बिहार : जूनियर डॉक्टर्स की हड़ताल से 11 की मौत, मानवाधिकार आयोग ने तरेरी आंख
पीएमसीएच में जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल अब लगातार जानलेवा बनती जा रही है। तीन दिनों से चल रही हड़ताल के कारण इलाज के अभाव में छह लोगों की मौत हो गई है। जूनियर डॉक्टरों ने सुरक्षा के अभाव में काम करने से इंकार कर दिया है।
पटना। पीएमसीएच सहित बिहार के सभी छह मेडिकल कॉलेजों में जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल सोमवार से लगातार जारी है। हड़ताल के कारण इलाज के अभाव में 11 लोगों की मौत हो चुकी है। जूनियर डॉक्टरों ने सुरक्षा के अभाव में काम करने से इंकार कर दिया है। इस बीच मानवाधिकार आयोग ने स्वत: संज्ञान लेते हुए स्वास्थ्य विभाग से रिपोर्ट तलब किया है।
विदित हो कि रविवार की रात पटना मेडिकल कॉलेज अस्पताल (पीएमसीएच) में इलाज के अभाव में एक इंजीनियर की मौत हो गई थी। इससे आक्रोशित इंजीनियर के परिजनों ने पीएमसीएच में जमकर हंगामा मचाया था। इस दौरान डॉक्टरों और मृतक के परिजनों के बीच जमकर मारपीट हुई थी। इसके बाद से पीएमसीएच के जूनियर डॉक्टर हड़ताल पर हैं।
हड़ताल के कारण मरीज पलायन करने को मजबूर हो रहे हैं। सोमवार की रात से रात अब तक सैकड़ों मरीज पीएमसीएच के इमरजेंसी वार्ड से दूसरे अस्पतालों की तरफ रूख कर चुके हैं। रोगियों की बिगड़ती हालत को देखते हुए भी जूनियर डॉक्टर लगातार अपनी मांगों को मनवाने की शर्त पर तुले हुए हैं। हड़ताल को लेकर प्रिंसिपल की सख्ती से नाराज जूनियर डॉक्टर उन्हें हटाने की भी मांग कर रहे हैं। इस बीच सूबे के अन्य मेडिकल कॉलेजों में भी जूनियर डॉक्टर हड़ताल पर चले गए हैं।
मानवाधिकार आयोग ने मांगा रिपोर्ट हड़ताल के कारण इलाज के अभाव में मौतों को लेकर मानवाधिकार आयोग ने स्वत: संज्ञान लेते हुए स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव से जवाब-तलब किया है। आयोग ने इलाज के अभाव में हुई मौतों को लेकर सख्त रूख अपनाया है। साथ ही इस बारे में आइजी से भी रिपोर्ट पेश करने की बात कही है।
प्रधान सचिव ने कहा, होगी कड़ी कार्रवाई
पीएमसीएच में हड़ताल को लेकर स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव आर के महाजन ने कहा कि जूनियर डॉक्टरों की जायज मांगें ही मानी जाएंगी। जहां तक प्रिंसिपल को हटाने की मांग है, इसका तो सवाल ही नहीं है। अगर डॉक्टर लिखित शिकायत देते हैं तो जांच करने के बाद कार्रवाई की जाएगी।
उन्होंने कहा कि डॉक्टरों से काम पर लौटने की अपील की जा रही है। अगर वे नहीं मानते हैं तो उनपर कार्रवाई की जाएगी। हालांकि, प्रधान सचिव ने कार्रवाई की कोई समय सीमा नहीं बताया। 'एस्मा' लगाने के सवाल पर उन्होंने कहा कि अभी इसका समय नहीं आया है। अगर जरुरत होगी तो इस अधिनियम के तहत भी कार्रवाई की जाएगी। कहा कि हड़ताल अवधि का स्टाईपेंड नहीं दिया जायेगा इसका आदेश भी जारी कर दिया गया है।
उन्होंने कहा कि बाहर से डॉक्टरों को मंगाया गया है और इरमजेंसी सुचारु चलाने की कोशिश की जा रही है। जो लोग इमरजेंसी सेवा में व्यवधान डालेंगे, उनपर कड़ी कार्रवाई की जायेगी। महाजन ने यह भी कहा कि जरुरी हुआ तो प्राइवेट में भी गरीब मरीजों का इलाज करायेंगे। इसके अलावा इमरजेंसी के लिए अलग से डॉक्टरों का कैडर बनाने की भी बात कही।
महाजन ने कहा कि डॉक्टरों की सुरक्षा के लिए राज्य सरकार प्रतिबद्ध है। पीएमसीएच में सुरक्षा के लिए दो सेक्शन फोर्स तैनात किए जाएंगे । इस संबंध में गृह सचिव और डीजीपी से बातचीत हो गयी है।
उपमुख्यमंत्री ने कहा, बातचीत कर निकालेंगे समाधान
उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने जूनियर डॉक्टरों से हड़ताल समाप्त करने की अपील की है। उन्होंने कहा है कि मिल बैठकर बात करेंगे और डॉक्टरों की समस्या का निदान करेंगे। एेसी कोई भी समस्या नहीं जिसका समाधान न किया जा सके।
प्राचार्य ने अंडरग्रेजुएट छात्रों को हॉस्टल खाली करने का दिया आदेश
इधर, पीएमसीएच के प्राचार्य ने जूनियर डॉक्टरों के प्रति सख्ती दिखाते हुए अंडरग्रेजुएट छात्रों को हॉस्टल खाली करने का आदेश जारी कर दिया है। साथ ही प्रिंसिपल ने कॉलेज को अनिश्चितकाल तक के लिए बंद भी करा दिया है।
प्राचार्य डाॅ. एसएन सिन्हा ने हड़ताली डॉक्टरों के लाठीचार्ज के आरोप पर अपनी सफाई देते हुए कहा कि आरोप लगाने के कई कारण हैं। प्राचार्य ने कहा कि उनपर इसलिए आरोप लगाया गया, क्योंकि उन्होंने हॉस्टल में रेड करवाया। अवैध रूप से रह रहे छात्रों को नोटिस देकर बाहर करवाया और अटेंडेंस के प्रति सख्ती बरती।
प्राचार्य ने पीएमसीएच के कुछ शिक्षकों पर भी साजिश का आरोप लगाते हुए कहा कि छात्रों को बहकाने में कुछ शिक्षकों का भी हाथ है। इस्तीफा देने की बात पर उन्होंने साफ कहा कि वे किसी के दवाब में आकर इस्तीफा नहीं देंगे, जब तक कि सरकार नहीं चाहेगी।
क्या है मामला
रविवार की रात इलाज के अभाव एक इंजीनियर की मौत हो गई थी। इससे आक्रोशित इंजीनियर के परिजनों ने पीएमसीएच में जमकर हंगामा मचाया था और डॉक्टरों और मरीज के परिजनों के बीच जमकर मारपीट हुई थी। इसके बाद से पीएमसीएच के डॉक्टर हड़ताल पर हैं। सुरक्षा के लिहाज से पूरे पीएमसीएच परिसर को छावनी में तब्दील कर दिया गया है।
पीएमसीएच में जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल के कारण मरीज पलायन करने को मजबूर हो रहे हैं। सोमवार की रात से रात अब तक सैकड़ों मरीज पीएमसीएच के इमरजेंसी वार्ड से दूसरे अस्पतालों की तरफ रूख कर चुके हैं। रोगियों की बिगड़ती हालत को देखते हुए भी जूनियर डॉक्टर लगातार अपनी मांगों को मनवाने की शर्त पर तुले हुए हैं। जूनियर डॉक्टर लगातार प्रिंसिपल को भी हटाने की भी मांग कर रहे हैं।
मुख्यमंत्री के जनता दरबार में भी सोमवार को स्वास्थय मंत्री ने जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल को खत्म करवाने का भरोसा दिलाया था, लेकिन जूनियर डॉक्टर किसी की भी सुनने के पक्ष में नहीं दिख रहे हैं।