Move to Jagran APP

Bihar Politics: केंद्रीय मंत्री आरसीपी के बनाए जदयू के सभी 33 प्रकोष्ठ ललन सिंह ने कर दिए भंग

जदयू के प्रदेश अध्‍यक्ष उमेश सिंह कुशवाहा ने पूर्व में गठित पार्टी के लोकसभा और विधानसभा प्रभारी समेत सभी प्रकोष्‍ठ एवं उसकी इकाइयों को तत्‍काल प्रभाव से निरस्‍त कर दिया है। मुख्‍यालय महासचिव मृत्‍युंजय कुमार सिंह ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर इसकी सूचना दी है।

By Vyas ChandraEdited By: Published: Wed, 17 Nov 2021 01:26 PM (IST)Updated: Thu, 18 Nov 2021 01:59 PM (IST)
Bihar Politics: केंद्रीय मंत्री आरसीपी के बनाए जदयू के सभी 33 प्रकोष्ठ ललन सिंह ने कर दिए भंग
बिहार JDU के सभी प्रकोष्‍ठ किए गए भंग। सांकेतिक तस्‍वीर

पटना, राज्‍य ब्‍यूरो। Bihar Politics: बिहार जदयू (Bihar JDU) के प्रदेश से प्रखंड स्तर तक के सभी प्रकोष्ठ भंग कर दिए गए हैं। प्रदेश स्तर पर इनकी संख्या 33 थी। लोकसभा प्रभारियों को भी पदमुक्त कर दिया गया है। प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा ने बुधवार को यह घोषणा की। अब नए सिरे से इनका गठन होगा। प्रकोष्ठों की संख्या भी कम होगी। इन प्रकोष्ठों का गठन केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह ने मार्च-अप्रैल में किया था, जब वे पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष थे। सांसद राजीव रंजन सिंह ऊर्फ ललन सिंह ने राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के कुछ दिन बाद ही संकेत दिया था कि वह नए सिरे से प्रकोष्ठों का गठन करेंगे। ललन सिंह और प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा की मौजूदगी में बीते नौ सितम्बर को प्रकोष्ठ के अध्यक्षों की बैठक हुई थी। उसमें कामकाज की समीक्षा की गई। इस दौरान अध्यक्षों को क्षेत्र का भ्रमण कर रिपोर्ट देने के लिए भी कहा गया था। 

loksabha election banner

समीक्षा बैठक में राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष ने कहा था, फिजूल की कई कमेटियां

ललन सिंह ने समीक्षा के दौरान कई कमेटियों को गैर-जरूरी करार दिया था। उन्हें व्यवसायिक प्रकोष्ठ और ट्रेडर्स प्रकोष्ठ के अलग-अलग गठन पर आपत्ति थी। एनआरआई प्रकोष्ठ को भी उन्होंने गैर-जरूरी करार दिया था। कलमजीवी और बुद्धिजीवी प्रकोष्ठ अलग-अलग बनाए गए थे। एक ही प्रकृति के समूहों को जोडऩे के लिए अलग-अलग प्रकोष्ठ बनाने के लिए जदयू की आलोचना भी हो रही थी।

दो हिस्से में बंटे थे प्रकोष्ठ

चुनिन्दा को छोड़ अधिसंख्य प्रकोष्ठ दो हिस्से में बांटे गए थे। इन्हें उत्तर बिहार और दक्षिण बिहार के आधार पर बांटा गया था। दोनों के लिए अलग प्रदेश अध्यक्ष बनाए गए थे। सूत्रों ने बताया कि पुनर्गठन के बाद प्रदेश स्तरीय प्रकोष्ठों की संख्या सीमित होगी। दो हिस्से में बंटे प्रकोष्ठ कम होंगे। इसी तरह एक ही तरह के सामाजिक समूह को पार्टी से जोड़ने के इरादे से बने कई प्रकोष्ठ हमेशा के लिए समाप्त हो जाएंगे। 

काम करने वालों को वरीयता

सूत्रों ने बताया कि नए सिरे से गठित होने वाले प्रकोष्ठों में काम करने वाले कार्यकर्ताओं को वरीयता दी जाएगी। संख्या कम होने के बावजूद भंग प्रकोष्ठ के पदधारकों को भी समायोजित किया जाएगा। पार्टी के बदले किसी नेता के प्रति प्रतिबद्ध पदधारकों को हटाया जाएगा।  


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.