Bihar Politics:तेजस्वी विधायकों के नाम नहीं भेजने पर अड़े, स्पीकर अपनी मर्जी से बना देंगे सभापति
Bihar Politics बिहार विधानसभा की समितियों के गठन का मामला उलझ गया है। राजद समितियों के सभापति के लिए अपने विधायकों के नाम नहीं भेज रहा था। कहा गया कि नाम नहीं आया तो स्पीकर स्वविवेक से सभापति बना देंगे। अब तेजस्वी अड़े हैं कि पहले समितियों के नाम भेजें
पटना, राज्य ब्यूरो । Bihar Politics: बिहार विधानसभा की समितियों के गठन का मामला उलझ गया है। वजह, राजद ने अबतक समितियों के सभापति के लिए अपने विधायकों का नाम नहीं भेजा है। पत्र भेजने पर नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने आज गुरुवार, 10 दिसंबर को कहा है कि पहले स्पीकर समितियों के नाम बताएं, हम सभापति के नाम भेज देंगे। दरअसल, बुधवार, नौ दिसंबर को विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा ने अफसरों की बैठक बुलाई थी। समितियों के गठन के बारे में पूछा। बताया गया कि राजद छोड़ सभी दलों से नाम आ गए हैं। तय हुआ कि नाम भेजने के लिए विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव को एक और पत्र लिखा जाए। उसके बाद भी नाम नहीं आता है तो विधानसभा अध्यक्ष अपने विवेक से सभापतियों के नाम तय कर देंगे। ऐसा करना उनके अधिकार क्षेत्र में है। सदस्य संख्या के हिसाब से राजद को पांच या छह समितियों का सभापतित्व मिल सकता है। पिछली विधानसभा में राजद कोटे के सभापतियों की संख्या छह थी।
तेजस्वी ने लिखा विस अध्यक्ष को पत्र
विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने कहा है कि पहले विधानसभा अध्यक्ष राजद को दी जाने वाली समितियों का नाम भेजें। उसके बाद राजद इन समितियों के सभापति पद के लिए अपने विधायकों का नाम भेजेगा।
तेजस्वी यादव ने गुरुवार को विधानसभा अध्यक्ष (स्पीकर) के नाम लिखे पत्र में कहा कि उनके कार्यालय से बार-बार राजद को दी जाने वाली समितियों का नाम मांंगा जा रहा है। अबतक नाम नहीं मिल सका है। उन्होंने कहा कि परम्परा यही रही है। पहले समितियों के नाम आते हैं। उसके बाद संबंधित दल अपने सदस्यों के अनुभव और क्षेत्र के लिहाज से उनका नाम सभापति पद के लिए प्रस्तावित करते हैं। तेजस्वी ने लिखा-समितियों का नाम भेजने की कृपा करें। राजद अतिशीघ्र सभापतियों का नाम भेज देगा।
सभी दलों के विधायक को बनाया जाता है सभापति
मालूम हो कि विधानसभा की समितियों का सभापति पद सभी दलों के विधायकों को दिया जाता है। इसके लिए दलों से नाम मांगने की परम्परा है। हालांकि विधानसभा अध्यक्ष चाहें तो अपने स्तर से भी सभापति का नाम तय कर सकते हैं। विधानसभा की कुल समितियों की संख्या 25 है। आम तौर पर तीन-विशेषाधिकार, सामान्य प्रयोजन और नियम समितियों का सभापतित्व विधानसभा अध्यक्ष ही करते हैं। महत्वपूर्ण कार्य मंत्रणा समिति में मुख्यमंत्री, विपक्ष के नेता और दलों के विधायक दल नेता सदस्य रहते हैं। कानून नहीं है, लेकिन लोकलेखा समिति का पद विपक्ष को देने की परम्परा रही है। बाकी 22 समितियों के सभापति विधायक होते हैं।
विधानसभा का कामकाज प्रभावित हो रहा
सूत्रों ने बताया कि समितियों के गठन न होने से विधानसभा का कामकाज प्रभावित हो रहा है। सदन का सत्र न चल रहा हो, उस समय ये समितियां मिनी विधानसभा का काम करती हैं। सभी विधायक एक या अधिक समितियों के सदस्य होते हैं। इनकी बैठकों में शामिल होने के लिए विधायकों से क्षेत्र से पटना आने-जाने के लिए यात्रा भत्ता मिलता है। विधानसभा में सरकार की ओर से दिए गए आश्वासन कार्यान्वित हुए या नहीं, समिति की बैठकों में इसकी भी समीक्षा होती है।