बिहार चुनाव: कुशेश्वस्थान और तारापुर में इन वोटरों पर है सभी दलों की नजर, बदले माहौल का पड़ेगा असर
Bihar Politics पिछले चुनाव में दोनों सीटों पर एनडीए और महागठबंधन के बीच सीधा मुकाबला था। फिर भी वोटरों का एक हिस्सा लोजपा और रालोसपा के बीच बंट गया था। उप चुनाव में स्थितियां बदली हैं। महागठबंधन के दो दल मैदान में हैं।
पटना, अरुण अशेष। Bihar Assembly Bye Election 2021: बिहार में दो विधानसभा क्षेत्रों- कुशेश्वस्थान और तारापुर में अब असल कोशिश यह हो रही है कि 2020 के आम चुनाव में आमने-सामने की गोलबंदी से बाहर रह गए वोटरों को कैसे अपने पक्ष में किया जाए। पिछले चुनाव में दोनों सीटों पर एनडीए और महागठबंधन के बीच सीधा मुकाबला था। फिर भी वोटरों का एक हिस्सा लोजपा और रालोसपा के बीच बंट गया था। उप चुनाव में स्थितियां बदली हैं। महागठबंधन के दो दल मैदान में हैं। इधर रालोसपा का जदयू में विलय हो गया है, जबकि लोजपा का रामविलास पासवान गुट इस बार भी दोनों सीटों पर चुनाव लड़ रहा है। बदले राजनीतिक समीकरण को वोटरों के इस समूह को अपने पक्ष में करने की मारामारी है।
कुशेश्वरस्थान में नजदीकी रहा था मुकाबला
2020 में कुशेश्वरस्थान में आमने-सामने की लड़ाई हुई थी। जदयू की जीत सात हजार दो सौ 22 वोटों के अंतर से हुई। लोजपा को 13362 और रालोसपा को दो हजार 60 वोट मिले थे। नई स्थिति यह है कि लोजपा के साथ कांग्रेस ने भी उम्मीदवार दे दिया है। विरोधी वोटों के बंटवारा से जदयू अपनी जीत को लेकर इत्मीनान हो सकता है। लेकिन, उसका संकट दूसरा है। राजद ने उसके कोर वोटर का उम्मीदवार दे दिया है। हिसाब यह है कि उम्मीदवार को अपनी जाति का वोट मिलेगा। राजद के माय समीकरण को वोट मिलेगा। जीत हो जाएगी। जदयू की तरह वह भी लोजपा और रालोसपा को मिले वोटों को अपने पक्ष में करने की कोशिश कर रहा है। लोजपा (रामविलास) के उम्मीदवार भी खड़े हैं।
तारापुर में भी अधिक नहीं था जीत का अंतर
तारापुर में लोजपा को 11 हजार दो सौ 64 वोट मिला था। जदयू की जीत सात हजार वोटों के अंतर से हुई थी। रालोसपा को पांच हजार से कुछ अधिक वोट मिला था। मोटे तौर पर माना जाता है कि रालोसपा के वोट का बड़ा हिस्सा जदयू में शिफ्ट कर जाएगा। लेकिन, लोजपा के वोटरों पर यह फार्मूला लागू नहीं हो सकता है। लोजपा की उम्मीदवार रहीं मीना देवी राजद के समीकरण से आती थीं। लोजपा (रामविलास) के उम्मीदवार सवर्ण हैं। सो, नए उम्मीदवार का वोट समीकरण भी बदल जाएगा। राजद माय समीकरण के वोटरों को एकजुट करने में लगा है।
वक्त के साथ बदलता है मतदाता का दृष्टिकोण
आम और उप चुनाव में वोटरों का दृष्टिकोण अलग-अलग रहता है। अगर लोजपा के कोर वोटरों की बात करें तो उनके दृष्टिकोण में बदलाव का ठोस आधार भी है। आम चुनाव में लोजपा इस दावे के साथ चुनाव लड़ी थी कि जीत पर वह एनडीए की सरकार बनाने में मदद करेगी। पार्टी में विभाजन और चिराग पासवान के हाल के रूख के बाद लोजपा के वोटरों का दृष्टिकोण साफ हो गया है कि उसे जदयू की पराजय उसकी प्राथमिकता है। जाहिर है, यह बदलाव वोटरों की गोलबंदी को सख्त करेगा। जदयू और राजद-दोनों के लिए यह वोट महत्वपूर्ण है।
तारापुर में कांग्रेस उम्मीदवार की हैसियत क्या
वहां कांग्रेस ने राजेश कुमार मिश्र को उम्मीदवार बनाया है। आम चुनाव में निर्दलीय की हैसियत से उन्हें करीब साढ़े 10 हजार वोट मिला था। कांग्रेस आखिरी चुनाव 1990 में जीती थी। शकुनी चौधरी चुने गए थे। वह कांग्रेस से अलग हुए। बीते सात चुनावों से कांग्रेस का वहां खाता नहीं खुला। बड़ा सवाल यह बन रहा है कि राजेश मिश्र कांग्रेस का कितना वोट हासिल कर पाएंगे। इस पर तारापुर का चुनाव परिणाम निर्भर करता है। वैसे, कांग्रेस जोर-शोर से लडऩे का दावा कर रही है।