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Bihar Panchayat Election 2021: बिहार में पंचायती राज व्यवस्था- जानिए संरचना और प्रावधान, कैसे करता है काम

Bihar Panchayat Election 2021 बिहार में पंचायत चुनाव 24 सितंबर से 12 दिसंबर तक 11 चरणों में होगा। इस खबर में जानिए बिहार की पंचायती राज व्‍यवस्‍था के बारे में खास बातें- इसकी संरचना व प्रावधान तथा कैसे काम करती है यह व्‍यवस्‍था।

By Amit AlokEdited By: Published: Thu, 26 Aug 2021 02:45 PM (IST)Updated: Thu, 26 Aug 2021 02:46 PM (IST)
Bihar Panchayat Election 2021: बिहार में पंचायती राज व्यवस्था- जानिए संरचना और प्रावधान, कैसे करता है काम
बिहार में पंचायत चुनाव मतदान की प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर।

पटना, आनलाइन डेस्‍क। Bihar Panchayat Election 2021 बिहार पंचायत चुनाव (Bihar Panchayat Election) आगामी 24 सितंबर से 12 दिसंबर तक 11 चरणों में होगा। इसके साथ साल 2016 में गठित पंचायती राज की संरचना पहले ही जून में भंग हो चुकी है। इस बार के चुनाव में ईवीएम (EVM) के अलावा बैलेट बॉक्स का भी इस्तेमाल किया जाएगा। अब नया साल आते-आते ग्राम स्‍वराज (Local Self Government) की नई व्यवस्था कायम हो जाएगी। सवाल यह है कि आखिर क्‍या है बिहार की पंचायती राज व्यवस्था? यह कैसे करती है काम?

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73वें संविधान संशोधन के तहत की गई व्‍यवस्‍था

पंचायती राज व्‍यवस्‍था को समझने के लिए हमें 73वें संविधान संशोधन को समझना होगा। मेहता कमेटी और सिंधवी कमेटी के सुझावों के आधार पर संविधान का 73वां संशोधन किया गया। इसमें राज्यों में ग्राम पंचायत के गठन का प्रावधान है। इसमें गांव के मतदाताओं द्वारा प्रत्‍यक्ष निर्वाचन से पांच साल के लिए पंचायतों का गठन किए जाने, कोई पद रिक्त होने पर छह महीने के भीतर चुनाव कराने की बात है। पंचायत चुनाव में उम्मीदवारों की उम्र सीमा न्‍यूनतम 21 वर्ष निर्धारित की गई है। पंचायती राज में सभी स्तरों एवं सभी पदों पर महिलाओं के लिए कम से कम एक तिहाई आरक्षण की व्यवस्था है। अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के लिए पिछली जनगणना के आधार पर उनकी जनसंख्या के अनुपात में सभी पदों एवं स्तरों पर आरक्षण का भी प्रावधान है। साथ ही पंचायत चुनाव का दायित्व निर्वाचन आयोग को दिया गया। इस संविधान संशोधन के लागू होने के बाद केंद्र ने राज्य सरकारों को अपने क्षेत्र के लिए पंचायती राज अधिनियम बनाने का निर्देश दिया।

ऐसे बना बिहार पंचायती राज अधिनियम, 2006

संविधान के 73वें संशोधन के बाद बिहार पंचायत राज अधिनियम, 1993 बनाया गया। इसमें 73वें संविधान संविधान के सभी प्रावधान शामिल कर लिए गए। इसके प्रभावी होने के साथ पहले के पंचायत राज अधिनियम निरस्त हो गए। इस अधिनियम में नगर कचहरी को भी शामिल किया गया। महिलाओं एंव अनुसूचित जाति व जनजाति के साथ अति पिछड़े वर्गों की जातियों को भी जनसंख्या के आधार पर आरक्षण दिया गया। बाद में पटना उच्च न्यायालय ने कुल आरक्षण 50 फीसद से अधिक नहीं करने तथा मुखिया सरपंच, प्रमुख और अध्यक्ष के पदों को एकल मानकर इनके लिए आरक्षण पर रोक लगा दी। अदालत ने ग्राम कचहरी के प्रावधान को असंवैधानिक करार देते हुए सरपंच एवं पंच के लिए शैक्षणिक योग्यता निर्धारित करने तथा उनके प्रशिक्षण की व्यवस्था कराने का भी आदेश दिया। बाद में नीतीश कुमार की सरकार ने सभी स्तरों पर महिलाओं को 50 फीसद तथा अत्यंत पिछड़ा वर्ग को 20 फीसद का आरक्षण देते हुए बिहार पंचायत राज अध्यादेश 2006 बनाया तथा इसे बिहार पंचायती राज अधिनियम, 2006 के रूप में लागू किया।

पंचायतों के पद और उनके दायित्‍व, एक नजर

  • मुखिया : मुखिया ग्राम पंचायत का मुख्य प्रतिनिधि व प्रधान कार्यकर्ता है। उसपर ग्राम-सभा, ग्राम पंचायत सदस्यों एवं स्थायी समीतियों का नियंत्रण रहता है।
  • वार्ड सदस्य : कई वार्डों में बंटे ग्राम पंचायत के र्पत्‍येक वार्ड से एक सदस्‍य निर्वाचित होता है। मुखिया तक वार्ड की समस्याओं को पहुंचाना वार्ड सदस्‍य का दायित्‍व है।
  • पंचायत समिति सदस्य : ग्राम पंचायत एवं जिला परिषद के बीच की कड़ी है।
  • जिला परिषद सदस्य : जिला परिषद जिला स्तरीय संस्था है। एक ओर यह पंचायत समितियों एवं ग्राम पंचायतों की श्रेष्ठ संस्था के रूप में कार्य करती है, तो दूसरी ओर केंद्र व राज्य के लिए संपर्क की कड़ी भी है।
  • सरपंच : हर ग्राम पंचायत में एक ग्राम कचहरी होती है। देश में ग्राम पंचायत के साथ ग्राम कचहरी को जोड़कर पंचायती राज व्यवस्था को बनाने का काम केवल बिहार में ही किया गया है।
  • पंच : हर वार्ड से पंच चुने जाते हैं। पंच ग्राम कचहरी में सरपंच के साथ मिलकर व्‍यवस्‍था के लिए जिम्‍मेदार होते हैं।

बिहार पंचायत चुनाव, 2021, चरणवार वोटिंग

  • पहला चरण : 24 सितंबर- 10 जिलों के 12 प्रखंड।
  • दूसरा चरण : 29 सितंबर- 34 जिलों के 48 प्रखंड।
  • तीसरा चरण : 08 अक्टूबर- 35 जिलों के 50 प्रखंड।
  • चौथा चरण : 20 अक्टूबर- 36 जिलों के 53 प्रखंड।
  • पांचवां चरण : 24 अक्टूबर- 38 जिलों में 58 प्रखंड।
  • छठा चरण : 03 नवंबर- 37 जिलों के 57 प्रखंड।
  • सातवां चरण : 15 नवंबर- 37 जिलों के 63 प्रखंड।
  • आठवां चरण : 24 नवंबर- 36 जिलों के 55 प्रखंड।
  • नौवां चरण : 29 नवंबर- 35 जिलों के 53 प्रखंड।
  • 10 वां चरण : 08 दिसंबर- 34 जिलों के 54 प्रखंड।
  • 11 वां चरण : 12 दिसंबर- 20 जिलों के 38 प्रखंड।

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