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Bihar Politics: ललन सिंह बोले- कलेजे पर हाथ रखकर सोचिए, JDU मजबूत था तो 71 से 43 पर कैसे आए हम

ललन सिंह ने साफ कर दिया कि पसंद और नापसंद के नाम पर किसी कार्यकर्ता की उपेक्षा नहीं होगी। उन्होंने कहा-आप पार्टी और नेता के लिए काम कीजिए। गांवों में पार्टी की मजबूती के सवाल पर उन्होंने पूर्व अध्यक्ष आरसीपी सिंह की लाइन को बदले अंदाज में स्वीकार किया।

By Akshay PandeyEdited By: Published: Thu, 09 Sep 2021 06:32 PM (IST)Updated: Fri, 10 Sep 2021 09:22 AM (IST)
Bihar Politics: ललन सिंह बोले- कलेजे पर हाथ रखकर सोचिए, JDU मजबूत था तो 71 से 43 पर कैसे आए हम
जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह। जागरण आर्काइव।

राज्य ब्यूरो, पटना: जनता दल यूनाइडेट (जदयू) के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह ऊर्फ ललन सिंह ने साफ कर दिया कि पसंद और नापसंद के नाम पर किसी कार्यकर्ता की उपेक्षा नहीं होगी। वे गुरुवार को प्रकोष्ठ अध्यक्षों की बैठक को संबोधित कर रहे थे। राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के बाद पार्टी पदाधिकारियों के साथ उनकी पहली औपचारिक बैठक थी। ललन ने पार्टी की मजबूती के दावों पर बिना किसी टिप्पणी के कहा-आज रात सोने से पहले कलेजे पर हाथ रख कर कुछ देर सोचिए। पार्टी मजबूत हो रही थी तो हमारे विधायकों की संख्या 71 से 43 पर कैसे आ गई। उसके बाद सोचिए कि पार्टी को कैसे मजबूत करेंगे। उन्होंने कहा कि पार्टी को ऐसे कैडरों की जरूरत है जो दिन रात इसके बारे में सोच सके। अगर हरेक जिले में ऐसे कैडर दो सौ भी मिल जाएं तो पार्टी को आगे बढ़ने से कोई रोक नहीं सकता है। 

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ललन ने कहा कि आप पार्टी और नेता (मुख्यमंत्री नीतीश कुमार) के लिए काम कीजिए। गांवों में पार्टी की मजबूती के सवाल पर उन्होंने पूर्व अध्यक्ष आरसीपी सिंह की लाइन को बदले अंदाज में स्वीकार किया। कहा कि पार्टी को मजबूत करने के लिए गांवों में जाइए। सर्किट हाउस में बैठने से पार्टी मजबूत नहीं होगी। राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कैडर की महत्वपूर्ण भूमिका का उदाहरण अपने संसदीय क्षेत्र मुंगेर के एक कार्यकर्ता के हवाले से दिया। उनके मुताबिक उस कार्यकर्ता का मुझसे खास लगाव नहीं है। लेकिन, चुनाव के समय वह पार्टी की जीत के लिए दिन रात काम करता है। हमारी जीत में उसकी बड़ी भूमिका रहती है। हम भी सम्मान करते हैं।

मेरे काम करने का तरीका अलग

मुंगेर के सांसद ललन ने कहा कि हमारे काम करने का तरीका अलग है। पसंद-नापसंद से अलग रहकर काम करते हैं। आरसीपी के कार्यकाल में बनाए गए इफरात प्रकोष्ठ के औचित्य में ललन सिंह ने इशारे में सवाल उठाया-ट्रेडर्स प्रकोष्ठ है। व्यवसायिक प्रकोष्ठ भी है। बुद्धिजीवी प्रकोष्ठ और कलमजीवी प्रकोष्ठ है। इस तरह के विरोधाभासी संगठन के औचित्य पर भी विचार करने की जरूरत है। 


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