बिहार के पूर्व सांसद शहाबुद्दीन की क्राइम गाथा, निधन के साथ न्यायालय से कम हो गया 35 से 40 मुकदमों का बोझ
Mohammad Shahabuddin News सिवान के पूर्व सांसद मोहम्मद शहाबुद्दीन के निधन के साथ ही न्यायालय से लगभग 35 से 40 मुकदमों का बोझ खत्म हो गया है। इसमें हत्या से लेकर एसपी पर गोली चलाने और अपहरण तक के मामले दर्ज थे।
सिवान, जागरण संवाददाता। Mohammad Shahabuddin News: सिवान के पूर्व सांसद मोहम्मद शहाबुद्दीन के निधन के साथ ही न्यायालय से लगभग 35 से 40 मुकदमों का बोझ खत्म हो गया है। शहाबुद्दीन प्रतिदिन मीडिया में इन मामलों के चलते भी बने हुए थे। हालांकि राजनीतिक रूप से वे लगातार तीन बार संसदीय चुनाव जीतने में असमर्थ रहे, लेकिन इन लंबित मामलों के चलते वह बराबर अखबार की सुर्खियों में रहते थे। मंडल कारा में उनके विरुद्ध चल रहे सभी मामलों की सप्ताह में 3 दिन सुनवाई हुआ करती थी। अब उनके नहीं रहने से उन पर लगे सभी आरोप के साथ साथ मुकदमों का भी अंत हो गया।
शहाबुद्दीन के लिए बनी थी विशेष अदालत
हालांकि सभी मामलों में मोहम्मद शहाबुद्दीन अकेले प्राथमिक अभियुक्त नहीं थे। सह अभियुक्त भी उनके नाम के साथ जुड़े हुए थे। इसलिए वैसे सभी मामले चलेंगे, लेकिन मोहम्मद शहाबुद्दीन के नहीं रहने से अभिलेख अलग कर दिए जाएंगे। कानून के जानकारों का मत है कि मोहम्मद शहाबुद्दीन के लिए ही जेल में विशेष अदालत का गठन किया गया था। विशेष लोक अभियोजक को नियुक्त किया गया था तथा सुनवाई के लिए विशेष प्रक्रिया अपनाई जाती थी।
मंडल कारा में जाकर सुनवाई करते थे जज
न्यायाधीश महोदय भी मंडल कारा में बनी विशेष अदालत में जाकर ही मामलों की सुनवाई करते थे। किंतु अब शहाबुद्दीन के नहीं रहने की वजह से प्रक्रिया के अंतर्गत विशेष अदालत भी निरस्त की जा सकती है तथा अन्य अभियुक्तों के विरुद्ध मामलों की सुनवाई सामान्य अदालत में भी सामान्य प्रक्रिया के अंतर्गत चलाई जाएगी।
शहाबुद्दीन के ये मामले जो रहे चर्चित
मोहम्मद शहाबुद्दीन पर कई एक गंभीर प्रकृति के मुकदमे थे तो कई एक छोटे भी मामले लंबित थे। बड़े मामलों में तेजाब हत्याकांड, छोटे लाल गुप्ता हत्याकांड, एसपी सिंघल पर गोली चलाने के मामले, विदेशी हथियार बरामदगी के मामले आदि में उन्हें 10 वर्ष से लेकर उम्र कैद तक की सजा हो चुकी थी। वहीं मुन्ना चौधरी अपहरण कांड, प्रतापपुर गोलीकांड, भाजपा नेता योगेंद्र प्रसाद हत्याकांड ऐसे कई गंभीर मामले सुनवाई के अंतिम दौर में थे। राजीव रोशन हत्याकांड भी इस मामले में शामिल है। अब सभी मामलों में सुनवाई अन्य अभियुक्तों के विरुद्ध ही की जाएगी।
प्रतापपुर गोलीकांड ने पूरे बिहार को दहलाया
प्रतापपुर गोलीकांड मामला, तेजाब मामले की तरह चर्चित मामला था, जो मार्च 2001 में तब हुआ जब तत्कालीन पुलिस अधीक्षक बच्चू सिंह मीणा ने मोहम्मद शहाबुद्दीन के पैतृक गांव प्रतापपुर में अपराधियों के जमावड़ा को लेकर छापेमारी की थी। छापेमारी में जहां पुलिस बल की ओर से एक कांस्टेबल बासुकी नाथ पांडे की गोली लगने से मृत्यु हो गई थी, वही दो पुलिस बल घायल भी हुए थे। पुलिस की जवाबी कार्रवाई में अज्ञात अपराधियों की भी मौत हुई थी।