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बिहार में किसानों को मुफ्त में उर्वरक देगी सरकार; आरा, बक्‍सर, रोहतास और कैमूर से होगी शुरुआत

Bihar Farmers News बहरहाल किसानों को यह उर्वरक मुफ्त में दिया जाएगा। बायोचार उत्पादन के लिए कृषि विभाग कृषि विज्ञान केंद्रों में भट्ठी लगाएगा और किसानों से पुआल की खरीद करेगा। जलवायु अनुकूल खेती के तहत बायोचार के उत्पादन की योजना बनाई गई है।

By Shubh Narayan PathakEdited By: Published: Tue, 07 Sep 2021 08:46 AM (IST)Updated: Tue, 07 Sep 2021 08:46 AM (IST)
बिहार में किसानों को मुफ्त में उर्वरक देगी सरकार; आरा, बक्‍सर, रोहतास और कैमूर से होगी शुरुआत
बिहार में किसानों के लिए सरकार का बड़ा फैसला। प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर

पटना, राज्य ब्यूरो। Bihar Farmer News: बिहार में धान के पुआल (पराली) को उच्च तापमान पर जलाकर बायोचार उर्वरक बनाया जाएगा। यह मिट्टी में कार्बन की कमी को दूर करता है, लिहाजा इसे खेतों में डालने से उसकी उर्वरा-शक्ति बढ़ जाती है। बहरहाल किसानों को यह उर्वरक मुफ्त में दिया जाएगा। बायोचार उत्पादन के लिए कृषि विभाग कृषि विज्ञान केंद्रों में भट्ठी लगाएगा और किसानों से पुआल की खरीद करेगा। जलवायु अनुकूल खेती के तहत बायोचार के उत्पादन की योजना बनाई गई है। इस उपक्रम से पर्यावरण को प्रदूषित होने से भी बचाया जा सकेगा। दरअसल, पुआल जलाने से उत्सर्जित होने वाला कार्बन डाई आक्साइड वायुमंडल को प्रदूषित करता है, जबकि बायोचार के लिए एक विशेष प्रकार की भट्ठी होती है। इससे कार्बन ठोस रूप में अवशोषित हो जाता है। कृषि सचिव डा. एन सरवण कुमार ने इस नई योजना को इसी खरीफ फसल में धान की कटाई के साथ लागू करने का निर्देश दिया है।

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ऐसे बनता है बायोचार

पुआल को भट्टी में 400 डिग्री सेंटीग्रेड पर जलाया जाता है। जलाने के बाद जो कार्बन अवशेष बचता है, वही बायोचार होता है। जलाए जाने वाले पुआल की मात्रा का 60 फीसद बायोचार निकलता है। उसे मिट्टी में मिला देने से खेतों में कार्बन की कमी दूर हो जाती है।

  • पुआल से बनाया जाएगा बायोचार उर्वरक, मिट्टी से कार्बन की कमी होगी दूर
  • 400 डिग्री सेंटीग्रेड पर भट्ठी में जलाया जाएगा पुआल, बचा अवशेष बढ़ाएगा खेतों की उर्वरा-शक्ति
  • शाहाबाद से होगी शुरुआत, राज्य में पराली जलाने की सर्वाधिक शिकायतें इसी इलाके से

डेढ़ लाख की भट्ठी

योजना की शुरुआत शाहाबाद (आरा, बक्सर, रोहतास और कैमूर जिला) से होगी। शाहाबाद के किसान विज्ञान केंद्रों में भट्ठी की खरीद होगी। एक भट्टी की कीमत तकरीबन डेढ़ लाख रुपये है। बिहार के सभी जिलों की मिट्टी में कार्बन की कमी है। लिहाजा धीरे-धीरे सभी जिलों में यह योजना लागू की जाएगी।


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