बिहार जदयू ने की शरद यादव के खिलाफ कार्रवाई की अनुशंसा
जदयू के प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह ने बिहार दौरे पर निकले शरद यादव पर कार्रवाई करने की अनुशंसा की है। साथ ही कहा कि उनके साथ रमई राम पर भी कार्रवाई की जायेगी।
पटना [राज्य ब्यूरो]। जदयू के प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह ने बिहार दौरे पर निकले पार्टी के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद यादव के खिलाफ कार्रवाई की अनुशंसा राष्ट्रीय नेतृत्व से की है। सिंह ने कहा कि शरद यादव के दौरे के क्रम में उनके साथ रमई राम जैसे जदयू के एकाध नेता दिखाई दिए हैं। उनपर भी शीघ्र ही कार्रवाई की जाएगी।
सिंह ने कहा कि शरद यादव बिहार से राज्यसभा सदस्य हैं। उनसे पार्टी के किसी फैसले के खिलाफ जनता के बीच जाने की उम्मीद नहीं थी। लेकिन उन्होंने दिल्ली में पहले जो बयान दिए, उससे हमें आशंका हो गई थी। हमारी यह आशंका सच निकली। दौरे के क्रम में उनका स्वागत करने वालों को जो चेहरा नजर आ रहा है, वह राजद नेताओं का है। उनके इस कार्यक्रम को आयोजित करने में राजद की अहम भूमिका है।
महागठबंधन से अलग होने का फैसला सभी विधायकों एवं जिलाध्यक्षों से विमर्श के बाद लिया गया था। शरद यादव का यह कहना उचित नहीं है कि पार्टी के किसी फोरम में इस पर विमर्श नहीं किया गया।
इस बीच, जदयू के प्रधान राष्ट्रीय महासचिव केसी त्यागी ने कहा कि शरद यादव का यह बयान हमारे लिए चिंताजनक है कि वह अभी भी महागठबंधन के साथ हैं। अगर उन्हें पार्टी के किसी फैसले पर एतराज है तो पार्टी के अंदर अपनी बातें रखें।
हमें पूरी उम्मीद है कि 19 अगस्त को राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में वह जरूर अपनी बातें रखेंगे। वह जिस दौरे पर निकले हैं, वह राजद ने प्रायोजित किया है। शरद यादव अंधेरे में तीर चला रहे हैं। उन्हें लालटेन की रोशनी की जरूरत आ पड़ी है।
बता दें कि बिहार दौरे पर निकले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का नाम लिए बगैर शरद ने जदयू के बदले स्टैंड को जनता के साथ धोखा करार दिया।
महागठबंधन को अटूट बताते हुए शरद ने दावा किया बिहार में भाजपा को नकार कर राजद-कांग्रेस-जदयू के संयुक्त घोषणापत्र को जनता ने पसंद किया था, लेकिन महज आठ घंटे में जनादेश को पलट दिया गया। बिहार के 11 करोड़ लोगों ने भाजपा के साथ जाने का जनादेश नहीं दिया था।
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पिछले 70 सालों में पहली बार ऐसा हुआ है कि दो अगल-अलग मैनिफेस्टो पर लडऩे वाले दल एक साथ हो गए हैं। शरद ने दावा किया कि जदयू के असली नेता और कार्यकर्ता अभी भी उनके साथ हैं, जबकि जो लोग छोड़कर गए हैं, वे सरकारी लोग हैं।
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