पटना हाई कोर्ट का पंचायतों से जुड़ा बड़ा फैसला, दोबारा अविश्वास प्रस्ताव लाए जाने पर कही अहम बात
पटना हाई कोर्ट ने दिया वैशाली की प्रमुख धर्मशीला कुमारी और उप प्रमुख नीलम देवी को उनके अपने पद पर वापसी का निर्देश कहा कि पंचायत प्रमुख के पांच साल के कार्यकाल में उनके खिलाफ दोबारा अविश्वास प्रस्ताव नहीं लाया जा सकता
पटना, राज्य ब्यूरो। Bihar Panchayati Raj: पटना हाई कोर्ट (Patna High Court) ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा कि पंचायत प्रमुख के पांच साल के कार्यकाल में उनके खिलाफ दोबारा अविश्वास प्रस्ताव नहीं लाया जा सकता है। मुख्य न्यायाधीश संजय करोल एवं न्यायाधीश एस कुमार की खंडपीठ ने धर्मशिला कुमारी की एलपीए याचिका को स्वीकृति देते हुए उक्त आदेश दिया। खंडपीठ ने अपने 77 पन्नों के आदेश में एकल पीठ के आदेश को निरस्त कर वैशाली ब्लाक प्रमुख धर्मशीला कुमारी और उप प्रमुख नीलम देवी को अपने पद पर वापस कायम करने का निर्देश दिया है।
वैशाली की पंचायत समिति प्रमुख के मसले पर दिया फैसला
वर्ष 2016 में धर्मशीला कुमारी और नीलम देवी को वैशाली पंचायत समिति की प्रमुख और उप प्रमुख के पद पर निर्वाचित किया गया था, लेकिन दो अगस्त, 2018 को 22 में से 10 सदस्यों ने बीडीओ के समक्ष प्रमुख एवं उप प्रमुख के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने का आवेदन दिया। उसी दिन बीडीओ ने उक्त आवेदन पर कार्यवाही के लिए प्रमुख के पास भेज दिया। प्रमुख ने अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिए 10 अगस्त, 2018 की तारीख तय की।
एकल पीठ के फैसले को दो सदस्यीय खंडपीठ में चुनौती
अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के लिए निर्धारित तिथि को अविश्वास प्रस्ताव लाने वाले सदस्य बैठक में उपस्थित नहीं हुए, जिससे अविश्वास प्रस्ताव पारित नहीं हो सका। इस वजह से हेमंत कुमार सहित 10 सदस्यों ने विशेष बैठक में भाग नहीं लेने वाले सदस्यों की सदस्यता समाप्त करने के लिए हाई कोर्ट में याचिका दायर की। न्यायाधीश ए. अमानुल्लाह की पीठ ने सुनवाई कर अविश्वास प्रस्ताव की विशेष बैठक को अनुचित बताते हुए तत्काल जांच का आदेश दिया। एकल पीठ के फैसले को चुनौती देते हुए धर्मशिला कुमारी ने हाई कोर्ट की दो सदस्यीय खंडपीठ में अपील दायर की।
अपील करने वाले अधिवक्ता ने दी ये दलील
अपीलार्थी की ओर से वरीय अधिवक्ता योगेश चंद्र वर्मा ने कोर्ट को बताया कि पंचायती कानून की धारा-44 के अनुसार पंचायत के पंचवर्षीय कार्यकाल के पहले दो साल में प्रमुख और उप प्रमुख के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव नहीं लाया जा सकता है। ऐसे में दूसरी बार अविश्वास प्रस्ताव लाने का कोई औचित्य नहीं बनता है, क्योंकि केवल एक साल का कार्यकाल शेष रह गया है। इस पर खंडपीठ ने एकल पीठ के फैसले को निरस्त कर प्रमुख एवं उप प्रमुख को अपने पद पर बने रहने का आदेश दिया।