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Bihar Politics: लालू यादव पर जदयू ने किया पलटवार, डॉक्‍टरों के अपहरण और पलायन की घटना याद दिलाई

चारा घोटाला मामले में जेल से जमानत पर रिहा होने के बाद लालू यादव बिहार के स्‍वास्‍थ्‍य केंद्रों को लेकर लगातार सीएम नीतीश कुमार पर हमलावर है। अब जदयू ने पलटवार किया है। लालू-राबड़ी शासन की सच्‍चाई याद दिलाई है।

By Sumita JaiswalEdited By: Published: Wed, 02 Jun 2021 06:58 AM (IST)Updated: Wed, 02 Jun 2021 01:29 PM (IST)
राजद अध्‍यक्ष लालू यादव व सीएम नीतीश कुमार की तस्‍वीर।

पटना, राज्य ब्यूरो। चारा घोटाला मामले में जेल से जमानत पर रिहा होने के बाद लालू यादव बिहार के स्‍वास्‍थ्‍य केंद्रों को लेकर लगातार सीएम नीतीश कुमार पर हमलावर है। वे तकरीबन हर रोज बिहार के गांवों के बदहाल और बंद उप स्‍वास्‍थ्‍य केंद्रों की तस्‍वीर के साथ ट्विटर पर सीएम नीतीश कुमार पर जमकर कटाक्ष करते हैं। एक दिन पहले तो उन्‍होंने नीतीश कुमार के गृह जिले नालंदा के एक गांव के उप स्‍वास्‍थ्‍य केंद्र की तस्‍वीर शेयर करते हुए नीतीश कुमार पर चढ़ाव लेने का भी आरोप लगा दिया। अब जदयू ने पलटवार किया है। जदयू के विधान पार्षद व पूर्व मंत्री नीरज कुमार ने कहा है कि लालू-राबड़ी शासन के स्वास्थ्य बजट से अधिक आज मुख्यमंत्री चिकित्सा सहायता योजना के अनुदान मद में खर्च हो रहा है।

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उन्होंने मंगलवार को कहा कि एकीकृत बिहार का स्वास्थ्य बजट औसत 64 करोड़ रुपये था, जबकि पिछले वित्तीय वर्ष में 68 करोड़ 16 लाख रुपये मुख्यमंत्री चिकित्सा सहायता योजना में खर्च किए गए। यह मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की बेहतर रणनीति का नतीजा है कि राज्य में कोरोना से रिकवरी का रेट 97 फीसद पर पहुंच गया है।

लालू-राबड़ी शासन में कोविड होता तो...

नीरज ने कहा कि यह कल्पना करना भी डरावना है कि कोरोना जैसी महामारी लालू-राबड़ी के शासन में आती तो राज्य का कितना बुरा हाल होता। स्वास्थ्य व्यवस्था चौपट थी। अपहरण के आतंक से अच्छे डाॅक्टरों का पलायन हो रहा था। मेडिकल और नर्सिंग कालेज से सरकार को कोई मतलब नहीं था। नीतीश राज में कई मेडिकल और नर्सिंग काॅलेज खुल गए। सरकारी के साथ निजी मेडिकल काॅलेजों की संख्या भी बढ़ी। नर्सिंग की पढ़ाई के लिए दक्षिणी राज्यों पर बिहार की निर्भरता समाप्त हो गई।

पूर्व मंत्री ने कहा कि लालू-राबड़़ी के 15 वर्षों के शासन में मातृ-शिशु मृत्यु दर की चिंता सरकार को नहीं थी। नियमित टीकाकरण का औसत 18 फीसद था, जो अब 86 पर आ गया है। उस शासन की तुलना में मातृ-शिशु मृत्यु दर आधी से भी कम हो गई है।


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