Bihar Politics: सुशील मोदी लालू परिवार से सवाल- क्या आपका भ्रष्टाचार ही है लोहिया का समाजवाद?
Bihar Politics बिहार विधानसभा में विपक्ष के उत्पात तथा आरजेडी के विधानसभा घेराव के दौरान हिंसा को लेकर बीजेपी सांसद सुशील मोदी ने लालू परिवार को निशाने पर लिया है। उन्होंने सवाल किया है कि क्या उनका भ्रष्टाचार ही लोहिया का समाजवाद है?
पटना, बिहार ऑनलाइन डेस्क। भारतीय जनता पार्टी के राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी ने बिहार विधानसभा में विपक्ष के उत्पात को लेकर राष्ट्रीय जनता दल एवं कांग्रेस पर हमला करत हुए कहा है कि उन्होंने तो मर्यादा की सीमाएं तोड़ दीं। दिल्ली में जैसे कथित किसान नेताओं की मंशा 26 जनवरी को ट्रैक्टर रैली के दौरान पुलिस को गोली चलाने पर मजबूर करने की थी, ठीक उसी तरह इस घटना में आरजेडी की मंशा सड़क पर गोली चलवाने और सदन के भीतर मार्शल बुलाने को मजबूर करने की थी। आरजेडी और कांग्रेस उन नक्सली व वामपंथी ताकतों की गोद में बैठे हैं, जो बंदूक के बल पर सत्ता पाना चाहते हैं। सुशील मोदी ने पूछा है कि क्या लालू परिवार का भ्रष्टाचार ही लोहिया का समाजवाद है?
सड़क पर गोली चलवाना और चाहता था आरजेडी
सुशील मोदी ने एक के बाद एक कई ट्वीट कर विपक्ष को निशाने पर लिया। उन्हाेंने लिखा कि बिहार सशस्र पुलिस बल विधेयक के खिलाफ विपक्षी दल भ्रम फैला रहे हैं। वे सदन से सड़क तक हिंसा फैलाने की उसी स्क्रिप्ट पर काम कर रहे हैं, जिसपर किसान आंदोलन को आक्रामक बना कर भारत की छवि बिगाडने की कोशिश की गई थी। जिस तरह कथित किसान नेताओं की मंशा गणतंत्र दिवस के दिन तय रूट को तोड़ टैक्टर रैली निकाल कर पुलिस को गोली चलाने के लिए मजबूर करने की थी, उसी तरह आरजेडी सड़क पर गोली चलवाना और सदन में मार्शल बुलवाने को मजबूर करना चाहता था।
आंदोलन के दौरान हिंसा की रची गई थी साजिश
मंगलवार के आरजेडी के विधानसभा घेराव कार्यक्रम का जिक्र करते हुए सुशील मोदी ने सवाल किया है कि क्या लालू प्रसाद यादव के पोस्टर दिखा कर उनके दोनों बेटे तेजस्वी यादव व तेज प्रताप यादव भीड़ को उकसा कर पटना में गोली चलाने की नौबत लाना चाहते थे? उन्होंने लिखा है कि इस दौरान हिंसा की साजिश रची गई थी, क्योकि लालू के दोनों राजकुमार खुद हेलमेट पहन कर आंदोलन में शामिल हुए थे।
क्या लालू परिवार का भ्रष्टाचार लोहिया का समाजवाद?
सुशील मोदी ने आगे लिखा है कि जिन लोगों ने लोकतंत्र के मंदिर विधानसभा को अपने सामूहिक हिंसात्मक आचरण और अपशब्दों से अपवित्र किया, वे जनता से क्षमा मांगने के बदले स्पीकर और सरकार पर ही बेकार के आरोप मढ़ रहे हैं। आज लोहिया का नाम ले रहे तेजस्वी ने यदि लोहिया को पढ़ा होता तो वे सदन में बहस करते और उनके विधायकों को भी सदन की मर्यादा का ध्यान होता। सुशील मोदी ने सवाल किया कि जो आज लोहिया की वाणी को रट्टू तोते की तरह बोल रहे हैं, वे बताएंगे कि क्या लोहिया ने बेनामी सम्पत्ति को सही बताया था? क्या लालू परिवार का भ्रष्टाचार ही लोहिया का समाजवाद है?