Bihar Flood Effect: गोपालगंज में कहर ढ़ा रहे पानी में बहकर आए विषैले सांप, छह दिनों में 36 को काटा
Bihar Flood Effect बिहार के गोपालगंज में बाढ़ के दौरान रिहाइशी इलाकों में सांप कहर ढ़ा रहे हैं। केवल सरकारी आंकड़ों की बात करें तो सांपों ने छह दिनों में 36 लोगों को काटा है। इनमें चार की मौत हो गई है।
पटना, जेएनएन। Bihar Flood Effect: बिहार के गोपालगंज (Gopalganj) में करीब तीन महीने से गंडक नदी की बाढ़ (Flood) से जन-जीवन अस्त-व्यस्त है। इस बीच बारिश के कारण कई अन्य इलाकों में भी जल-जमाव की समस्या आ खड़ी हुई है। बाढ़ व बारिश (Flood and Rain) के कारण रिहायशी इलाकों में सांपों (Snakes) ने डेरा जमा लिया है। गाेपालगंज सदर अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड के आंकड़ों के अनुसार केवल छह दिनों में ही सांप के काटने (Snake Bite) की 36 घटनाएं हुईं हैं, जिनमें दो बच्चों सहित चार लोगों की जान (Death) जा चुकी है। गैर-सरकारी आंकड़ों की मानें तो बीते एक सप्ताह में सांप काटने के 60 से अधिक घटनाएं हो चुकीं हैं।
कहर ढ़ा रहे बाढ़ में बह कर आए विषैले सांप
बाढ़ के पानी में बह कर आए विषैले सांप गोपालगंज में कहर ढ़ा रहे हैं। सर्पदंश की घटनाएं भी लगातार बढ़ रही हैं। सदर अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड के आंकड़ों की मानें तो बीते छह दिनों के दौरान सांप काटने 36 मरीज भर्ती किए गए। इस सरकारी आंकड़े से हटकर गैर-सरकारी आंकड़ों को देखें तो माना जा रहा है कि बीजे एक सप्ताह में 60 से अधिक लोग सांप काटने के शिकार हुए हैं। इनमें चार की मौत भी हुई है। मरने वालों में फुलवरिया के आठ साल के विक्की कुमार शामिल हैं। नगर थाना के हजियापुर निवासी चंदन कुमार, मोहम्मदपुर की ममता कुमारी और नगर थाना के बंजारी टोला की मीना देवी को सांप काटने पर सदर अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
अस्पताल में नहीं दी जा रही सांप काटने की दवा
गोपालगंज सदर अस्पताल में भर्ती मीना देवी के स्वजन बताते हैं कि इमरजेंसी वार्ड में उन्हें सांप के काटे की दवा (Anti Venom Injection) नहीं दिया गया। इंजेक्शन बाजार से लेकर आने पर इलाज शुरू किया गया। जबकि, स्वास्थ्य विभाग ने बाढ़ से पूर्व ही जिले में सांप काटने की दवा के पर्याप्त स्टॉक का दावा किया था। इसके बावजूद जिले के अस्पतालों में सांप के काटे की दवा (Anti Venom Injection) का अभाव है।
मरीजों के लिए बाजार से दवा खरीदना मजबूरी
अगर किसी को सांप काट ले तो इस दवा को अधिक दाम में बाजार से खरीदना मजबूरी है। अगर समय पर दवा नहीं मिली तो इलाज के अभाव में मौत हो जा रही है। इस मामले में सिविल सर्जन डॉ. टीएन सिंह से पूछने पर उन्होंने मामले की जांच का आश्वासन दिया।