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बिहार पंचायत चुनाव 2021: चुनाव प्रचार के दौरान गलती से न करें इन शब्दों का प्रयोग, जाना पड़ेगा जेल

जिला निर्वाचन आयोग को लगातार दिशा निर्देश दिए जा रहे हैं। यदि कोई प्रत्याशी या उसका समर्थक धर्म नस्ल जाति समुदाय या भाषा के आधार पर विभिन्न वर्गों के बीच शत्रुता या घृणा फैलाता है तो उसे तीन से पांच वर्ष की सजा हो सकती है।

By Akshay PandeyEdited By: Published: Sat, 11 Sep 2021 05:17 PM (IST)Updated: Sat, 11 Sep 2021 05:17 PM (IST)
बिहार पंचायत चुनाव 2021: चुनाव प्रचार के दौरान गलती से न करें इन शब्दों का प्रयोग, जाना पड़ेगा जेल
पंचायत चुनाव के प्रचार के दौरान शब्दों के इस्तेमाल पर विशेष ध्यान रखना होगा। सांकेतिक तस्वीर।

संवाद सहयोगी, केसठ (बक्सर): त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव को लेकर तैयारी जोरों पर है। चुनाव को शांतिपूर्ण व निष्पक्ष कराने को ले बिहार निर्वाचन आयोग द्वारा जिला निर्वाचन आयोग को लगातार दिशा निर्देश दिए जा रहे हैं। इसके साथ ही जिले में अगले पांच साल के लिए गांव की सरकार के गठन की कवायद भी फिर से तेज हो गई है। नावानगर एंव केसठ प्रखंड में 24 अक्टूबर को पांचवें चरण के लिए मतदान होगा। राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन की स्थिति में संबंधित व्यक्तियों पर कार्रवाई करने का वैधानिक उपबंध है। इसमें भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं में सजा का प्रावधान किया गया है। यदि कोई प्रत्याशी या उसका समर्थक धर्म, नस्ल, जाति, समुदाय या भाषा के आधार पर विभिन्न वर्गों के बीच शत्रुता या घृणा फैलाता है तो उसे तीन से पांच वर्ष की सजा हो सकती है। यह गैर जमानतीय व संज्ञेय अपराध की श्रेणी में आता है।

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प्रत्याशी के जीवन की आलोचना पर भी होगी कार्रवाई

इसी प्रकार कोई भी प्रत्याशी किसी अन्य प्रत्याशी, किसी के जीवन के ऐसे पहलुओं की आलोचना करता है, जिसकी सत्यता साबित नहीं हो तो उसे भी सजा हो सकती है। हालांकि यह जमानतीय अपराध है, जिसकी सुनवाई प्रथम श्रेणी के मजिस्ट्रेट के समक्ष होगी। इसी प्रकार से निर्वाचन प्रचार के लिए मस्जिदों, गिरिजा घरों, मंदिरों, ठाकुरबाडिय़ों या अन्य पूजा स्थलों या धर्मस्थलों का प्रचार मंच के रूप में करना, जातीय या सांप्रदायिक भावनाओं की दुहाई देना भी गैर जमानतीय अपराध की श्रेणी में शामिल है। इस बार प्रशासन आदर्श आचार संहिता के पालन के लिए ज्यादा सक्रिय है।

मुखिया को अनिवार्य रूप से करानी होगी बैठक

पंचायती राज विभाग के निर्देशानुसार इस बार चुनाव जीतने वाले मुखिया को अब अपने कार्य क्षेत्र में एक वर्ष में कम से कम चार बैठकें अनिवार्य रूप से आयोजित करनी होंगी। इन चार बैठकों के अलावा इनके पास ग्राम पंचायतों के विकास की कार्य योजना बनाने के साथ-साथ सभी प्रस्तावों को लागू करने की जवाबदेही भी तय होगी। इसके अलावा ग्राम पंचायतों के लिए तय किए गए टैक्स, चंदे व अन्य सरकारी शुल्क की वसूली के इंतजाम करना भी इनके जिम्मे ही होगा।

इस बार सरपंचों को मिले तीन बड़े अधिकार

इस बार सरपंचों को पंचायती राज व्यवस्था में तीन बड़े अधिकार दिए गए हैं। इसमें ग्राम पंचायत की बैठक बुलाने, उनकी अध्यक्षता करने के साथ ही अब ग्राम पंचायत की कार्यकारी व वित्तीय शक्तियां भी सरपंचों के पास रहेंगी। इनके जिम्मे जो मुख्य कार्य होंगे उनमें पंचायत व गांव की सड़कों की देखभाल, पशुपालन व कृषि के व्यवसाय को बढ़ावा देने, ङ्क्षसचाई की व्यवस्था करने के अलावा अंतिम संस्कार व कब्रिस्तान का रखरखाव करना होगा। सरपंच को कार्यकारी व वित्तीय शक्तियां देने से इस बार सरपंच पद के लिए अभ्यर्थियों की संख्या भी विभिन्न पंचायतों में बढ़ गई है। जबकि पिछले चुनाव में सरपंच व पंच पद के लिए सबसे कम प्रत्याशी मैदान में थे।

नियमों को लेकर कराया जाएगा अवगत 

प्रखंड विकास पदाधिकारी सह प्रखंड निर्वाची पदाधिकारी प्रभात रंजन ने कहा कि पंचायत चुनाव में पूरी तरह से पारदर्शिता रखने व निष्पक्षता के साथ भयमुक्त चुनाव कराने के लिए प्रखंड प्रशासन प्रयत्नशील है। आदर्श आचार संहिता के पालन के लिए प्रखंड स्तर तक लोगों को लगातार नियमों से अवगत कराया जा रहा है। संभावित प्रत्याशी प्रखंड कार्यालयों में संपर्क कर जरूरी जानकारी ले सकते हैं। इसके उल्लंघन में कानूनी कार्रवाई भी हो सकती है। 


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