बिहारः जीतनराम मांझी बोले- गुस्से का मैंने अबतक इजहार नहीं किया, इशारों में कही बड़ी बात
मद्रास हाईकोर्ट की टिप्पणी से जुड़ी अखबार की कतरन साझा कर मांझी ने ट्विटर पर दोबारा अपनी मंशा जाहिर दी है। उन्होंने कहा कि हम जो कहते हैं वह सदियों का दर्द है गुस्से का अबतक हमने इजहार कहां किया…।
जागरण टीम, पटना: पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी के एक विवादित बयान ने साल 2021 में बिहार से लेकर उत्तर प्रदेश तक में खूब चर्चा बटोरी। नए साल 2022 के पहले दिन तक तो सबकुछ ठीक रहा, दूसरे दिन फिर उन्होंने पुरानी बात याद दिलाई है। तारीका थोड़ा अलग चुना है। मद्रास हाईकोर्ट की अनुसूचित जाति-जनजाति को लेकर टिप्पणी से जुड़ी अखबार की कतरन साझा कर रविवार को हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (हम) के अध्यक्ष मांझी ने ट्विटर पर दोबारा मंशा जाहिर दी। उन्होंने कहा कि हम जो कहतें हैं वह सदियों का दर्द है, गुस्से का अबतक हमने इजहार कहां किया…।
दरअसल, जीतनराम मांझी ने जिस खबर का हवाला दिया है वह पिछले साल 25 दिसंबर की है। इसमें मद्राह हाईकोर्ट ने अनुसूचित जाति-जनजाति को लेकर टिप्पणी की है। मामला एक अनुसूचित जाति से जुड़े परिवार का है। एक परिवार को अपने स्वजन के अंतिम संस्कार के लिए खेतों से होकर जाना पड़ा था। यह इस लिए हुआ क्यों कि कब्रिस्तान तक पहुंचने के लिए सड़क नहीं है। इसपर कोर्ट ने कहा कि हमने सदियों तक अनुसूचित जाति-जनजाति के लोगों के साथ खराब व्यवहार किया। आज भी उनके साथ ठीक बर्ताव नहीं हो रहा है। इसके लिए हमें अपना सिर शर्म से झुका लेना चाहिए। इसके साथ ही कोर्ट ने मामले को लेकर अफसरों से कई सवाल भी पूछे।
पुराने बयान को फिर याद दिलाया
मांझी ने कोर्ट की इसी खबर का हवाला देते हुए अपने पुराने बयान को फिर याद दिलाया। माइक्रो ब्लागिंग साइट ट्विटर पर मांझी ने लिखा, मद्रास हाई कोर्ट की यह टिप्पणी मेरे उस बयान को साबित करती है, जिसमें मैंने कहा है…हम जो कहतें हैं वह सदियों का दर्द है, गुस्से का अबतक हमने इजहार कहां किया। गौरतलब है कि हाल ही में मांझी ने पंडितों को लेकर विवादित बयान दिया था। एक कार्यक्रम के दौरान पटना में मांझी ने ब्राह्मणों को गाली देते हुए कहा था कि पूजा कराने को आने वाले पंडित नीची जाति वालों के यहां खाएंगे नहीं पर पैसा मांगेंगे। हालांकि बयान पर विवाद बढ़ने के बाद उन्होंने सफाई दी थी और अपने आवास पर ब्राह्मण भोज का भी आयोजन किया था।