कोरोना काल में बेहतर काम के लिए बिहार को मिला डिजिटल इंडिया अवार्ड
आज दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित कार्यक्रम में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने बिहार सरकार को कोरोना काल में डिजिटल तरीके से बेहतर सेवा प्रदान करने के लिए डिजिटल इंडिया अवॉर्ड 2020 से सम्मानित किया। जानिए बिहार सरकार के किन कामों की सराहना की गई।
पटना , राज्य ब्यूरो । केंद्र सरकार ने कोरोना के खतरे के दौरान राज्य सरकार की ओर से डिजिटल तरीके से लोगों को सहायता पहुंचाने के काम की सराहना की। नीतीश कुमार सरकार के बेहतरीन प्रयासों को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने डिजिटल इंडिया अवॉर्ड 2020 से सम्मानित किया। कार्यक्रम का आयोजन बुधवार को दिल्ली के विज्ञान भवन में किया गया था। इस दौरान केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद मौजूद थे। राष्ट्रपति ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए कार्यक्रम में शिरकत की थी।
बिहार सरकार के इन अधिकारियों को सम्मानित किया गया
राष्ट्रपति ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के प्रधान सचिव चंचल कुमार, आपदा प्रबंधन के प्रधान सचिव प्रत्यय अमृत, अपर सचिव रामचंद्रडू, एनआइसी के शैलेश कुमार श्रीवास्तव एवं नीरज कुमार को डिजिटल इंडिया पुरस्कार देकर सम्मानित किया। पुरस्कार के लिए बिहार के आपदा संपूर्ति पोर्टल को देश भर के राज्यों में छह विभिन्न श्रेणियों में किए गए 190 आवेदनों में से चुना गया। महामारी श्रेणी में मुख्यमंत्री सचिवालय, आपदा प्रबंधन विभाग और एनआइसी को चुना गया। पोर्टल के जरिए मोबाइल एप से विभिन्न प्रदेशों में रह रहे 21 लाख बिहारी कामगारों को आर्थिक मदद दी गई थी। इसके अलावा 1.64 करोड़ राशन कार्डधारी परिवारों को तीन महीने का राशन और एक हजार रुपये भी दिए गए थे।
राष्ट्रपति ने कहा उम्मीद है अब कोरोना का खतरा टलेगा
कार्यक्रम में राष्ट्रपति ने कहा कि डिजिटल इंडिया पुरस्कार आम लोगों की मदद और देश को डिजिटल महाशक्ति बनाने की दिशा में सरकार के समग्र दृष्टिकोण को अभिव्यक्त करता है। यह साल अब खत्म होने वाला है। उम्मीद है कि कोरोना का खतरा भी जल्द ही टल जाएगा। उन्होंने कहा कि कोरोना ने सामाजिक संबंधों, आॢथक गतिविधियों, सेहत-शिक्षा और जीवन के कई अन्य पहलुओं के मामले में दुनिया को काफी हद तक बदल दिया है।
पुरस्कार के लिए नामांकन, उसकी स्क्रीनिंग से लेकर पुरस्कार वितरण कार्यक्रम तक की प्रक्रिया ऑनलाइन की गई। उल्लेखनीय है कि आइटी मंत्रालय के तहत राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (एनआइसी) की ओर प्रत्येक दो साल पर यह पुरस्कार दिया जाता है।