Bihar Flood: वैशाली में ऐतिहासिक धरोहरों पर खतरा, अशोक स्तंभ से लेकर रेलिक स्तूप तक जलमग्न
वैशाली में भगवान बुद्ध अस्थि अवशेष रैलिक स्तूप में महीनों से भरा है बारिश एवं बाढ़ का पानी। इसी तरह अभिषेक पुष्करिणी समेत अन्य जगहों का यही हाल है। पिछले वर्ष भी यहां बाढ़ और बारिश के पानी से काफी नुकसान पहुंचा था।
वैशाली, संवाद सूत्र। बारिश एवं बाढ़ के पानी ने वैशाली में भारी तबाही मचा रखा है। वैशाली के कई पुरातात्विक स्थलों (Archaeological sites) पर भारी जल-जमाव है। सबसे आश्चर्य की बात तो यह है कि भगवान बुद्ध का अस्थि अवशेष स्थल (Bone Relic of Lord Buddha) कई महीनों से जल जमाव में डूबा है। पवित्र स्थल के रेलिक स्तूप से जल निकासी के लिए अभी तक कोई इंतजाम नहीं किया गया है। इस ऐतिहासिक स्थल के दुर्दशा से पर किसी का ध्यान नहीं जा रहा और यहां पहुंचने वाले देशी-विदेशी पर्यटकों को घोर निराशा हाे रही है।
अशोक स्तंभ और रेलिक स्तूप भी जलमग्न
गंगा समेत गंडक और अन्य सहायक नदियों के पानी की वजह से जिले के वैशाली समेत लालगंज और भगवानपुर के कई इलाके जलमग्न हैं। खेत-खलिहान तो डूबे ही हैं, ऐतिहासिक धरोहर भी बाढ़ की चपेट में हैं। अभिषेक पुष्करिणी, शांति स्तूप समेत अशोक स्तंभ और भग्नावशेषों की हालत खराब है। पूरा इलाका जलमग्न है। वहां के विजय कुमार के अनुसार पानी निकालने की व्यवस्था की गई है। लेकिन रात में पानी निकलवाते तो हैं लेकिन सुबह फिर वही स्थिति हो जाती है।
(जलजमाव के बीच से गुजरता बौद्ध भिक्षु।)
सीएम ने कहा था, विरासत को बचाने की जरूरत
मालूम हो कि वर्ष 2010 के जनवरी माह में अपने तीन दिवसीय वैशाली प्रवास में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा था कि हमें अपने विरासत को बचाने की आवश्यकता है। यहां के कई ऐतिहासिक धरोहर नष्ट हो रहे हैं। कोई देखने वाला नहीं है। उन्होंने उस समय वैशाली के विकास के लिए कई घोषणाएं की थी। लेकिन विडंबना है कि उनमें से कई योजनाएं आज तक चालू नहीं हो सकी। वैशाली में केतकी वन की घेराबंदी, बावन पोखर का सौंदर्यीकरण, वैशाली गढ़ पर आवागमन रोक, नए रास्ते का निर्माण, अभिषेक पुष्करणी का सौंदर्यीकरण आदि पर काम कराने की घोषणाएं की गई थी। लोगों की शिकायत है कि इसमें अधिकांश पर अमल नहीं हुआ।
(पानी में डूबा अशोक स्तंभ परिसर।)
उपेक्षा का दंश झेल रहा ऐतिहासिक स्थल
वैशाली के विकास का हाल यह है कि पिछले दस साल में एक स्ट्रीट लाइट भी नहीं लगी। कहते है कि कागजों में यहां सब कुछ है, लेकिन धरातल पर कुछ नहीं दिखता। ऐतिहासिक रैलिक स्तूप जहां से भगवान बुद्ध का पवित्र अस्थि कलश प्राप्त हुआ था वह इस समय अपने अस्तित्व रक्षा की मोहताज बना है। हालांकि भगवान बुद्ध के पवित्र अस्थि अवशेष को रखने के लिए 72 एकड़ में कई करोड़ की लागत से भव्य बुद्ध सम्यक दर्शन संग्रहालय का निर्माण हो रहा है, लेकिन इसकी कार्य प्रगति काफी धीमी है। स्वयं मुख्यमंत्री इसके निर्माण कार्य की मानिटरिंग कर रहे हैं।
पिछले वर्ष भी हुई थी ऐसी ही स्थिति
पिछले दिनों उनके निर्देश पर भवन निर्माण मंत्री अशोक चौधरी ने विधायक सिद्धार्थ पटेल और डीएम-एसपी के साथ निर्माण कार्य का निरीक्षण भी किया है। स्थानीय लोगों की शिकायत है कि पुरातत्व विभाग की उदासीनता के कारण यहां के कई महत्वपूर्ण स्थलों का अस्तित्व खतरे में है। कई महत्वपूर्ण पुरातात्विक स्थल बारिश की पानी से जलमग्न है। पुरातत्व विभाग अथवा जिला प्रशासन की ओर से यहां से पानी निकालने की कोई योजना नहीं है। लोगों का कहना है कि गत वर्ष भी यहां के कई ऐतिहासिक स्थल बारिश के पानी में डूब गए थे। उस समय स्थानीय लोगों के आवाज उठाए जाने पर जिला प्रशासन ने जल निकासी की अस्थायी व्यवस्था कराया था, लेकिन इस बार महीनों से डूबे स्थलों से जल निकासी की कोई व्यवस्था नहीं की जा रही है। इससे लोगों में आक्रोश है।