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Bihar Politics: जब कोरोना संक्रमण का पांव थमा तो गरमाने लगी बिहार की राजनीति

हम के अध्यक्ष जीतनराम मांझी इधर अपने ट्वीट से अखाड़ा गर्म किए हैं। उन्होंने पिछले दिनों नीतीश को सलाह दे डाली कि पंचायत प्रतिनिधियों का कार्यकाल छह माह बढ़ाया जाए। हालांकि इसे तवज्जो नहीं मिली और परामर्शी समिति बना दी गई।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Sat, 05 Jun 2021 12:20 PM (IST)Updated: Sat, 05 Jun 2021 12:20 PM (IST)
Bihar Politics: जब कोरोना संक्रमण का पांव थमा तो गरमाने लगी बिहार की राजनीति
बयानों के नेता: जीतनराम मांझी। फाइल मौके की ताक में: मुकेश सहनी। फाइल

पटना, आलोक मिश्रा। बिहार का राजनीति से अटूट रिश्ता है। अवसर चाहे आपदा का हो या उल्लास का, राजनीति की चाल सतत रहती है। इस समय जब कोरोना के पांव कुछ थमते दिख रहे हैं तो बयानों का बाजार गर्म होने लगा है। बयानों की गर्मी से अनेक कयास निकल रहे हैं। तेजस्वी कुछ ठंडे हैं, लेकिन सत्ता पक्ष की आपसी बयानबाजी खासी चर्चा का विषय है। बिहार की सत्ता चार पांवों पर टिकी है जिसमें भाजपा अगर सबसे बड़ी है तो जदयू का मुख्यमंत्री है। चार-चार की संख्या लिए हिन्दुस्तानी अवाम मोर्चा (हम) व विकासशील इंसान पार्टी (वीआइपी) की भी अहमियत कम नहीं है। उन्हीं के बूते कुर्सी टिकी है। अगर वो हिल जाएं तो कुर्सी पर तेजस्वी को काबिज होते देर न लगे।

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हम के अध्यक्ष जीतनराम मांझी इधर अपने ट्वीट से अखाड़ा गर्म किए हैं। उन्होंने पिछले दिनों नीतीश को सलाह दे डाली कि पंचायत प्रतिनिधियों का कार्यकाल छह माह बढ़ाया जाए। हालांकि इसे तवज्जो नहीं मिली और परामर्शी समिति बना दी गई। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी नहीं छोड़ा और वैक्सीनेशन प्रमाणपत्र में लगी उनकी फोटो पर भी सवाल उठा दिए कि इसमें राष्ट्रपति की फोटो लगनी चाहिए। अगर जरूरी है तो पीएम के साथ सीएम की फोटो भी लगे। इसी बीच मांझी और वीआइपी अध्यक्ष मुकेश सहनी की एकांत में बैठक हो गई। इसके बाद मांझी ने लालू और राबड़ी को शादी की सालगिरह की बधाई दे डाली। अटकलों के पर लगने लगे। लेकिन मांझी को जानने वालों ने इसे बहुत सीरियस नहीं लिया। अब मांझी और मुकेश दोनों ही कह रहे हैं कि एनडीए में ही रहेंगे और अपनी बात मनवाएंगे।

भाजपा के एक एमएलसी हैं टुन्ना पाण्डेय। कभी शराब व्यवसाय से जुड़े रहे हैं। सोमवार को आया उनका एक ट्वीट जदयू-भाजपा गठबंधन में ऐसा छौंक मार गया कि दोनों तरफ से छींके शुरू हो गईं। उन्होंने सीधे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर निशाना साध दिया कि इस बार विधानसभा चुनाव में जनता ने तेजस्वी यादव को अपना मत देकर चुना था, लेकिन सरकारी तंत्र का दुरुपयोग करके नीतीश जी आज भी सत्ता पर राज कर रहे हैं। बात जदयू को चुभने वाली थी इसलिए चुभी, लेकिन बोला कोई नहीं। दो दिन की चुप्पी के बाद ताजे-ताजे जदयू में शामिल हुए उपेंद्र कुशवाहा से न रहा गया। टुन्ना के ट्वीट को टैग करते हुए उन्होंने भाजपा प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल को री-ट्वीट कर डाला कि ऐसा बयान अगर जदयू के किसी नेता ने भाजपा के किसी नेता के बारे में दिया होता तो... अब तक...।

इसमें बिना कहे, कही गई उनकी बात बहुत कुछ कह रही थी। इसलिए भाजपा को टुन्ना को कारण बताओ नोटिस जारी करना पड़ा। टुन्ना पाण्डेय सिवान स्थानीय प्राधिकार क्षेत्र से विधान परिषद में चुनकर आए हैं। सिवान, हाल ही में दिवंगत हुए शहाबुद्दीन का क्षेत्र है। सो समीकरण को देखते हुए उनकी निष्ठा उनके प्रति ज्यादा है। चूंकि विधान परिषद का चुनाव किसी पार्टी के सिंबल पर लड़ा नहीं जाता इसलिए टुन्ना के लिए भाजपा का नोटिस भी कोई खास मायने नहीं रखता। उन्होंने कह भी दिया है कि भाजपा की मर्जी है, वो रखे चाहे न रखे। इतना सुनने के बाद जो होना था वही हुआ, शुक्रवार को टुन्ना पार्टी से निलंबित कर दिए गए।

इसके साथ ही एक ताजा प्रकरण और चर्चा का विषय है। महिला वोटबैंक में खासी दखल रखने वाले नीतीश कुमार ने 10 लाख से ज्यादा जीविका दीदियों के समूह बनाएं हैं। हर समूह में कम से कम 25 महिलाएं हैं। नीतीश की यह बहुत बड़ी फौज है। प्रदेश में लगभग 2.33 करोड़ परिवारों को छह-छह मास्क बांटने का लक्ष्य निर्धारित किया गया था। इसे बनाने के लिए वैसे तो खादी संगठनों, संकुल संघों व स्थानीय स्तर को भी रखा गया, लेकिन बड़ा हिस्सा 25 हजार से अधिक जीविका दीदियों के समूहों को दिया गया। अब तक बनाए गए छह करोड़ मास्क में से लगभग पांच करोड़ जीविका दीदियों के हिस्से में आए।

ये मास्क 20 रुपये में बनवाए गए और एक करोड़ परिवारों को बांटे गए। बचे परिवारों को छह-छह मास्क बंटने हैं। अब भाजपा कोटे से पंचायती राज मंत्री सम्राट चौधरी ने निर्देश दे दिया है कि खादी विभाग का कोटा बढ़ाया जाए। अभी तक बंटे मास्क में खादी का हिस्सा जीविका समूहों के मुकाबले 20 फीसद ही है। इसमें कोई खास बात नहीं, लेकिन खास यह है कि खादी, उद्योग विभाग के अधीन आता है और उसके मंत्री शाहनवाज हुसैन भी भाजपा से हैं, जबकि जीविका, ग्रामीण विकास विभाग में आता है जो जदयू के पास है। ताजा घटनाक्रमों को देखते हुए राजनीतिक हलके में इसको लेकर भी तरह-तरह की चर्चा है।

[स्थानीय संपादक, बिहार]


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