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बिहारः जदयू को डुबोने वाले एक-एक कर फिर थाम रहे कमल का दामन, एक और ने की भाजपा में वापसी

राजेंद्र सिंह की वापसी के हफ्ते भर बाद अब पूर्व उपाध्यक्ष और बिहार महिला आयोग की सदस्य रहीं ऊषा विद्यार्थी की गणतंत्र दिवस पर यानि 26 जनवरी को घर वापसी हो गई। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डा. संजय जायसवाल ने प्रदेश मुख्यालय में उषा विद्यार्थी को पार्टी की सदस्यता दिलाई।

By Akshay PandeyEdited By: Published: Thu, 27 Jan 2022 07:04 PM (IST)Updated: Thu, 27 Jan 2022 07:04 PM (IST)
बिहारः जदयू को डुबोने वाले एक-एक कर फिर थाम रहे कमल का दामन, एक और ने की भाजपा में वापसी
भारतीय जनता पार्टी में दोबारा ऊषा विद्यार्थी की वापसी हुई है। सांकेतिक तस्वीर।

राज्य ब्यूरो, पटना। बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में जदयू प्रत्याशियों के खिलाफ बगावती बिगुल फूंकने वाले भाजपा नेताओं की तेजी से घर वापसी होने लगी है। पार्टी के पूर्व प्रदेश महामंत्री रहे राजेंद्र सिंह की भाजपा में वापसी के हफ्ते भर बाद अब पूर्व उपाध्यक्ष और बिहार महिला आयोग की सदस्य रहीं ऊषा विद्यार्थी की गणतंत्र दिवस पर यानि 26 जनवरी को घर वापसी हो गई। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डा. संजय जायसवाल ने प्रदेश मुख्यालय में उषा विद्यार्थी को पार्टी की सदस्यता दिलाई। इस मौके पर भाजपा के प्रदेश मुख्यालय प्रभारी सुरेश रूंगटा के अलावा कई पार्टी पदाधिकारी उपस्थित थे। उषा विद्यार्थी ने जदयू के प्रत्याशी जयवर्धन यादव के हार की पटकथा लिखीं थी। इस बीच कम्युनिस्ट पार्टी आफ इंडिया (मार्क्सवादी -लेनिनवादी) (लिबरेशन) के संदीप सौरभ ने जदयू के जय वर्धन यादव को करीब 40 हजार मतों से पटकनी दे दी।

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नौ में दो दिग्गज की हुई वापसी

अहम यह है कि 2020 विधानसभा चुनाव के समय प्रदेश अध्यक्ष डा. संजय जायसवाल ने 12 अक्टूबर 2020 को पार्टी के नौ नेताओं को छह वर्षों के लिए पार्टी से निकाला किया था। प्रदेश अध्यक्ष के पत्र में कहा गया था कि ऐसे सभी नेता एनडीए प्रत्याशी के खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं। इससे एनडीए के साथ-साथ पार्टी की छवि भी धूमिल हो रही है। यह पार्टी अनुशासन के विरुद्ध कार्य है। ऐसे में रोहतास के राजेंद्र सिंह और रामेश्वर चौरसिया, पटना ग्रामीण की उषा विद्यार्थी, झाझा के रविंद्र यादव, भोजपुर की श्वेता सिंह, जहानाबाद के इंदु कश्यप, पटना ग्रामीण के अनिल कुमार,  बांका जिले के अमरपुर से मृणाल शेखर और जमुई के अजय प्रताप को छह वर्षों के लिए पार्टी से निष्कासित किया जाता है। अब भाजपा नेतृत्व 12 अक्टूवर 2020 के उस पत्र को भूल गई है। नेतृत्व अब दल के दामन पर दाग लगाने वाले की घर वापसी कराने में जुटा है।


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