बिहार में देसी गायों को बढ़ावा देगी सरकार; इनका दूध क्यों कहा जाता है अमृत, आप भी जान लीजिए
Bihar News देसी नस्ल की गायों का वंश विस्तार करेगा बिहार जान लीजिए सरकार की पूरी योजना सामान्य दूध से कैसे अलग है देसी गायों का दूध ये भी जानिए 71 पदों पर होगी नियुक्तियां 40 करोड़ रुपये बजट का किया जाएगा प्रविधान
रमण शुक्ला, पटना। बिहार में देसी नस्ल की गायों की लगातार कम होती संख्या को देखते हुए अब संवर्धन एवं संरक्षण की व्यवस्था की जाएगी। इसके लिए बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय में अलग इकाई की स्थापना की जा रही है। इसका नाम देसी गोवंश संरक्षण एवं संवर्धन संस्थान होगा। इसमें गिर, साहिवाल, बछौर एवं पूर्णिया आदि नस्ल की गायों का संवर्धन किया जाएगा। प्रारंभिक तौर पर 200 गायों और 10 सांडों की खरीद की जा रही है। इस इकाई के लिए पहले चरण में अधिकारियों और कर्मियों के अलग से 71 पद सृजित किए गए हैं। शीघ्र ही नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू होगी। पहले चरण में योजना पर 40 करोड़ रुपये खर्च का प्रविधान किया गया है।
इस वजह से लिया देसी गायों को बढ़ावा देने का निर्णय
दरअसल, सरकार का मानना है कि देसी गायों के दूध ने अब तक भारतीय संस्कृत, संस्कार और स्वास्थ्य को संवारा है, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में बेतहाशा दूध उत्पादन की होड़ में विदेशी गायों को पालने का चलन बढऩे कई नुकसान सामने आए हैं। इस वजह से सरकार देसी गायों के संरक्षण और संवर्धन का निर्णय लिया है।
देसी गाय के दूध में मिलता है सोना
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार भारतीय गोवंश की रीढ़ से सूर्य केतु नामक एक विशेष नाड़ी होती है, जब इस पर सूर्य की किरणें पड़ती हैं, तब यह नाड़ी सूर्य किरणों के तालमेल से सूक्ष्म स्वर्ण कणों का निर्माण करती है। यही कारण है कि देसी नस्ल की गायों का दूध पीलापन लिए होता है और इस दूध में जीवन रक्षक विशेष औषधीय गुण होता है। देसी गाय के दूध, दही और घी में सोना की भी आंशिक मात्रा पाई जाती है। करीब 16 सौ किलोलीटर दूध में 10 ग्राम सोना पाया जाता है। जिससे शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।
गोबर और गोमूत्र का भी महत्व
देसी गाय का गोबर व गोमूत्र शक्तिशाली है। रासायनिक विश्लेषण में देखें कि खेती के लिए जरूरी 23 प्रकार के प्रमुख तत्व गोमूत्र में पाए जाते हैं। इन तत्वों में कई महत्वपूर्ण मिनरल, अम्ल, लवण, विटामिन, प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेट होते हैं। गोबर में विटामिन बी-12 प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। यह रेडियोधर्मिता को भी सोख लेता है। गोबर में खेती के लिए लाभकारी जीवाणु, बैक्टीरिया, फंगल आदि बड़ी संख्या में रहते हैं। देसी गाय द्वारा छोड़ी गई श्वास से सभी अदृश्य एवं हानिकारक बैक्टीरिया मर जाते हैं। ऐसे तमाम शोध को बढ़ावा देने की तैयारी की जा रही है।
बिहार सरकार के उप मुख्यमंत्री और पशु एवं मत्स्य संसाधन मंत्री तार किशोर प्रसाद ने कहा कि सनातन संस्कृति के अनुसार देसी गायों के रोम-रोम में ममत्व और अंग-अंग में स्वस्थ्य-सुखी जीवन की संजीवनी बसती है। देसी यानी भारतीय गाय हमें सृष्टि की रचना के साथ ही दैवीय रूप में प्राप्त हुई है। ऐसे तमाम पहलुओं को ध्यान में रखते हुए देसी गोवंश संरक्षण एवं संवर्धन संस्थान बनाने की पहल की जा रही है।