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बिहार के इस चुनाव में 10 हजार रुपए में बिकता है एक वोट! एक साल से चल रही तैयारी पर फिरा पानी

Bihar MLC Election स्थानीय प्राधिकार कोटे के चुनाव तैयारी में जुटे भावी प्रत्याशियों को लगा झटका त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव अनिश्चित काल के लिए टलने का मामला 24 में पांच सीटें है रिक्त तीन सीट इस्तीफे की वजह से और दो सीट निधन के कारण है खाली

By Shubh Narayan PathakEdited By: Published: Wed, 02 Jun 2021 07:12 PM (IST)Updated: Wed, 02 Jun 2021 07:12 PM (IST)
बिहार के इस चुनाव में 10 हजार रुपए में बिकता है एक वोट! एक साल से चल रही तैयारी पर फिरा पानी
बिहार विधान परिषद का भवन। प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर

पटना, रमण शुक्ला। Bihar Vidhan Parishad Chunav: बिहार में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव (Bihar Panchayat Chunav) टालने के सरकार के फैसले का असर विधान परिषद की सदस्य संख्या पर भी पड़ेगा। 75 सदस्यीय विधान परिषद में स्थानीय प्राधिकार से चुनकर आने वाले सदस्यों की संख्या 24 है। उनका कार्यकाल 15 जुलाई को समाप्त हो रहा है। बहरहाल कोरोना संक्रमण के मद्देनजर पंचायत चुनाव टालने के सरकार फैसले से पिछले एक साल से चुनाव की तैयारी कर रहे संभावित प्रत्याशियों की उम्मीद पर पानी फिर गया है।

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इस चुनाव में खर्च होता है प्रत्‍याशी का ही पैसा

दरअसल, प्रत्याशी के लिए चुनाव व्यक्तिगत होता है। प्रत्याशी को ही एक-एक वोट का इंतजाम करना होता है। इसमें पैसा और जाति की ही भूमिका निर्णायक होती है। चुनाव के लिए पार्टी प्रत्याशी को खर्च करने के लिए मदद न के बराबर करती है। यह बाद दीगर है कि चुनाव आयोग को बताने के लिए पार्टी की ओर से प्रत्याशी के चुनाव खाते में पैसे भेजे जाते हैं। लेकिन इस राशि का भुगतान प्रत्याशी पहले ही पार्टी के फंड में दान कर चुके होते हैं।

एक-एक वोट की कीमत 10 हजार रुपए तक

2014 के चुनाव में जीत कर आने वाले एमएलसी बताते हैं कि अंतिम समय में एक-एक वोट के लिए पांच से दस हजार रुपये का भुगतान करना पड़ा था। वोट की कीमत के संबंध में बताया कि पार्टी की ओर से टिकट तय होने के बाद वोट खरीदने का अभियान शुरू हो जाता है। विधानसभा और लोकसभा सभा की तर्ज पर स्थानीय प्राधिकार कोटे के चुनाव में भी अमूमन आमने-सामने एक ही जाति के दो मजबूत प्रत्याशी नहीं होते हैं। सीधे तौर पर कहें तो स्थानीय प्राधिकार का चुनाव धन कुबेर व धन पशुओं के लिए ही होता है।

24 में पांच सीट है रिक्त

वर्तमान में स्थानीय निकाय कोटे के 19 सदस्य ही सीटिंग हैं। 24 में 3 सदस्य दिलीप राय, मनोज यादव और रीतलाल यादव विधायक बनने के बाद इस्तीफा दे पद खाली है। वहीं, सुनील कुमार सिंह और हरिनारायण चौधरी का निधन हो गया है। सीटिंग 19 सदस्यों के फिर से चुनाव मैदान में उतरना तय है।  वे अपने वर्तमान निर्वाचन क्षेत्र से ही चुनाव लड़ेंगे।

तीन प्रत्‍याशी ऐसे जो लगातार तीन बार जीते

स्थानीय प्राधिकार कोटे के तहत तीन सीट ऐसी है जहां से एक व्यक्ति लगातार तीन बार से निर्वाचित हो रहे हैं। नवादा के सलमान रागीब, मुजफ्फरपुर के दिनेश सिंह और पश्चिम चंपारण के राजेश राम लगातार तीसरी बार जीतें हुए हैं। हां, कुछ सदस्य के नई परिस्थिति और माहौल में  पार्टी बदलकर भी मैदान में उतरने की चर्चा तेज हो गई है। 2014 के चुनाव में लोजपा से जीतीं नूतन सिंह (सुपौल) भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर चुकीं हैं।

राजद के दो एमएलसी अब जदयू में

राजद से जीते संजय प्रसाद (मुंगेर) और राधाचरण साह (भोजपुर) जदयू में शामिल हो चुके हैं। दिलीप राय भी पिछली बार राजद से निर्वाचित होकर जदयू में शामिल हो गये थे, लेकिन बाद में वे विधान सभा के लिए जदयू के टिकट पर चुन लिये गये। भाजपा के टुन्नाजी पांडेय (सीवान) के अगला चुनाव राजद से लडऩे की संभावना चर्चा तेज है। भाजपा में उनका पार्टी नेताओं से रिश्ता बिगड़ गया है।


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