शराबबंदी कानून को लेकर बड़ा कदम उठाने जा रही है बिहार सरकार, दो महीने का दिया गया है वक्त
शराबबंदी कानून को लेकर विपक्ष के साथ ही सहयोगी दलों के निशाने पर आई बिहार सरकार ने बड़ा निर्णय लिया है। अब सरकार जनमत के सहारे आलोचना करने वालों को जवाब देगी। दो माह में जनमत पूर्ण कराने का लक्ष्य रखा गया है।
राज्य ब्यूरो, पटना। शराबबंदी की आलोचना से घिरी सरकार अब जनमत (Referendum on Liquor Ban) के सहारे जवाब देगी। राज्य सरकार मद्यनिषेध नीति के प्रभाव का अध्ययन कराएगी। वर्ष 2016 में शराबबंदी लागू होने के बाद हुए सामाजिक एवं आर्थिक बदलाव का अध्ययन किया जाएगा। इसमें जनता खुद शराबबंदी के बाद आए बदलाव का बखान करेगी। इसके लिए शहर से लेकर ग्रामीण इलाकों तक में लोगों से बात की जाएगी।मद्यनिषेध, उत्पाद एवं निबंधन विभाग के आयुक्त बी कार्तिकेय धनजी ने बताया कि राजधानी स्थित चाणक्य राष्ट्रीय विधि संस्थान (सीएनएलयू) के पंचायती राज पीठ को इसकी जिम्मेदारी दी गई है। इसके लिए 29 लाख 98 हजार 740 रुपये का भुगतान भी कर दिया गया है। एएन सिन्हा संस्थान भी अध्ययन रिपोर्ट बनाने में सहयोग करेगा। इसके लिए राज्य के अलग-अलग जिलों में लोगोंं के बीच जाकर सर्वे होगा, जिसकी रिपोर्ट दो माह में आने की संभावना है।
छह साल पहले भी कराया था सर्वे
राज्य सरकार ने वर्ष 2016 में शराबबंदी कानून (Bihar Prohibition and Excise Act 2016) लागू किए जाने के छह माह बाद भी सर्वे कराया था। उस समय आद्री संस्थान ने सर्वे किया था। इसके लिए राज्य को पांच जोन में बांटकर सर्वे किया गया था। इसमें शराबबंदी के बाद सामाजिक, आर्थिक के अलावा स्वास्थ्य के क्षेत्र में सकारात्मक बदलाव की बात सामने आई थी। खासकर महिलाओं के जीवन में इसका बड़ा सकारात्मक असर देखने को मिला था। बता दें कि हाल के दिनों में जहरीली शराब से मौत की घटनाओं के बाद विपक्ष से ज्यादा सत्ता पक्ष की सहयोगी पार्टी ने सरकार की इस नीति की आलोचना की थी।
इन बिंदुओं पर तैयार होगी रिपोर्ट
- जीवनशैली में क्या-कया बदलाव हुए
- पारिवारिक खर्च में क्या बदलाव हुए
- महिलाओं की स्थिति कितनी सुधरी
- खान-पान के तरीके में क्या बदलाव
- स्वास्थ्य पर अब कितना हो रहा खर्च
- शिक्षा के क्षेत्र में क्या बदलाव व खर्च
- महिला हिंसा आदि में कितनी कमी आदि।