Bihar Politics: बिहार में बीजेपी, राजद और कांग्रेस के विधायक हुए एक साथ, बोले-हाकिम सुनते ही नहीं
बिहार में अफसरशाही को लेकर उठ रहे सवाल पर भी विधानसभा परिसर में विपक्ष के कुछ सदस्यों के साथ ही भाजपा के संजय सरावगी भी सुर में सुर मिलाते दिखे। इससे पहले सोमवार को भाजपा विधानमंडल दल की बैठक में कई विधायक अफसरशाही को लेकर नाराजगी जाहिर कर चुके हैं।
राज्य ब्यूरो, पटना : बिहार में अफसरशाही को लेकर उठ रहे सवाल पर भी विधानसभा परिसर में विपक्ष के कुछ सदस्यों के साथ ही भाजपा के संजय सरावगी भी सुर में सुर मिलाते दिखे। इससे पहले सोमवार को भाजपा विधान मंडल दल की बैठक में कई विधायक अफसरशाही को लेकर नाराजगी जाहिर कर चुके हैं।
मंगलवार को भाजपा विधायक संजय सरावगी ने पत्रकारों से कहा कि उन्होंने पहले भी अफसरशाही का मुद्दा उठाया है। बिहार में अफसरशाही हावी है। इसमें दो राय नहीं कि अधिकारी जन-प्रतिनिधियों की बात गंभीरता से नहीं सुनते हैं। हमने तो भ्रष्ट अधिकारी की नियुक्ति का मुद्दा भी उठाया था।
कांग्रेस बोली- भाजपा के विधायक खुद बोल रहे
इससे पहले कांग्रेस विधायक अजीत शर्मा ने पत्रकारों से कहा कि अफसरशाही पर हमारी बात कोई नहीं मानता था। अब सरकार के कई मंत्री और भाजपा के विधायक खुद बोल रहे हैं। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अफसरशाही बंद करें, नहीं तो कुर्सी छोड़ें।
जन-प्रतिनिधियों का अपमान करना अफसरों का शगल
राजद विधायक भाई वीरेंद्र ने कहा कि नीतीश राज में अफसरशाही का बोलबाला है। जन-प्रतिनिधियों का अपमान करना अफसरों का शगल बन गया है। माले के गोपाल रविदास तो अफसरशाही के विरोध में नारेबाजी करते दिखे। वे बोले कि अफसरशाही से जनता परेशान है। थाना हो या बीडीओ-सीओ, अफसरशाही से जनता परेशान है। इसके पूर्व समाज कल्याण मंत्री मदन सहनी और अब पशु एवं मत्स्य संसाधन मंत्री मुकेश सहनी भी अफसरशाही का मुद्दा उठा चुके हैं।
मदन सहनी ने कर दी थी इस्तीफे की पेशकश
गौरतलब है कि हाल ही में जदयू विधायक व समाज कल्याण मंत्री मदन सहनी ने अफसरशाही से परेशान होकर सार्वजनिक तौर पर इस्तीफा देने का ऐलान दिया था। उन्होंने कहा था कि बिहार में अधिकारी विधायक और मंत्रियों की नहीं सुनते हैं। हालांकि बाद में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मुलाकात के बाद उनके तेवर ठंडे पड़ गए थे और उन्होंने इस्तीफा देने से इनकार कर दिया था।