शराबबंदी कानून में संशोधन: बिहार में नीतीश सरकार कर सकती ये बड़े फैसले, जानिए
बिहार में शराबबंदी कानून लागू है। लेकिन राज्य की नीतीश सरकार इस कानून में संशोधन करने वाली है, जिसके तहत इस कानून में सजा के जो प्रावधान हैं उसमें संशोधन किए जाएंगे।
पटना [राज्य ब्यूरो]। शराबबंदी कानून के तहत सजा के जो प्रावधान है उसमें संशोधन संभव है। राज्य सरकार के स्तर पर आला अधिकारियों की एक कमेटी गठित की गई थी। कमेटी ने यह सुझाया है कि किन-किन मसलों पर रियायत दी जा सकती है। कमेटी की रिपोर्ट का अध्ययन विधिवेक्ताओं द्वारा किया जा रहा है। उनके सुझाव पर महाधिवक्ता के स्तर पर मंथन होगा। इसके बाद सरकार आगे कोई निर्णय लेगी।
अनुपालन में हो रही परेशानी का विशेष रूप से जिक्र
आला अधिकारियों की कमेटी ने सुप्रीम कोर्ट के विधिवेत्ताओं को अपनी जो रिपोर्ट सौैंपी है उसमें यह बताया गया है कि शराबबंदी के कानून के अनुपालन में किस -किस तरह की परेशानी हो रही है। विधिवेत्ताओं से परामर्श मांगा गया है कि इन परेशानियों को किस तरह खत्म किया जा सकता है।
जब्ती के पहलू पर मिल सकती है राहत
मद्य निषेध विभाग के अधिकारी ने कहा कि न्यायालय में शराबबंदी से जुड़े मामले की पैरवी कर रहे राज्य सरकार के अधिवक्ताओं ने पूर्व में यह सुझाव दिया है शराब की बोतल मिलने पर संबंधित घर को जब्त किए जाने संबंधी विधिक प्रावधान ज्यादा कड़ा है। इसे हटाया जा सकता है क्योंकि इसके अनुपालन में कई तरह की परेशानी है।
इसी तरह पब्लिक ट्रांसपोर्ट के तहत चल रहे वाहनों में शराब की बोतल मिलने पर उसे जब्त किए जाने का कानून है। जबकि पब्लिक ट्रांसपोर्ट के मालिक को इस बारे में जानकारी नहीं रहती है। ऐसी चर्चा है कि इस पहलू पर भी रियायत मिल सकती है। वैसे इस मामले में यह जोडऩे की तैयारी है कि पूरी तफ्तीश के बाद शपथ पत्र भी लिया जा सकता है।
सजा की अवधि भी कम किए जाने के चर्चे
मद्य निषेध महकमे में इस बात की चर्चा है कि शराब पीते हुए पकड़े जाने पर सजा की अवधि को लेकर जो प्रावधान है उसमें एक-दो साल की रियायत मिल सकती है। सार्वजनिक रूप से शराब पीने वाले को रियायत नहीं मिलेगी।
जुर्माने की राशि भी कम हो सकती है
शराब से जुड़े कानून में सजा के साथ-साथ जुर्माना के रूप में मोटी राशि लिए जाने का प्रावधान है। ऐसी चर्चा है कि जुर्माना की राशि को भी सरकार कम कर सकती है।