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म्युटेशन किस धारा के तहत रद या मंजूर किया, बिहार में डीसीएलआर को लिखित होगा बताना

राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के संयुक्त सचिव चंद्रशेखर प्रसाद विद्यार्थी ने कहा है कि अस्पष्ट आदेश के कारण रैयतों को परेशानी हो रही है। उन्होंने सभी जिलाधिकारियों को पत्र लिख कर आग्रह किया कि वे इसे डीसीएलआर के जरिए लागू कराएं।

By Akshay PandeyEdited By: Published: Sat, 04 Dec 2021 06:04 PM (IST)Updated: Sat, 04 Dec 2021 06:04 PM (IST)
म्युटेशन किस धारा के तहत रद या मंजूर किया, बिहार में डीसीएलआर को लिखित होगा बताना
म्युटेशन की अर्जी को किस धारा के तहत रद की गई या मंजूर किया यह अब बताना होगा। सांकेतिक तस्वीर।

राज्य ब्यूरो, पटना: म्युटेशन की अर्जी को किस धारा के तहत रद की गई या मंजूर कर रैयत के पक्ष में आदेश दिया गया, डीसीएलआर (भूमि सुधार उप समाहर्ता) को यह सब लिखित में बताना होगा। राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के संयुक्त सचिव चंद्रशेखर प्रसाद विद्यार्थी ने कहा है कि अस्पष्ट आदेश के कारण रैयतों को परेशानी हो रही है। उन्होंने सभी जिलाधिकारियों को पत्र लिख कर आग्रह किया कि वे इसे डीसीएलआर के जरिए लागू कराएं। यह आदेश इसलिए दिया गया है, क्योंकि शिकायत मिल रही थी कि डीसीएलआर म्यूटेशन की किसी अर्जी को स्वीकृत या रद कर देते हैं, मगर आदेश में दाखिल-खारिज अधिनियम की धाराओं का जिक्र नहीं रहता है। इसके चलते अधिसंख्य मामलों में विवाद सलटने के बदले बढ़ ही जाता है।

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विद्यार्थी ने अपने पत्र में कहा है कि इस तरह के अस्पष्ट आदेशों से अर्जी दाखिल करने वाले संतुष्ट नहीं होते हैं। उन्होंने कहा कि हरेक आदेश में दाखिल-खारिज अधिनियम की धाराओं का उल्लेख करना जरूरी है। उन्होंने कहा कि डीसीएलआर के आदेश से अर्जी दाखिल करने वालों को लगे कि उनके साथ न्याय हुआ है। इस मामले में अपील के लिए बिहार भूमि दाखिल-खारिज नियमावली के प्रविधानों का सहारा लिया जाता है। अधिनियम की धारा सात और नियमावली के नियम 11 में अपील का प्रविधान है। 

नौ लाख से ज्यादा दाखिल खारिज के मामले में बिहार लंबित

विधान परिषद से गुरुवार को बिहार भूमि दाखिल खारिज (संशोधन) विधेयक-2021 पारित हो गया। कानून में संशोधन से भूमि विवाद संबंधित मामलों के निपटाने में सरकार को सहूलियत होगी। इससे पहले सदन में दाखिल खारिज संशोधन विधेयक पर वाद-विवाद चर्चा भाग लेते हुए विपक्ष की ओर से रामचंद्र पूर्वे ने कहा कि नौ लाख से ज्यादा दाखिल खारिज के मामले सरकार के पास लंबित हैं। दाखिल खारिज के लिए जनता को सबसे ज्यादा परेशान होना पड़ता है। उन्होंने कहा कि एक जमीन का चार-चार बार म्यूटेशन पटना में देखा गया है। पूर्वे ने सरकार को कानून में सुधार के कई सुझाव दिए। सीओ, राजस्व अधिकारी और राजस्व कर्मियों द्वारा किए जा रहे गड़बडिय़ों की ओर भी सदन का ध्यान आकृष्ट किया। वहीं, कांग्रेस नेता समीर सिंह ने कहा कि कर्मचारी रिश्वत लेकर जमीन दूसरे के नाम पर कर दे रहे हैं। सदन में चर्चा के दौरान पैतृक जमीन संबंधित विवाद का जिक्र करते हुए समीर सिंह ने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के निर्देश के बावजूद कार्रवाई नहीं हुई।


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