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राबड़ी देवी ने कसा तंज- खाना के नाम पर नून-भात, जांच के नाम पर कागज, कैसे चलेगा

बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी ने राज्य सरकार पर प्रवासी मजदूरों को हो रही परेशानियों को लेकर तंज कसा है और कहा है कि सरकार सिर्फ बात बनाना जानती है काम करना नहीं।

By Kajal KumariEdited By: Published: Fri, 15 May 2020 04:25 PM (IST)Updated: Fri, 15 May 2020 07:58 PM (IST)
राबड़ी देवी ने कसा तंज- खाना के नाम पर नून-भात, जांच के नाम पर कागज, कैसे चलेगा
राबड़ी देवी ने कसा तंज- खाना के नाम पर नून-भात, जांच के नाम पर कागज, कैसे चलेगा

पटना, जेएनएन। बिहार विधानपरिषद की नेता प्रतिपक्ष और बिहार की पूर्व मुख्यमंत्ती राबड़ी देवी ने कोरोना वायरस के संक्रमण से जूझ रहे राज्य के नागरिकों को हो रही परेशानियों को लेकर राज्य सरकार पर हमला बोला है और क्वारेंटाइन सेंटर में लोगों को हो रही असुविधा और सरकार के द्वारा दी जा रही सहायता पर तंज कसा है।

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राबड़ी देवी ने कहा है कि  बिहार के क्वारंटाइन सेंटरों में बाहर से आए अप्रवासी मज़दूरों के लिए खाने व अन्य बुनियादी सुविधाओं की कोई व्यवस्था नहीं है। इस कारण इन प्रवासी मजदूरों को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। अधिकारी वहाँ आवासित लोगों को खाना माँगने पर मारपीट कर प्रताड़ित कर रहे है।

सरकार के तरफ़ से मीडिया का प्रवेश वर्जित किया गया है ताकि उनका असली चेहरा बाहर उजागर न हो सके। भ्रष्टाचार चरम पर है। अधिकारी सब लूट रहा है। जनप्रतिनिधि दरकिनार है। बदइंतज़ामी का आलम ये है कि लोग मानसिक अवसाद के शिकार होते जा रहें तो कुछ लोग वहाँ से भागने को मजबूर हो रहें।

इतिहास में इतना ग़रीब विरोधी और संकीर्ण मानसिकता वाली सरकार नहीं रही होगी। बिहार सरकार प्रवासी मज़दूरों की लगातार उपेक्षा करते आ रही। क्वॉरंटीन सेंटरों में बिस्तर, शौचालय, पानी, खाना इत्यादि का कोई प्रबंध नहीं है। खाना के नाम पर नून-भात, स्वास्थ्य जाँच के नाम पर काग़ज़ी ख़ानापूर्ति। 

ये क्वॉरंटीन सेंटर यातना सेंटर बन गये है। जब सरकार को इन परेशान लोगों का सहारा बनना चाहिए, उन्हें विश्वास दिलाना चाहिए कि इन लोगों के स्वास्थ्य और आर्थिक सुरक्षा की ज़िम्मेदारी सरकार की है तब निर्दयी बिहार सरकार उनके साथ बदसलूकी की सारी हदें पार कर रही है। 

हम अपने ग़रीब भाइयों के साथ खड़े हैं और सरकार से आग्रह करते है कि अगले 24 घंटे में व्यवस्था सुधारें। जिस सरकार में संवेदना, करुणा और अपनत्व का अभाव हो तो उसे कोई हक़ नहीं है सत्ता में रहने का। इन ग़रीबों की गरिमा और आत्मसम्मान के साथ भेदभाव क़तई बर्दाश्त नहीं होगा।


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