बिहार सरकार का बड़ा फैसला, कानून-व्यवस्था की जिम्मेवारी से मुक्त किए गए अंचलाधिकारी
Bihar Government Decision बिहार सरकार ने अंचल अधिकारियों की जिम्मेदारी को लेकर एक बड़ा फैसला किया है। ऐसा उन पर काम के अधिक दबाव को देखते हुए किया गया है। कानून-व्यवस्था की जिम्मेदारी से मुक्त करने के बाद वे अपने मूल काम को अच्छी तरह कर सकेंगे।
पटना, राज्य ब्यूरो। सरकार ने अंचलाधिकारियों और अंचल में तैनात भू राजस्व अधिकारियों को कानून-व्यवस्था, परीक्षा संचालन, चुनाव एवं आपदा प्रबंधन की जिम्मेवारी से मुक्त कर दिया है। यह फैसला मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के निर्देश पर हुआ है। शिकायत यह मिल रही थी कि अंचल कार्यालयों में तैनात इन अधिकारियों को दूसरे काम में लगा दिया जाता है। इसका असर उनके नियमित कामकाज पर पड़ता है। समय पर काम नहीं होने के कारण जनता के बीच इनके प्रति नाराजगी भी होती है।
दाखिल-खारिज और मालगुजारी वसूली पर पड़ रहा था असर
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के पूरे कार्यकाल में ऐसा पहली बार होगा जब अंचलाधिकारी और राजस्व अधिकारी जमीन से जुड़े मामलों को छोड़कर अन्य सरकारी कार्यों में नहीं लगाए जाएंगे। मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में पिछले महीने की आठ तारीख को हुई उच्च स्तरीय बैठक में बताया गया था कि राजस्व अधिकारियों के दूसरे कार्यों में व्यस्त रहने के चलते उनका मूल काम प्रभावित होता है। मसलन, 2020 में मार्च के बाद उन्हें लगातार आपदा प्रबंधन से जुड़े कार्यों में लगा दिया गया था। यह कोरोना संकट का दौर था। नतीजा यह निकला कि म्यूटेशन और मालगुजारी जैसे काम ऑनलाइन भी नहीं हो पाए।
भूमि सुधार को आगे बढ़ाने के लिए जरूरी था यह फैसला
मुख्य सचिव दीपक कुमार ने सभी जिलाधिकारियों को आदेश दिया है कि सीओ और राजस्व अधिकारियों को आपदा राहत, निर्वाचन, कानून व्यवस्था और परीक्षा संचालन जैसे कार्यों से पूरी तरह मुक्त रखा जाए। पत्र में कहा गया है कि राज्य में भूमि सुधार का अभिनव प्रयोग किया जा रहा है। डिजिटाइज्ड जमाबंदी में ऑनलाइन सुधार हो रहा है। परिमार्जन पोर्टल के जरिए जमीन से जुड़ी शिकायतें ऑनलाइन सुधारी जा रही हैं। से सभी काम अंचलाधिकारियों और राजस्व अधिकारियों के निर्देशन में होते हैं।
जिन कामों से होती है रैंकिंग, उसी में पिछड़ रहे थे
विभिन्न परियोजनाओं के लिए भू अर्जन और विशेष सर्वेक्षण कार्यक्रम में भी इन अधिकारियों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। सबसे बड़ी बात यह कि अंचलाधिकारी को हरेक काम समय-सीमा के भीतर निबटाना होता है। विभागीय स्तर पर भी इनके कामकाज की रैंकिंग होती है। ये समय पर काम न पूूरा करें तो उनके खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई होती है। समय पर म्यूटेशन न होने के चलते कई अंचलाधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई हो चुकी है।