Bihar Chunav Results 2020: कांटे की टक्कर में 12 वोट से हार गए हिल्सा प्रत्याशी, 11 प्रत्याशी एक हजार से भी कम वोट से हारे
विधान सभा चुनाव में दस फीसद से भी ज्यादा सीट पर प्रत्याशियों के बीच कांटे की टक्कर हुई। कई राउंड तक जीत-हार का रोमांच बना रहा पर आखिर में मामूली वोटों के अंतर से हार गए। जानिए बिहार के कई सीटों से ऐसे आश्चर्यजनक परिणाम का सच ।
पटना, राज्य ब्यूरो। बिहार में इसबार का मुकाबला सचमुच में कांटे का था। सिर्फ दोनों गठबंधनों के बीच ही नहीं, बल्कि प्रत्याशियों के बीच भी आखिर तक घमासान हुआ। विधानसभा की 243 में से 10 फीसद से ज्यादा सीटों पर दो हजार के अंतर से भी कम की हार हुई है। 11 सीटें तो ऐसी हैं, जहां दोनों तरफ से बड़ी और कड़ी लड़ाई हुई, लेकिन आखिरकार कोई छोटे अंतर से जीत गया तो कोई मामूली वोटों से हार गया। हार-जीत का अंतर हजार से भी कम वोटों का है। जो जीत गए, उन्हें भाग्यशाली तो कहा ही जा सकता है, लेकिन जो हार गए, उनके पराक्रम को भी कम करके नहीं देखा-आंका जा सकता है।
12 और 113 वोटों से हारे प्रत्याशी
बिहार में सबसे करीबी मुकाबला हिलसा सीट पर हुआ, जहां से राजद के निवर्तमान विधायक शक्ति सिंह की शक्ति भी काम नहीं आई। वह मात्र 12 वोटों से हार गए। उन्हें जदयू के कृष्णमुरारी शरण ने परास्त कर दिया। दूसरी सबसे छोटी हार बरबीघा में कांग्रेस के गजानन शाही की हुई, जिन्हें जदयू के सुदर्शन कुमार ने मात्र 113 वोटों से हरा दिया। राजद के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह के पुत्र सुधाकर सिंह भाग्यशाली निकले, जो बसपा के अंबिका सिंह को कांटे की टक्कर में 189 वोटों से पीछे छोड़ दिया।
बाहुबली विधायक को लोजपा प्रत्याशी ने दी कड़ी टक्कर
मटिहानी में आश्चर्यजनक परिणाम आया। जदयू के बाहुबली विधायक बोगो सिंह को लोजपा के राजकुमार सिंह ने 333 वोटों से हरा दिया। भोरे में जदयू के सुनील कुमार ने माले प्रत्याशी जीतेंद्र पासवान को 462 वोटों से पराजित कर दिया।
पांच सालों तक याद रहेगा 581 वोटों से हार
बिहार की सियासत में चकाई की लड़ाई की चर्चा अगले पांच सालों तक होती रहेगी। यहां से राजद की गायत्री देवी को कठिन मुकाबले में निर्दलीय सुमित सिंह ने 581 वोटों से परास्त कर दिया। जमुई और चकाई के आसपास के इलाके में दोनों परिवारों में पिछले करीब तीन दशक से सियासी प्रतिस्पर्धा चली आ रही है। इस बार की बाजी सुमित सिंह ने जीती। डेहरी में राजद ने इलियास हुसैन के परिवार के बदले फतेह बहादुर को प्रत्याशी बनाया था। उन्होंने भाजपा के सत्येंद्र नारायण को 464 वोटों से हराया। कुढऩी की लड़ाई में राजद के अनिल कुमार सहनी ने भाजपा के केदार प्रसाद गुप्ता को 712 वोटों से पराजित किया। इसी तरह बछवाड़ा में भाकपा के अवधेश कुमार राय को 484 वोटों से हार गए। भाजपा के सुरेंद्र मेहता जीते। बखरी में भाजपा के रामशंकर पासवान भाकपा के सूर्यकांत पासवान से 777 वोटों से पीछे रह गए। परबत्ता से जदयू के संजीव कुमार ने राजद के दिगंबर तिवारी को 951 वोटों से हराया।
मामूली अंतर से हुए परास्त
भागलपुर में कांग्रेस के अजित शर्मा ने मात्र 1113 वोटों से भाजपा के रोहित पांडेय को हराया। मुंगेर में राजद के अविनाश कुमार 1244 वोटों से हार गए। उन्हें भाजपा के प्रणव कुमार ने हराया। कल्याणपुर में राजद के मनोज कुमार यादव 1193 वोटों से जीते। भाजपा के सचिंद्र प्रसाद हारे। किशनगंज में भाजपा की स्वीटी सिंह को कांग्रेस के इजहारुल हुसैन ने मात्र 1381 वोटों से और सकरा में जदयू के अशोक कुमार सिंह ने कांग्रेस के उमेश कुमार को 1537 वोटों से हराया। परिहार की लड़ाई में राजद की पोस्टर वूमेन रितु जायसवाल भी हार गईं। भाजपा की गायत्री देवी ने उन्हें 1569 वोटों से हराया। महिषी से जदयू के गुंजेश्वर सिंह ने राजद के गौतम कृष्ण को 1630 वोटों से और झाझा में जदयू के दामोदर रावत ने राजद के राजेंद्र प्रसाद को 1679 वोटों से हराया। राजग की बड़ी हार में सिमरी बख्तियारपुर भी शामिल हो गया, जहां से वीआइपी प्रमुखमुकेश सहनी प्रत्याशी थे, उन्हें राजद के युसूफ सलाहुद्दीन से 1767 वोटों से हरा दिया। इसी तरह राजापाकर में कांग्रेस की प्रतिमा कुमारी ने जदयू के महेंद्र राम को 1796 वोटों से, सिवान में राजद के अवध बिहारी चौधरी ने भाजपा के ओमप्रकाश यादव को 1973 वोटों से और महाराजगंज में कांग्रेस के विजय शंकर दुबे ने जदयू के हेमनारायण राय को 1976 वोटों से हराया।