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बिहार में विधायक जी को चाहिए अपनी जाति का बीडीओ, विभाग परेशान, इतने कहां से लाएं

चुनाव जीतने के साथ ही माननीय का नजरिया बदल जाता है- विधानसभा क्षेत्र का सरकारी अधिकारी अपनी जाति का ही चाहिए। विधायकों की इस मानसिकता से राज्य सरकार का ग्रामीण विकास विभाग परेशान है। जानें क्या है मामला।

By Akshay PandeyEdited By: Published: Tue, 08 Jun 2021 05:28 PM (IST)Updated: Tue, 08 Jun 2021 05:28 PM (IST)
बिहार में विधायक जी को चाहिए अपनी जाति का बीडीओ, विभाग परेशान, इतने कहां से लाएं
बिहार में विधायक जी अपनी जाति के बीडीओ का मांग करने लगे हैं। प्रतीकात्मक तस्वीर।

राज्य ब्यूरो, पटना: चुनाव के वक्त वोट सबका चाहिए। इस अपील के साथ कि जाति धर्म से ऊपर उठकर वोट दीजिए। मगर, चुनाव जीतने के साथ ही माननीय का नजरिया बदल जाता है- विधानसभा क्षेत्र का सरकारी अधिकारी अपनी जाति का ही चाहिए। विधायकों की इस मानसिकता से राज्य सरकार का ग्रामीण विकास विभाग परेशान है। प्रखंड विकास पदाधिकारी (बीडीओ) के तौर पर अपनी जाति के पदाधिकारी की चाहत के कारण तबादले रुके हुए हैं। जून में बड़े पैमाने पर बीडीओ का तबादला-पदस्थापन होना है। कानून नहीं है। परंपरा यह बन गई है कि विधायक के क्षेत्र वाले प्रखंडों में उनकी पसंद के बीडीओ तैनात किए जाएं। 

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किसी एक स्वजातीय विधायक पर भरोसा नहीं

सूत्रों ने बताया कि विधायक अपनी जाति के बीडीओ को सबसे अधिक पसंद कर रहे हैं। एक-एक बीडीओ की मांग तीन-तीन स्वजातीय विधायक कर रहे हैं। यह नौबत बीडीओ के चलते ही पैदा हुई है। उन्हें किसी एक स्वजातीय विधायक पर भरोसा नहीं है। सो, तीन विधायकों से लिखवा कर विभाग में भिजवा दे रहे हैं। अब यह विभाग के लिए सिरदर्द बना हुआ है कि बीडीओ साहब को किस विधायक के क्षेत्र में भेजा जाए। यह प्रवृति सत्तारूढ़ दल के विधायकों में ही नहीं है। विपक्षी दलों में भी है। मसलन, राजद के विधायक माय समीकरण से बाहर के बीडीओ के नाम की सिफारिश अपवाद में ही करते हैं।

तीन प्रखंड में एक जाति की मांग

सरकार को भी अधिकारियों के तबादले-पदस्थापन में सामाजिक समीकरण का ख्याल रखना पड़ता है। लेकिन, विधायकों की जिद के सामने यह नहीं हो पा रहा है। मसलन, मुजफ्फरपुर जिला के दो विधानसभा क्षेत्र में तीन प्रखंड है। दोनों के विधायक एनडीए के हैं। साझी सूची में पसंद के जिन तीन बीडीओ के नाम हैं, वे सब विधायक के स्वजातीय हैं। एक बीडीओ पर गहरा दाग है। फिर भी विभाग उनकी जिद का सम्मान करेगा। प्रशासनिक लिहाज से यह अच्छा नहीं माना जाता है कि एक ही सामाजिक समूह के अधिकारी खास इलाके में तैनात रहें। पश्चिमी चंपारण के एक विधानसभा क्षेत्र के विधायक को क्षेत्र के दो प्रखंडों के लिए स्वजातीय बीडीओ चाहिए। उन्होंने अपनी ओर से सिफारिश कर दी है। मुश्किल यह है कि उन्होंने जिन अधिकारियों की सिफारिश की है, उनके मौजूदा पदस्थापन का कार्यकाल पूरा नहीं हुआ है।

भले के लिए आग्रह का सम्मान: श्रवण

ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार ने कहा कि सरकारी योजनाएं बिना किसी बाधा के जमीन पर उतरे, इसके लिए प्रखंड विकास पदाधिकारियों की तैनाती में विधायक के आग्रह का सम्मान किया जाता है। अधिसंख्य मामले में उनकी सिफारिश मान ली जाती है। उन विधायकों की संख्या भी कम नहीं है, जो खास अधिकारी को प्रखंडों में तैनात करने का आग्रह कभी नहीं करते हैं। उन्होंने स्वीकार किया कि विधायकों के आग्रह को शत प्रतिशत मान लें तो सामाजिक संतुलन बनाने में परेशानी हो सकती है। 

क्यों चाहिए अपना बीडीओ

प्रखंड स्तर की सभी विकास योजनाएं बीडीओ के नियंत्रण में संचालित होती हैं। पंचायती राज संस्थाएं भी उनसे निर्देशित होती हैं। अगर पसंद का बीडीओ रहे तो वह सरकारी धन के जरिए उन लोगों को उपकृत करता है, जो विधायक की मदद करते हैं। विकास योजनाओं से होने वाली आमदनी के बंटवारा में भी परेशानी नहीं होती है। 


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