बिहार सरकार ने दी किसानों को कई सहूलियतें, धान बेचने को अलग से नहीं कराना होगा रजिस्ट्रेशन
धान की खरीदारी बढ़ाने के लिए बिहार सरकार ने किसानों को कई तरह की सहूलियतें दी हैं। भूमि स्वामित्व प्रमाण पत्र एवं रसीद की जरूरत खत्म करने के बाद अब सरकार ने किसानों को निबंधन की अनिवार्यता से भी मुक्त कर दिया है।
राज्य ब्यूरो, पटना। सरकारी समर्थन मूल्य पर धान की खरीदारी बढ़ाने के लिए राज्य सरकार ने कई तरह की सहूलियतें दी हैं। भूमि स्वामित्व प्रमाण पत्र एवं रसीद की जरूरत खत्म करने के बाद अब सरकार ने किसानों को निबंधन की अनिवार्यता से भी मुक्त कर दिया है। नए प्रावधान में कृषि विभाग की वेबसाइट पर जिन किसानों ने निबंधन करा रखा है, उन्हें सहकारिता विभाग में भी स्वत: निबंधित मान लिया जाएगा।
कृषि विभाग में एक करोड़ से ज्यादा किसानों ने निबंधन करा रखा है। अभी तक कृषि विभाग में निबंधित किसानों को भी सरकारी समर्थन मूल्य पर धान बेचने की प्रक्रिया में शामिल होने के लिए सहकारिता विभाग में भी अलग से निबंधन कराना पड़ता था।
धान अधिप्राप्ति बढ़ाने के लिए सहकारिता विभाग ने कई तरह के उपाय किए हैैं। सबसे पहले खरीद का लक्ष्य 30 लाख मीट्रिक टन से बढ़ाकर 45 लाख मीट्रिक टन किया गया। इसके साथ ही किसानों से अधिकतम खरीदारी की मात्रा भी बढ़ा दी गई है। अब रैयत किसान दो सौ क्विंटल के बदले ढाई सौ क्विंटल तक धान बेच सकते हैैं और गैर रैयत किसानों के लिए 75 क्विंटल से बढ़ाकर सौ क्विंटल कर दिया गया है। जिन पैक्सों पर अनियमितता के आरोप थे और वहां फिर से चुनाव हो गए हैैं तथा आरोपी पैक्स अध्यक्ष दोबारा नहीं चुना गया है, वहां नए निर्वाचित पैक्स अध्यक्षों को धान खरीद की अनुमति दी गई है। जो पैक्स कार्यरत नहीं हैैं, उनके तहत आने वाले किसानों को बगल के पैक्सों और व्यापार मंडलों से जोड़ा गया है। किसानों के खाते में 48 घंटे के अंदर पैसे का भुगतान करना है।
पौने तीन लाख मीट्रिक टन खरीद
तमाम तरह की सहूलियतों और सुधारों का असर भी दिखने लगा है। खरीद की रफ्तार तेजी से बढ़ रही है। सोमवार तक दो लाख 87 हजार मीट्रिक टन की खरीदारी हो चुकी है। सिर्फ सोमवार को ही 29 हजार मीट्रिक टन से ज्यादा धान की खरीद हुई।