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Bihar Cabinet Meeting: सीएम नीतीश कुमार की सरकार ने बिहार को दी 111 नए शहरों की सौगात

148 नगर निकायों के उभार से केंद्र से ज्‍यादा राशि मिलेगी और बिहार की तरक्‍की को पंख लगेंगे। कैबिनेट की बैठक में 103 नए नगर पंचायत आठ नए नगर परिषद और पांच नगर निगम बनाने की मिली मंजूरी । इन क्षेत्रों का सुनियोजित विकास होगा लोगों को शहरी सुविधाएं मिलेंगी

By Sumita JaiswalEdited By: Published: Sat, 26 Dec 2020 04:50 PM (IST)Updated: Sun, 27 Dec 2020 10:15 AM (IST)
बिहार में नगर निकायों की संख्‍या 143 से बढ़कर करीब 300 हो जाएगी, सांकेतिक तस्‍वीर ।

पटना, राज्य ब्यूरो । बिहार में अब नगर निकायों (urban bodies) की संख्या 143 से बढ़कर करीब तीन सौ हो जाएगी। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar)  की अध्यक्षता में शनिवार ( 26 दिसंबर) को हुई कैबिनेट (cabinet ) की बैठक में महज एक एजेंडा को सरकार ने मंजूरी दी। इसके तहत 103 नगर पंचायत (Nagar Panchayat) , आठ नए नगर परिषद (Municipality) और पांच नये नगर निगम (Municipal Corporation) बनाने पर मुहर लगी। इसके अलावा 32 नगर पंचायत को अपग्रेड कर नगर परिषद शहर बनाने की मंजूरी दी गई। सरकार के इस पहल के बाद 148 नये नगर निकायों के गठन का रास्ता साफ हो गया।

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एक महीने के अंदर मांगी गई आपत्तियां

 कैबिनेट विभाग के प्रधान सचिव संजय कुमार (Principal Secretary Sanjay Kumar)  ने बताया कि कुल 111 नये नगर निकायों के गठन की सरकार ने मंजूरी दी है। इसके साथ ही 32 नगर पंचायत को अपग्रेड कर नगर परिषद और पांच नगर परिषद को अपग्रेड कर नगर निगम बनाने पर कैबिनेट की मुहर लग गई। नगर विकास सचिव आनंद किशोर (Bihar Urban Development Secretary Anand Kishore)  ने बताया कि नए नगर निकायों के गठन पर लोगों से एक महीने के अंदर आपत्तियां मांगी गई है। डीएम और कमिश्नर (DM and Commissioner) को संबंधित क्षेत्र के लोग दावा-आपत्तियां (claims and objection) संबंधित अर्जी दे सकते हैं। नए नगर निकायों के गठन की प्रक्रिया (process of constituting news Urban bodies) जिलाधिकारियों द्वारा पूरी की जाएगी।

  जनता को मिलेगी सुविधा, सरकार का बढ़ेगा राजस्व

पांच नए नगर निगम समेत 111 नए नगर निकायों के गठन से जहां एक ओर जनता को नगरीय सुविधाएं मिलेंगी वहीं, सरकार को भी और अधिक राजस्व की प्राप्ति हो सकेगी। दूसरे राज्यों की अपेक्षा बिहार में शहरी इलाके काफी कम थे। शहरी जनसंख्या भी बेहद कम थी। इस कारण शहरों के विकास के लिए केंद्र से मिलने वाली राशि में बिहार की हिस्सेदारी बहुत सीमित थी। अब सौ से अधिक नए निकायों के गठन और तीन दर्जन से अधिक निकायों के उत्क्रमित होने के कारण शहरी विकास के लिए अधिक फंड मिलेगा।

जनता की जेब भी होगी ढीली

इस बदलाव का असर जनता की जेब पर भी बढ़ेगा। जिन 103 इलाकों को पहली बार नगर पंचायत में शामिल किया गया है, वहां सुविधाओं के साथ टैक्स में भी बदलाव होगा। इसी तरह नगर पंचायत से नगर परिषद बने 32 निकायों के लोगों को भी पहले से अधिक टैक्स देना होगा।

सासाराम, मोतिहारी, बेतिया, मधुबनी और समस्तीपुर का होगा सुनियोजित विकास

सासाराम, मोतिहारी, बेतिया, मधुबनी और समस्तीपुर को नगर निगम का दर्जा देने की सिफारिश का सबसे बड़ फायदा यह होगा कि इन शहरों का अब नियोजित विकास संभव हो सकेगा। अभी यह शहर जैसे-तैसे बढ़ रहे हैं। एक व्यापक प्लान का अभाव है। नगर निगम बनने के बाद अब यहां मेयर, डिप्टी मेयर के साथ नगर आयुक्त शहर के विकास का खाका तैयार करेंगे।

अब मिल सकेंगी ये सुविधाएं

शहरी क्षेत्र में शामिल होने के बाद अब संबंधित निकायों में ड्रेनेज सिस्टम का विकास होगा। स्ट्रीट लाइटें लगाई जाएंगी। शहर की साफ-सफाई में अत्याधुनिक मशीनों का इस्तेमाल हो सकेगा। इसके अलावा सामुदायिक सुविधाएं भी बढ़ेंगी। पार्क आदि भी बनाए जाएंगे।

तरक्की को लगेंगे पंख

सरकार ने नगर निकाय बनाने के मानक में बड़ा बदलाव किया है। अब 12 हजार से अधिक आबादी वाले ऐसे क्षेत्र जहां महज 50 फीसद लोग गैर कृषि कार्यों (non agriculture) से आजीविका (Livlihood)  चलाएंगे वैसे क्षेत्र को सरकार नगर निकाय क्षेत्र (Urban area)  घोषित कर देगी। इसी आधार पर नए नगर निकायों का गठन किया गया है। पहले यह 75 फीसद की सीमा थी।

नगर निकाय तय करने की प्रक्रिया

सरकार 12 हजार की आबादी पर नगर पंचायत, 40 हजार की आबादी पर नगर परिषद और दो लाख की आबादी पर नगर निगम बनाती है। बिहार में फिलवक्त 143 नगर निकाय, 3377 शहरी वार्ड हैं। इनमें 12 नगर निगम, 49 नगर परिषद और 82 नगर पंचायत हैं। अब नगर पंचायतों की संख्या बढ़कर 185, नगर परिषद की संख्या बढ़कर 95 और नगर निगम संख्या 17 हो जाएगी।

प्रदेश में अभी है महज 11.27 फीसद शहरी आबादी

बिहार में 2011 की जनगणना ( 2011 census) के अनुसार शहरी आबादी (Urban Population) महज 11.27 फीसद (percent) है। वहीं, राष्ट्रीय स्तर पर यह औसत 31.16 फीसद है। बिहार के कई अनुमंडल मुख्यालय (sub division) फिलवक्त ग्राम पंचायत के अधीन है। सरकार का मानना है कि नए नगर निकायों के अस्तित्व में आने से लोगों को कई नई सुविधाएं मिलने लगेंगी। इसके साथ टैक्स का बोझ भी बढ़ेगा। स्ट्रीट लाइट, ड्रेनेज सिस्टम, मशीनों के माध्यम से शहरों की साफ सफाई, पार्क व सामुदायिक सुविधाएं दी जा सकेंगी।


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