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Bihar Politics: बिहार में भाजपा ने बदला सत्ता का चेहरा, बड़े नेताओं को दरकिनार कर बदलाव के दिए संकेत

राष्ट्रीय स्तर पर भाजपा ने अटल-आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी के दौर से बाहर निकलने के बाद बिहार में भी अपना चेहरा बदलने की पहल की है। बदलाव की बेताबी का आलम यह है कि भाजपा कोटे के कुल 16 मंत्रियों में से 12 नए चेहरे हैं।

By Sumita JaiswalEdited By: Published: Tue, 09 Feb 2021 05:14 PM (IST)Updated: Thu, 11 Feb 2021 06:20 AM (IST)
Bihar Politics: बिहार में भाजपा ने बदला सत्ता का चेहरा, बड़े नेताओं को दरकिनार कर बदलाव के दिए संकेत
पीएम नरेंद्र मोदी, अमित शाह और भाजपा के राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष जेपी नड्डा की तस्‍वीर ।

पटना, रमण शुक्ला । राष्ट्रीय स्तर पर भाजपा (BJP)  ने अटल-आडवाणी (Atal-Advani) और मुरली मनोहर जोशी (Murli Manohar Joshi) के दौर से बाहर निकलने के बाद बिहार में भी अपना चेहरा बदलने की पहल की है। पुराने दिग्गजों को दरकिनार कर नए पर दांव लगाया है। बदलाव की बेताबी का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि नीतीश कुमार (Nitish Kumar)  की वर्तमान सरकार में भाजपा कोटे के कुल 16 मंत्री हैं, जिनमें से 12 नए चेहरे हैं। कैबिनेट के दूसरे विस्तार में तो नौ में से सात नए चेहरों को मौका दिया गया है।

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बड़े नेताओं को दरकिनार कर बड़े बदलाव

जाहिर है, बिहार में भाजपा ने बड़े बदलाव के साथ नए राजनीतिक तेवर का संकेत दिया है। जिन चेहरों को सत्ता की मुख्यधारा से हटाया गया है, वे सबके सब कभी बिहार में भाजपा के प्रतीक और पहचान थे। अब उनकी जगह नए-नवेले नेताओं को आगे बढ़ाया गया है। भाजपा नेतृत्व ने यह काम रणनीति के तहत दो चरणों में पूरा किया। पहले चरण में पूर्व उप मुख्यमंत्री सुशील मोदी को राज्यसभा सदस्य बनाकर प्रदेश की राजनीति से अलग किया। दूसरे चरण में वरिष्ठ नेता नंद किशोर यादव, प्रेम कुमार, राम नारायण मंडल और विनोद नारायण झा जैसे बड़े नेताओं को किनारे कर बड़ा संदेश देने का प्रयास किया।

दूसरे चरण में भी दिग्‍गजों को निराशा

दूसरे चरण के कैबिनेट विस्तार पर दिग्गजों की नजर टिकी हुई थी, लेकिन पार्टी ने अपने कोटे के नौ मंत्रियों में से महज दो पूर्व मंत्रियों को ही मौका दिया। सामाजिक समीकरणों के तहत मोतिहारी के विधायक और पूर्व मंत्री प्रमोद कुमार वापसी करने में सफल रहे। सम्राट चौधरी भी भाजपा के लिए एक तरह से नए ही हैं। पहले वह जदयू में थे तो नीतीश सरकार में मंत्री रह चुके हैं, लेकिन भाजपा में आने के बाद उन्हें पहली बार सरकार में जगह दी गई है।

भाजपा ने खेला अल्‍पसंख्‍यक कार्ड

पूर्व केंद्रीय मंत्री शाहनवाज हुसैन (Ex Union Minister Shahnawaz Hussain) को बिहार में मंत्री बनाने के पीछे भी भाजपा की रणनीति ही काम कर रही है। अल्पसंख्यक (Minority) चेहरा होने के कारण वह भाजपा के लिए तुरुप का पत्ता साबित हो सकते हैं। भाजपा शाहनवाज के सहारे विपक्ष के हमले की धार को कुंद कर सकती है। इसके अलावा नितिन नवीन, नारायण प्रसाद, सुभाष सिंह, नीरज सिंह बबलू, आलोक रंजन झा और जनक राम को पहली बार मंत्री बनाया गया है। पहले चरण के बदलाव में भी भाजपा ने सिर्फ दो पूर्व मंत्रियों को जगह दी थी। उप मुख्यमंत्री रेणु देवी और मंगल पांडेय जगह बनाने में कामयाब रहे थे। शेष पांच विधायकों को पहली बार मंत्री बनाया गया था। इसमें उप मुख्यमंत्री तार किशोर प्रसाद, अमरेंद्र प्रताप सिंह, राम सूरत राय, जीवेश मिश्र और रामप्रीत पासवान हैं।


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