक के सभी युद्धों में एक रिकॉर्ड है।
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