नीतीश ने किया 500 करोड़ की लागत से बने बिहार संग्रहालय का लोकार्पण
इतिहास को नया ठिकाना मिल गया है। शाम साढ़े सात बजे बेली रोड के किनारे बने बिहार अंतरराष्ट्रीय संग्रहालय का मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने लोकार्पण किया। फिलहाल सिर्फ ओरिएंटेशन और चिल्ड्रेन गैलरी ही बनकर तैयार हो पाई है।
पटना। इतिहास को नया ठिकाना मिल गया है। शाम साढ़े सात बजे बेली रोड के किनारे बने बिहार अंतरराष्ट्रीय संग्रहालय का मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने लोकार्पण किया। फिलहाल सिर्फ ओरिएंटेशन और चिल्ड्रेन गैलरी ही बनकर तैयार हो पाई है। अन्य आठ गैलरी का निर्माण चलता रहेगा। लोकार्पण समारोह के लिए बिहार म्यूजियम को दुल्हन की तरह सजाया गया है।
इसलिए खास है ये संग्रहालय
बिहार को 100 साल बाद कोई ऐसा भवन मिला है, जो इतना भव्य है। बेली रोड पर 13.5 एकड़ जमीन में करीब 500 करोड़ रुपये की लागत से इसका निर्माण हो रहा है। इसका आर्किटेक्चर अंतरराष्ट्रीय स्तर का है, जिसमें काफी मात्रा में स्टील का इस्तेमाल किया जाना है।
अक्टूबर 2013 में शुरू हुआ निर्माण
अधिकारियों का दावा है कि इस तरह का मेगा प्रोजेक्ट रिकॉर्ड समय में तैयार किया गया है। अक्टूबर 2013 से बिहार म्यूजियम का निर्माण शुरू किया गया था। महीनों यहां दिन-रात काम चलता रहा है।
छह माह में होगा पूरी तरह तैयार
कला एवं संस्कृति विभाग के प्रधान सचिव विवेक सिंह ने बताया कि करीब छह माह में संग्रहालय अपना पूरा आकार पा लेगा। यह सुबह साढ़े दस से शाम साढ़े चार बजे तक खुला रहेगा। व्यस्कों को 50 और छात्रों को 25 रुपये का टिकट लेना होगा।
ये गैलरी होंगी आकर्षण
ओरिएंटेशन गैलरी : यहां पूरे म्यूजियम में प्रदर्शित की जानेवाली धरोहरों की झलक देखने को मिलेगी। इस गैलरी में पूरे बिहार म्यूजियम का दर्शन होगा।
चिल्ड्रेन गैलरी
इस गैलरी में ऑडियो-वीडियों प्रेजेंटेशन के जरिए बच्चों के लिए इतिहास आधारित कई रोचक खेल होंगे। 'खेल-खेल में करो और सीखो' की तर्ज पर इसका निर्माण किया गया है।
ऐसे ही एक रोचक वीडियो में चाणक्य की आवाज में खेल के इंस्ट्रक्शन दिए जाएंगे। यदि बच्चे इसमें जीतेंगे तो अंत में उन्हें इनाम के रूप में राजा का ताज मिलेगा। ताज पहने हुए वे अपनी तस्वीर स्क्रीन पर देख सकेंगे।
इसके अलावा जातक कहानियों और ऐतिहासिक कालक्रम जैसे शेरशाह सूरी के समय के बाजार की प्रतिकृति (रिप्लाइका) आदि के दर्शन होंगे। इसे दूरबीन से देखने पर बच्चों को उस काल में जाने का एहसास होगा।
इन गैलरियों का होना है निर्माण
सांस्कृतिक गैलरी : यहां बिहार की संस्कृति की खुशबू लोगों को खींच लाएगी। बिहार में रची बसी संस्कृति की इंद्रधनुषी छटा आगंतुकों को लोक संस्कृति से रूबरू कराएगी।
क्षेत्रीय आर्ट गैलरी : इस गैलरी में बिहार की विभिन्न लोक कलाओं जैसे मुधबनी पेंटिंग, सुजनी, टिकुली आर्ट और सिक्की आर्ट को प्रदर्शित किया जाएगा।
डायस्पोरा गैलरी : यहां वैदिक काल से लेकर अब तक के महापुरुषों के चित्र और उनके परिचय लगाए जाएंगे। इसमें राजनीति से लेकर कला और संस्कृति के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान देनेवाले महापुरुषों का जिक्र होगा।
हिस्ट्री गैलरी : इसे तीन अलग-अलग गैलरी में विभाजित किया जाएगा। जहांं 6ठीं शताब्दी ईसा पूर्व से लेकर 12वीं शताब्दी तक के विभिन्न काल और संस्कृतियों की झलक दिखेगी।
एक नजर में महत्वपूर्ण बात
- 02 गैलरी का ही फिलहाल आनंद ले सकेंगे लोग
- 50 रुपये का टिकट लेना होगा व्यस्कों को
- 25 रुपये का टिकट लगेगा छात्र-छात्राओं को
- 13.5 एकड़ जमीन में बेली रोड के किनारे हुआ निर्माण
- 500 करोड़ रुपये की लागत है बिहार संग्राहलय की
- सुबह 10.30 से 4.30 बजे तक खुला रहेगा संग्रहालयअगले छह माह में पूरी तरह से तैयार हो जाएगा म्यूजियम