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Bihar Politics: तेजस्‍वी यादव का सीएम नीतीश पर बड़ा हमला, कहा-सुशासन-कुशासन क्या, राज्य में कोई शासन ही नहीं है

नेता प्रतिपक्ष तेजस्‍वी यादव ने लॉ एंड ऑर्डर को लेकर सीएम नीतीश कुमार पर बड़ा हमला बोला है। कहा- बिहार में असली जंगल राज एनडीए के शासन में आया है। अपराध में 105 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है।

By Sumita JaiswalEdited By: Published: Wed, 17 Mar 2021 12:19 AM (IST)Updated: Wed, 17 Mar 2021 03:14 PM (IST)
Bihar Politics: तेजस्‍वी यादव का सीएम नीतीश पर बड़ा हमला, कहा-सुशासन-कुशासन क्या, राज्य में कोई शासन ही नहीं है
नेता प्रतिपक्ष तेजस्‍वी यादव की तस्‍वीर ।

पटना, राज्य ब्यूरो । विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने कहा कि बिहार में असली जंगल राज एनडीए के शासन में आया है। आदमी शाम में सुरक्षित घर पहुंचता है तो उसे पुनर्जन्म का अहसास होता है। यहां सुशासन-कुशासन नहीं, कोई शासन ही नहीं है। वे मंगलवार को गृह विभाग के बजट पर बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि 2005 की तुलना में 2019 में अपराध की घटनाओं में 102 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। सत्तारूढ़ दल के सदस्य भी पुलिस की कार्यशैली की आलोचना करते हैं।

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सत्‍तारूढ़ दल के विधायकों की आड़ में नीतीश पर हमला

इस सिलसिले में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल के अलावा भाजपा के कई विधायकों का भी नाम लिया। कहा कि बेकसूर लोग जेल में हैं। अपराधी बाहर घूम रहे हैं। शराबबंदी के मामले में यही हो रहा है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कहते हैं कि हम किसी को बचाते-फंसाते नहीं हैं। हम सबूत देंगे कि राज्य में दोनों काम हो रहा है। सरकार अपराध की घटनाओं को छिपाने में लगी है। इसकी जिम्मेदारी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को लेनी होगी। वे गृह मंत्री भी हैं। उन्होंने कहा कि बिहार पुलिस का अधिक समय शराब से कमाई में व्यतीत होता है।

विपक्ष के नेता ने कहा कि अफसरशाही में वरीयता क्रम का पालन नहीं होता है। कई डीसीएलआर एसडीओ से वरिष्ठ हैं। अफसरों की पोस्टिंग क्षमता से अधिक समीकरण के आधार पर होती है। पसंद के अफसरों को कई विभाग दिए गए हैं। कई अफसरों के पास काम नहीं है। 50 साल से अधिक उम्र के कर्मचारियों की छंटनी की चर्चा हो रही है। यह फार्मूला आइएएस, आइपीएस, मंत्रियों और मुख्यमंत्री पर क्यों नहीं लागू होता है।

अध्‍यक्षों का विरोध

तेजस्वी ने बिहार लोक सेवा आयोग के निवर्तमान अध्यक्षों को महत्वपूर्ण पद देने का भी विरोध किया। उन्होंने कहा कि यह नियम के अनुकूल नहीं है। आयोग के अध्यक्ष अवकाश ग्रहण करने के बाद राज्य सरकार के महत्वपूर्ण पदों पर नहीं बिठाए जा सकते हैं। अवकाश ग्रहण और किसी पद पर बैठने के बीच में दो साल का अंतर होना चाहिए। बिहार में यह नहीं हो रहा है। अध्यक्षों के अवकाश ग्रहण से पहले ही उनके लिए पद सृजित कर दिए जाते हैं।


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